Sunday 4 August 2024

कविता. ५२५४. उम्मीद को दास्तानों की।

                             उम्मीद को दास्तानों की।

उम्मीद को दास्तानों की परख कोशिश दिलाती है लहरों को नजारों की कहानी उजाला देती है तरानों संग एहसासों का अरमान दिलाती है।

उम्मीद को दास्तानों की सोच सरगम दिलाती है जज्बातों को अंदाजों की रोशनी मुस्कान देती है अल्फाजों संग सपनों का अरमान दिलाती है।

उम्मीद को दास्तानों की सौगात तलाश दिलाती है किनारों को अदाओं की पुकार उमंग देती है लम्हों संग बदलावों का अरमान दिलाती है।

उम्मीद को दास्तानों की आस मुस्कान दिलाती है अफसानों को आशाओं की तलाश इशारा देती है किनारों संग खयालों का अरमान दिलाती है।

उम्मीद को दास्तानों की समझ आवाज दिलाती है अंदाजों को इरादों की सौगात सहारा देती है नजारों संग कदमों का अरमान दिलाती है।

उम्मीद को दास्तानों की लहर अल्फाज दिलाती है आवाजों को उम्मीदों की सुबह अंदाज देती है दास्तानों संग राहों का अरमान दिलाती है।

उम्मीद को दास्तानों की पुकार अदा दिलाती है अल्फाजों को उजालों की सरगम पहचान देती है आशाओं संग इशारों का अरमान दिलाती है।

उम्मीद को दास्तानों की आहट सपना दिलाती है लम्हों को किनारों की पहचान तलाश देती है कदमों संग जज्बातों का अरमान दिलाती है।

उम्मीद को दास्तानों की राह लहर दिलाती है बदलावों को दिशाओं की कहानी आस देती है अंदाजों संग तरानों का अरमान दिलाती है।

उम्मीद को दास्तानों की सुबह तराना दिलाती है नजारों को आशाओं की पहचान सहारा देती है इरादों संग किनारों का अरमान दिलाती है।

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कविता. ५२७१. किनारों की आहट अक्सर।

                              किनारों की आहट अक्सर। किनारों की आहट अक्सर अरमानों संग पुकार दिलाती है लहरों को इशारों से आवाजों की धून एहसास ...