Friday, 22 August 2025

कविता. ५६०७. किनारों की आस अक्सर।

                         किनारों की आस अक्सर।

किनारों की आस अक्सर एहसासों की समझ‌ दिलाती है उजालों को सपनों की मुस्कान अफसाना सुनाती है अदाओं की कोशिश दिलाती है।

किनारों की आस अक्सर अरमानों की इरादा‌ दिलाती है जज्बातों को बदलावों की पुकार पहचान सुनाती है अंदाजों की कोशिश दिलाती है।

किनारों की आस अक्सर तरानों की सरगम दिलाती है राहों को उम्मीदों की सौगात उमंग सुनाती है इशारों की कोशिश दिलाती है।

किनारों की आस अक्सर अल्फाजों की दुनिया दिलाती है तरानों को इरादों की सुबह तलाश सुनाती है सपनों की कोशिश दिलाती है।

किनारों की आस अक्सर दास्तानों की आवाज दिलाती है बदलावों को मुस्कान की सोच पहचान सुनाती है खयालों की कोशिश दिलाती है।

किनारों की आस अक्सर अदाओं की सुबह दिलाती है नजारों को जज्बातों की रोशनी उम्मीद सुनाती है उम्मीदों की कोशिश दिलाती है।

किनारों की आस अक्सर अफसानों की सोच दिलाती है कदमों को लहरों की कहानी मुस्कान सुनाती है बदलावों की कोशिश दिलाती है।

किनारों की आस अक्सर दिशाओं की महफिल दिलाती है सपनों को आवाजों की धून आस सुनाती है तरानों की कोशिश दिलाती है।

किनारों की आस अक्सर नजारों की राह दिलाती है अरमानों को आशाओं की महफिल उमंग सुनाती है खयालों की कोशिश दिलाती है।

किनारों की आस अक्सर अल्फाजों की उमंग दिलाती है इशारों को कदमों की पहचान लहर सुनाती है राहों की कोशिश दिलाती है।


No comments:

Post a Comment

कविता. ५६०८. अरमानों के एहसासों की।

                       अरमानों के एहसासों की। अरमानों के एहसासों की पुकार इरादा देकर जाती है खयालों को सपनों की कोशिश तलाश दिलाती है उजालों ...