Saturday 5 October 2024

कविता. ५२८६. जज्बात से जुडकर।

                              जज्बात से जुडकर।

जज्बात से जुडकर मुस्कान इशारा देती है किनारों को अल्फाजों की रोशनी अफसाना देती है एहसासों की कहानी अक्सर अरमान देती है।

जज्बात से जुडकर आवाज पुकार देती है तरानों को उम्मीदों की अहमियत खयाल देती है बदलावों की सौगात अक्सर अरमान देती है।

जज्बात से जुडकर कोशिश सरगम देती है लहरों को अफसानों की मुस्कान किनारा देती है कदमों की आहट अक्सर अरमान देती है।

जज्बात से जुडकर परख रोशनी देती है नजारों को उजालों की पहचान सहारा देती है खयालों की सरगम अक्सर अरमान देती है।

जज्बात से जुडकर पुकार कोशिश देती है इशारों को अंदाजों की उमंग तलाश देती है आवाजों की पुकार अक्सर अरमान देती है।

जज्बात से जुडकर आस अल्फाज देती है लम्हों को दास्तानों की सुबह सपना देती है आशाओं की मुस्कान अक्सर अरमान देती है।

जज्बात से जुडकर अंदाज पहचान देती है दिशाओं को अदाओं की तलाश दास्तान देती है लहरों की कोशिश अक्सर अरमान देती है।

जज्बात से जुडकर अफसाना सोच देती है दास्तानों को सपनों की उम्मीद उजाला देती है किनारों की पहचान अक्सर अरमान देती है।

जज्बात से जुडकर समझ इरादा देती है कदमों को आवाजों की मुस्कान नजारा देती है अंदाजों की अहमियत अक्सर अरमान देती है।

जज्बात से जुडकर सौगात राह देती है अफसानों को आशाओं की कहानी बदलाव देती है लम्हों की दास्तान अक्सर अरमान देती है।

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कविता. ५२८६. जज्बात से जुडकर।

                              जज्बात से जुडकर। जज्बात से जुडकर मुस्कान इशारा देती है किनारों को अल्फाजों की रोशनी अफसाना देती है एहसासों की ...