Wednesday, 13 August 2025

कविता. ५५९८. अंदाजों की पहचान संग।

                          अंदाजों की पहचान संग।

अंदाजों की पहचान संग आशाओं की सरगम तलाश देकर जाती है राहों को अल्फाजों की दुनिया अहमियत देकर जाती है।

अंदाजों की पहचान संग आवाजों की धून कोशिश देकर जाती है लहरों को दास्तानों की समझ अहमियत देकर जाती है।

अंदाजों की पहचान संग नजारों की आहट सरगम देकर जाती है खयालों को सपनों की आस अहमियत देकर जाती है।

अंदाजों की पहचान संग उजालों की रोशनी सुबह देकर जाती है अफसानों को कदमों की पुकार अहमियत देकर जाती है।

अंदाजों की पहचान संग लहरों की आस सौगात देकर जाती है बदलावों को किनारों की मुस्कान अहमियत देकर जाती है।

अंदाजों की पहचान संग जज्बातों की उमंग एहसास देकर जाती है इशारों को अरमानों की परख अहमियत देकर जाती है।

अंदाजों की पहचान संग दिशाओं की उम्मीद तराना देकर जाती है लम्हों को इरादों की सोच अहमियत देकर जाती है।

अंदाजों की पहचान संग अरमानों की पुकार सहारा देकर जाती है उजालों को आशाओं की कोशिश अहमियत देकर जाती है।

अंदाजों की पहचान संग राहों की लहर अल्फाज देकर जाती है किनारों को सपनों की आस अहमियत देकर जाती है।

अंदाजों की पहचान संग बदलावों की सुबह कोशिश देकर जाती है आवाजों को धाराओं की राह अहमियत देकर जाती है।

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कविता. ५६०८. अरमानों के एहसासों की।

                       अरमानों के एहसासों की। अरमानों के एहसासों की पुकार इरादा देकर जाती है खयालों को सपनों की कोशिश तलाश दिलाती है उजालों ...