Monday, 11 August 2025

कविता. ५५९६. किनारों को अंदाजों की।

                           किनारों को अंदाजों की।

किनारों को अंदाजों की पुकार अक्सर तरानों की सरगम से अल्फाज दिलाती है लहरों को खयालों की सोच उमंग दिलाती है।

किनारों को अंदाजों की आहट अक्सर अरमानों की कोशिश से उम्मीद दिलाती है इशारों को जज्बातों की पुकार उमंग दिलाती है।

किनारों को अंदाजों की रोशनी अक्सर नजारों की आस से सौगात दिलाती है आशाओं को बदलावों की आहट उमंग दिलाती है।

किनारों को अंदाजों की परख अक्सर लम्हों की कहानी से बदलाव दिलाती है दास्तानों को सपनों की समझ उमंग दिलाती है।

किनारों को अंदाजों की पहचान अक्सर दिशाओं की सोच से अरमान दिलाती है उजालों को कदमों की लहर उमंग दिलाती है।

किनारों को अंदाजों की आवाज अक्सर राहों की रोशनी से लहर दिलाती है नजारों को उम्मीदों की सौगात उमंग दिलाती है।

किनारों को अंदाजों की आस अक्सर दास्तानों की सुबह से अहमियत दिलाती है अफसानों को धाराओं की पुकार उमंग दिलाती है।

किनारों को अंदाजों की समझ अक्सर आवाजों की समझ से इरादा दिलाती है लम्हों को एहसासों की आस उमंग दिलाती है।

किनारों को अंदाजों की सोच अक्सर अरमानों की पुकार से मुस्कान दिलाती है कदमों को दिशाओं की महफिल उमंग दिलाती है।

किनारों को अंदाजों की सरगम अक्सर उम्मीदों की तलाश से पहचान दिलाती है तरानों को आशाओं की अहमियत उमंग दिलाती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५६०८. अरमानों के एहसासों की।

                       अरमानों के एहसासों की। अरमानों के एहसासों की पुकार इरादा देकर जाती है खयालों को सपनों की कोशिश तलाश दिलाती है उजालों ...