Saturday 1 June 2024

कविता. ५१९०. इशारों से जुड़कर।

                               इशारों से जुड़कर।

इशारों से जुड़कर कदमों की आहट पहचान दिलाती है लहरों को एहसासों की समझ तलाश सुनाती है उम्मीदों को किनारों की परख सुनाती है।

इशारों से जुड़कर आशाओं की सोच अफसाना दिलाती है उजालों को सपनों की सुबह पुकार सुनाती है नजारों को राहों की परख सुनाती है।

इशारों से जुड़कर आवाजों की कोशिश अल्फाज दिलाती है लम्हों को दास्तानों की सौगात आस सुनाती है कदमों को उजालों की परख सुनाती है।

इशारों से जुड़कर किनारों की समझ आहट दिलाती है लहरों को नजारों की कहानी सुबह सुनाती है लम्हों को खयालों की परख सुनाती है।

इशारों से जुड़कर किनारों की आस इरादा दिलाती है आवाजों को अदाओं की सरगम सपना सुनाती है जज्बातों को अंदाजों की परख सुनाती है।

इशारों से जुड़कर अंदाजों की अदा पुकार दिलाती है दास्तानों को एहसासों की आहट कोशिश सुनाती है बदलावों को राहों की परख सुनाती है।

इशारों से जुड़कर दिशाओं की सौगात नजारा दिलाती है उजालों को बदलावों की मुस्कान सपना सुनाती है उम्मीदों को खयालों की परख सुनाती है।

इशारों से जुड़कर दिशाओं की उमंग कहानी दिलाती है लम्हों को अरमानों की सोच अहमियत सुनाती है किनारों को अल्फाजों की परख सुनाती है।

इशारों से जुड़कर दिशाओं की रोशनी आवाज दिलाती है लहरों को आशाओं की सौगात दास्तान सुनाती है सपनों को एहसासों की परख सुनाती है।

इशारों से जुड़कर दिशाओं की आहट समझ दिलाती है एहसासों को तरानों की कोशिश अदा सुनाती है अल्फाजों को आवाजों की परख सुनाती है।

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कविता. ५२७०. उजालों से अरमानों की।

                               उजालों से अरमानों की। उजालों से अरमानों की मुस्कान एहसास दिलाती है लहरों को इशारों की समझ अहमियत देकर जाती है...