Monday, 16 September 2024

कविता. ५२६७. आशाओं को उम्मीदों की।

                         आशाओं को उम्मीदों की।

आशाओं को उम्मीदों की समझ सरगम सुनाती है तरानों को अरमानों की आहट मुस्कान दिलाती है खयालों संग आस तलाश देकर जाती है।

आशाओं को उम्मीदों की कहानी पहचान सुनाती है राहों को रोशनी की समझ सरगम दिलाती है दास्तानों संग बदलाव तलाश देकर जाती है।

आशाओं को उम्मीदों की परख अफसाना सुनाती है लहरों को इशारों की कोशिश आहट दिलाती है नजारों संग उमंग देकर जाती है।

आशाओं को उम्मीदों की सोच कोशिश सुनाती है अंदाजों को सपनों की आस आवाज दिलाती है कदमों संग सुबह देकर जाती है।

आशाओं को उम्मीदों की मुस्कान तलाश सुनाती है जज्बातों को दिशाओं की कहानी पहचान दिलाती है लहरों संग अदा देकर जाती है।

आशाओं को उम्मीदों की सौगात तराना सुनाती है लम्हों को लहरों की आहट नजारा दिलाती है किनारों संग सौगात देकर जाती है।

आशाओं को उम्मीदों की आस समझ सुनाती है एहसासों को कदमों की पुकार अफसाना दिलाती है अंदाजों संग आहट देकर जाती है।

आशाओं को उम्मीदों की सुबह उम्मीद सुनाती है खयालों को अरमानों की परख लहर दिलाती है सपनों संग पुकार देकर जाती है।

आशाओं को उम्मीदों की उमंग लहर सुनाती है अफसानों को नजारों की आस एहसास दिलाती है अदाओं संग पहचान देकर जाती है।

आशाओं को उम्मीदों की रोशनी सोच सुनाती है तरानों को बदलावों की सौगात कोशिश दिलाती है सपनों संग लम्हा देकर जाती है।


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कविता. ५५५४. आशाओं की सरगम संग।

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