Sunday, 17 August 2025

कविता. ५६०२. किनारों को कदमों की।

                         किनारों को कदमों की।

किनारों को कदमों की तलाश इशारा दिलाती है एहसासों को लम्हों की अहमियत सोच सुनाती है दिशाओं की उमंग दिलाती है।

किनारों को कदमों की आस अफसाना दिलाती है अरमानों को इशारों की कोशिश पुकार सुनाती है तरानों की उमंग दिलाती है।

किनारों को कदमों की लहर बदलाव दिलाती है दास्तानों को आवाजों की धून मुस्कान सुनाती है नजारों की उमंग दिलाती है।

किनारों को कदमों की सोच उजाला दिलाती है खयालों को सपनों की पहचान उम्मीद सुनाती है जज्बातों की उमंग दिलाती है।

किनारों को कदमों की राह आवाज दिलाती है अदाओं को एहसासों की समझ तराना सुनाती है उजालों की उमंग दिलाती है।

किनारों को कदमों की परख लहर दिलाती है आशाओं को बदलावों की आस सरगम सुनाती है धाराओं की उमंग दिलाती है।

किनारों को कदमों की सौगात सुबह दिलाती है राहों को अल्फाजों की दुनिया सपना सुनाती है उम्मीदों की उमंग दिलाती है।

किनारों को कदमों की कहानी इरादा दिलाती है लम्हों को अफसानों की सोच आवाज सुनाती है अंदाजों की उमंग दिलाती है।

किनारों को कदमों की समझ नजारा दिलाती है तरानों को धाराओं की अदा अहमियत सुनाती है खयालों की उमंग दिलाती है।

किनारों को कदमों की रोशनी बदलाव दिलाती है इशारों को नजारों की आहट सुबह सुनाती है अदाओं की उमंग दिलाती है।

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कविता. ५६०८. अरमानों के एहसासों की।

                       अरमानों के एहसासों की। अरमानों के एहसासों की पुकार इरादा देकर जाती है खयालों को सपनों की कोशिश तलाश दिलाती है उजालों ...