Monday 17 June 2024

कविता ५२०६. सपनों की धारा जब।

                               सपनों की धारा जब।

सपनों की धारा जब एक उड़ान सी भरती है कदमों को अदाएं एहसासों की रोशनी देकर चलती है जज्बातों को अंदाजों की पहचान दिलाती है।

सपनों की धारा जब एक सरगम सी भरती है खयालों को दिशाएं राहों की सौगात देकर चलती है आवाजों को बदलावों की पहचान दिलाती है।

सपनों की धारा जब एक सुहानी सी भरती है अरमानों को लहरें आवाजों की धून देकर चलती है अफसानों को खयालों की पहचान दिलाती है।

सपनों की धारा जब एक उमंग सी भरती है अंदाजों को आशाएं दास्तानों की सुबह देकर चलती है नजारों को तरानों की पहचान दिलाती है।

सपनों की धारा जब एक कोशिश सी भरती है बदलावों को राहें इशारों की समझ देकर चलती है किनारों को अल्फाजों की पहचान दिलाती है।

सपनों की धारा जब एक पुकार सी भरती है उजालों को उम्मीदें किनारों की आहट देकर चलती है आशाओं को एहसासों की पहचान दिलाती है।

सपनों की धारा जब एक आस सी भरती है लम्हों को आवाजें बदलावों की सोच देकर चलती है अरमानों को कदमों की पहचान दिलाती है।

सपनों की धारा जब एक आहट सी भरती है जज्बातों को मुस्कान उजालों की सुबह देकर चलती है इशारों को किनारों की पहचान दिलाती है।

सपनों की धारा जब एक उम्मीद भी भरती है अल्फाजों को अदाएं दास्तानों की सौगात देकर चलती है लहरों को दिशाओं की पहचान दिलाती है।

सपनों की धारा जब एक एहसास भी भरती है दिशाओं को आशाएं लहरों की कहानी देकर चलती है इरादों को किनारों की पहचान दिलाती है।

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                               उजालों से अरमानों की। उजालों से अरमानों की मुस्कान एहसास दिलाती है लहरों को इशारों की समझ अहमियत देकर जाती है...