Friday 2 August 2024

कविता. ५२५२. जज्बातों को कोई।

                                जज्बातों को कोई।

जज्बातों को कोई मुस्कान तराना देती है सपनों को एहसासों की पुकार अफसाना देती है दास्तानों को अदाओं की सरगम आवाज देती है।

जज्बातों को कोई आस सहारा देती है कदमों को उजालों की सुबह पहचान देती है दिशाओं को बदलावों की कहानी आवाज देती है।

जज्बातों को कोई कोशिश लहर देती है दिशाओं को तरानों की सोच तलाश देती है किनारों को अंदाजों की अहमियत आवाज देती है।

जज्बातों को कोई समझ सहारा देती है नजारों को अल्फाजों की कहानी खयाल देती है कदमों को लहरों की आहट आवाज देती है।

जज्बातों को कोई अंदाज पहचान देती है तरानों को उम्मीदों की तलाश कोशिश देती है इशारों को एहसासों की उमंग आवाज देती है।

जज्बातों को कोई उम्मीद सरगम देती है किनारों को अरमानों की परख रोशनी देती है कदमों को लम्हों की सौगात आवाज देती है।

जज्बातों को कोई अल्फाज दास्तान देती है आशाओं को अंदाजों की आस एहसास देती है अफसानों को लहरों की कहानी आवाज देती है।

जज्बातों को कोई एहसास रोशनी देती है दास्तानों को अफसानों की समझ सरगम देती है दिशाओं को उजालों की राह आवाज देती है।

जज्बातों को कोई समज पुकार देती है अंदाजों को इरादों की कहानी बदलाव देती है अदाओं को अरमानों की अहमियत आवाज देती है।

जज्बातों को कोई सुबह पहचान देती है कदमों को आशाओं की सोच अरमान देती है इशारों को तरानों की सौगात आवाज देती है।

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