Sunday 2 June 2024

कविता. ५१९१. उजालों को नजारों की।

                               उजालों को नजारों की।

उजालों को नजारों की सुबह पहचान सुनाती है तरानों से आशाओं की समझ तलाश दिलाती है अरमानों को दिशाओं की सरगम किनारा दिलाती है।

उजालों को नजारों की राह कोशिश सुनाती है इरादों से आवाजों की धून अहमियत दिलाती है लहरों को एहसासों की कहानी किनारा दिलाती है।

उजालों को नजारों की उमंग तलाश सुनाती है कदमों से अंदाजों की कहानी सरगम दिलाती है आवाजों को राहों की उम्मीद किनारा दिलाती है।

उजालों को नजारों की आस अल्फाज सुनाती है अंदाजों से जज्बातों की सौगात सोच दिलाती है अफसानों को आशाओं की सुबह किनारा दिलाती है।

उजालों को नजारों की कहानी सरगम सुनाती है दिशाओं से बदलावों की मुस्कान आहट दिलाती है अंदाजों को लम्हों की आहट किनारा दिलाती है।

उजालों को नजारों की उम्मीद परख सुनाती है दास्तानों से अल्फाजों की सोच सुबह दिलाती है इशारों को सपनों की सौगात किनारा दिलाती है।

उजालों को नजारों की अदा लहर सुनाती है अल्फाजों से धाराओं की सरगम पहचान दिलाती है दास्तानों को खयालों की कहानी किनारा दिलाती है।

उजालों को नजारों की रोशनी बदलाव सुनाती है अरमानों से दास्तानों की कोशिश उमंग दिलाती है बदलावों को इरादों की उमंग किनारा दिलाती है।

उजालों को नजारों की आवाज दास्तान सुनाती है जज्बातों से एहसासों की सौगात तराना दिलाती है राहों को अफसानों की समझ किनारा दिलाती है।

उजालों को नजारों की सौगात आहट सुनाती है उम्मीदों से आवाजों की धून अफसाना दिलाती है दिशाओं को कदमों की सोच किनारा दिलाती है।

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