Wednesday 18 September 2024

कविता ५२६९ . उम्मीद अक्सर जज्बातों में।

                             उम्मीद अक्सर जज्बातों में। 

उम्मीद अक्सर जज्बातों में बसकर सांसें भरती है आशाओं को अंदाजों की मुस्कान तराने देकर चलती है अरमानों को सपनों की सुबह देकर चलती है।

उम्मीद अक्सर जज्बातों में बसकर इशारा भरती है आवाजों को अल्फाजों की आस नजारे देकर चलती है उजालों को बदलावों की रोशनी देकर चलती है।

उम्मीद अक्सर जज्बातों में बसकर सपना भरती है दास्तानों को एहसासों की कहानी इरादे देकर चलती है खयालों को लहरों की आस देकर चलती है।

उम्मीद अक्सर जज्बातों में बसकर अल्फाज भरती है कदमों को अदाओं की पुकार किनारे देकर जाती है आवाजों को खयालों की समझ देकर चलती है।

उम्मीद अक्सर जज्बातों में बसकर सरगम भरती है लम्हों को दास्तानों की परख अफसाने देकर जाती है किनारों को दिशाओं की कहानी देकर चलती है।

उम्मीद अक्सर जज्बातों में बसकर सौगात भरती है अंदाजों को कदमों की पुकार लहरे देकर जाती है एहसासों को आवाजों की धून देकर चलती है।

उम्मीद अक्सर जज्बातों में बसकर आहट भरती है तरानों को उजालों की सरगम दास्तानें देकर जाती है कदमों को अदाओं की पहचान देकर चलती है।

उम्मीद अक्सर जज्बातों में बसकर कोशिश भरती है राहों को सपनों की सोच उजाले देकर जाती है दास्तानों को लम्हों की समझ देकर चलती है।

उम्मीद अक्सर जज्बातों में बसकर अदाएं भरती है कदमों को बदलावों की आहट लम्हे देकर जाती है अल्फाजों को नजारों की रोशनी देकर चलती है।

उम्मीद अक्सर जज्बातों में बसकर आस भरती है किनारों को लहरों की कहानी अफसाने देकर जाती है इरादों को अरमानों की सुबह देकर चलती है।

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