Monday, 4 August 2025

कविता. ५५८९. किनारों की मुस्कान अक्सर।

                        किनारों की मुस्कान अक्सर।

किनारों की मुस्कान अक्सर लहरों की कहानी सुनाती है तरानों को एहसासों की कोशिश पहचान देकर आगे बढती जाती है।

किनारों की मुस्कान अक्सर उजालों की सरगम सुनाती है खयालों को नजारों की आहट आवाज देकर आगे बढती जाती है।

किनारों की मुस्कान अक्सर अरमानों की उमंग सुनाती है जज्बातों को कदमों की सौगात अफसाना देकर आगे बढती जाती है।

किनारों की मुस्कान अक्सर राहों की पहचान सुनाती है दास्तानों को लहरों की कहानी बदलाव देकर आगे बढती जाती है।

किनारों की मुस्कान अक्सर अदाओं की धून सुनाती है आशाओं को अंदाजों की पुकार उम्मीद देकर आगे बढती जाती है।

किनारों की मुस्कान अक्सर दिशाओं की आस सुनाती है धाराओं को इशारों की तलाश दास्तान देकर आगे बढती जाती है।

किनारों की मुस्कान अक्सर इरादों की सोच सुनाती है आवाजों को नजारों की सरगम कोशिश देकर आगे बढती जाती है।

किनारों की मुस्कान अक्सर अंदाजों की रोशनी सुनाती है अरमानों को राहों की उमंग सोच देकर आगे बढती जाती है।

किनारों की मुस्कान अक्सर जज्बातों की पुकार सुनाती है अल्फाजों को सपनों की परख अरमान देकर आगे बढती जाती है।

किनारों की मुस्कान अक्सर खयालों की परख सुनाती है इशारों को उजालों की सुबह अहमियत देकर आगे बढती जाती है।


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कविता. ५६०८. अरमानों के एहसासों की।

                       अरमानों के एहसासों की। अरमानों के एहसासों की पुकार इरादा देकर जाती है खयालों को सपनों की कोशिश तलाश दिलाती है उजालों ...