Friday 9 August 2024

कविता ५२५९. इशारों से जुडकर।

                                 इशारों से जुडकर।

इशारों से जुडकर आशाओं की मुस्कान सहारा देती है लहरों को अरमानों की पुकार पहचान दिलाती है लम्हों को दास्तानों की अहमियत देती है।

इशारों से जुडकर अंदाजों की उमंग तलाश देती है किनारों को सपनों की सुबह एहसास दिलाती है अदाओं को नजारों की अहमियत देती है।

इशारों से जुडकर दिशाओं की कहानी कोशिश देती है अरमानों को तरानों की सौगात बदलाव दिलाती है एहसासों को राहों की अहमियत देती है।

इशारों से जुडकर आवाजों की धून अफसाना देती है नजारों को दिशाओं की कहानी सरगम दिलाती है अल्फाजों को उजालों की अहमियत देती है।

इशारों से जुडकर जज्बातों की सौगात सुबह देती है खयालों को अंदाजों की परख सोच दिलाती है कदमों को उम्मीदों की अहमियत देती है।

इशारों से जुडकर तरानों की दास्तान आस देती है कदमों को उजालों की रोशनी आस दिलाती है बदलावों को लम्हों की अहमियत देती है।

इशारों से जुडकर कदमों की पहचान उजाला देती है अल्फाजों को आशाओं की राह अरमान दिलाती है खयालों को दिशाओं की अहमियत देती है।

इशारों से जुडकर इरादों की सोच सपना देती है एहसासों को किनारों की आहट पुकार दिलाती है अफसानों को आशाओं की अहमियत देती है।

इशारों से जुडकर उम्मीदों की आस उमंग देती है तरानों को बदलावों की सुबह सरगम दिलाती है किनारों को अल्फाजों की अहमियत देती है।

इशारों से जुडकर खयालों की सुबह आवाज देती है उजालों को कदमों की पहचान परख दिलाती है दास्तानों को अदाओं की अहमियत देती है।

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