Wednesday 25 September 2024

कविता. ५२७६. मुस्कान से जुडकर।

                                  मुस्कान से जुडकर।

मुस्कान से जुडकर किनारों की पहचान सरगम दिलाती है लहरों को इशारों की पुकार अहमियत दिलाती है कदमों को उजालों की कोशिश आवाज दिलाती है।

मुस्कान से जुडकर जज्बातों की तलाश सहारा दिलाती है कदमों को अंदाजों की परख दास्तान दिलाती है अदाओं को लहरों की उमंग आवाज दिलाती है।

मुस्कान से जुडकर दास्तानों की आस अल्फाज दिलाती है किनारों को तरानों की आहट बदलाव दिलाती है अफसानों को सपनों की पुकार आवाज दिलाती है।

मुस्कान से जुडकर नजारों की समझ आस दिलाती है राहों को अरमानों की बदलाव दिलाती है आशाओं को खयालों की समझ आवाज दिलाती है।

मुस्कान से जुडकर अंदाजों की सुबह दास्तान दिलाती है आवाजों को अदाओं की उम्मीद दिलाती है इरादों को एहसासों की कहानी आवाज दिलाती है।

मुस्कान से जुडकर आशाओं की परख अफसाना दिलाती है दिशाओं को खयालों की सोच दिलाती है नजारों को राहों की सौगात आवाज दिलाती है।

मुस्कान से जुडकर राहों की कहानी कोशिश दिलाती है लहरों को नजारों की सौगात दिलाती है उजालों को बदलावों की सोच आवाज दिलाती है।

मुस्कान से जुडकर दिशाओं की उमंग तराना दिलाती है इशारों को खयालों की अदा दिलाती है कदमों को किनारों की पुकार आवाज दिलाती है।

मुस्कान से जुडकर अफसानों की उम्मीद आस दिलाती है उजालों को सपनों की सुबह दिलाती है लहरों को खयालों की परख आवाज दिलाती है।

मुस्कान से जुडकर नजारों की सौगात इशारा दिलाती है कदमों को अंदाजों की अहमियत दिलाती है नजारों को दास्तानों की परख आवाज दिलाती है।


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