Friday, 1 August 2025

कविता. ५५८६. अंदाजों को जज्बात संग।

                         अंदाजों को जज्बात संग।

अंदाजों को जज्बात संग कदमों की आस अरमान दिलाती है उजालों से जुडकर उम्मीदों की सौगात खयाल‌ दिलाती है।

अंदाजों को जज्बात संग किनारों की मुस्कान अल्फाज दिलाती है लहरों से जुडकर दास्तानों की परख‌‌ खयाल दिलाती है।

अंदाजों को जज्बात संग आवाजों की धून अहमियत दिलाती है आशाओं से जुडकर दिशाओं की कोशिश खयाल दिलाती है।

अंदाजों को जज्बात संग उजालों की सुबह अफसाना दिलाती है इशारों से जुडकर तरानों की आहट खयाल दिलाती है।

अंदाजों को जज्बात संग लहरों की कहानी सौगात दिलाती है बदलावों से जुडकर नजारों की आस खयाल दिलाती है।

अंदाजों को जज्बात संग अदाओं की तलाश सरगम दिलाती है सपनों से जुडकर आवाजों की पहचान खयाल‌ दिलाती है।

अंदाजों को जज्बात संग इशारों की सोच बदलाव दिलाती है अफसानों से जुडकर उजालों की पुकार खयाल दिलाती है।

अंदाजों को जज्बात संग राहों की उमंग आवाज दिलाती है एहसासों से जुडकर तरानों की समझ खयाल दिलाती है।

अंदाजों को जज्बात संग उम्मीदों की राह लहर दिलाती है अफसानों से जुडकर किनारों की पहचान खयाल दिलाती है।

अंदाजों को जज्बात संग दिशाओं की महफिल दास्तान दिलाती है लम्हों से जुडकर धाराओं की आस खयाल दिलाती है।


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