Wednesday 5 June 2024

कविता. ५१९४. किनारों को लहरों की।

                                 किनारों को लहरों की।

किनारों को लहरों की पुकार इशारा देती है कदमों संग आशाओं की आहट सरगम दिलाती है उजालों को सपनों की सुबह एहसास सुनाती है।

किनारों को लहरों की आस अल्फाज देती है नजारों संग आवाजों की धून अफसाना दिलाती है लहरों को इशारों की रोशनी एहसास सुनाती है।

किनारों को लहरों की कोशिश अरमान देती है खयालों संग अंदाजों की आस तलाश दिलाती है दिशाओं को बदलावों की मुस्कान एहसास सुनाती है।

किनारों को लहरों की परख सुबह देती है अफसानों संग धाराओं की समझ सौगात दिलाती है तरानों को उम्मीदों की कहानी एहसास सुनाती है।

किनारों को लहरों की आहट तराना देती है आवाजों संग उम्मीदों की कोशिश दास्तान दिलाती है अंदाजों को इरादों की आस एहसास सुनाती है।

किनारों को लहरों की समझ नजारा देती है जज्बातों संग अरमानों की उमंग आवाज दिलाती है राहों को नजारों की कोशिश एहसास सुनाती है।

किनारों को लहरों की सरगम आस देती है दिशाओं संग खयालों की मुस्कान सपना दिलाती है इशारों को आशाओं की पहचान एहसास सुनाती है।

किनारों को लहरों की दास्तान बदलाव देती है अरमानों संग लम्हों की सुबह अहमियत दिलाती है दास्तानों को अदाओं की पुकार एहसास सुनाती है।

किनारों को लहरों की कहानी अफसाना देती है दास्तानों संग आशाओं की कोशिश रोशनी दिलाती है दिशाओं को नजारों की सोच एहसास सुनाती है।

किनारों को लहरों की राह आवाज देती है बदलावों संग तरानों की पुकार पहचान दिलाती है खयालों को उजालों की मुस्कान एहसास सुनाती है।

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कविता. ५२७०. उजालों से अरमानों की।

                               उजालों से अरमानों की। उजालों से अरमानों की मुस्कान एहसास दिलाती है लहरों को इशारों की समझ अहमियत देकर जाती है...