Sunday, 11 May 2025

कविता. ५५०४. दिशाओं की महफिल अक्सर।

                      दिशाओं की महफिल अक्सर।

दिशाओं की महफिल अक्सर आशाओं की पहचान दिलाती है लम्हों को सपनों की आहट समझ देकर आगे बढती जाती है।

दिशाओं की महफिल अक्सर आवाजों की धून दिलाती है उजालों को अरमानों की उमंग आस देकर आगे बढती जाती है।

दिशाओं की महफिल अक्सर जज्बातों की रोशनी दिलाती है जज्बातों को बदलावों की कोशिश कहानी देकर आगे बढती जाती है।

दिशाओं की महफिल अक्सर अंदाजों की पुकार दिलाती है उम्मीदों को तरानों की सरगम इशारा देकर आगे बढती जाती है।

दिशाओं की महफिल अक्सर एहसासों की तलाश दिलाती है अदाओं को खयालों की सुबह दास्तान देकर आगे बढती जाती है।

दिशाओं की महफिल अक्सर अरमानों की दास्तान दिलाती है कदमों को अल्फाजों की दुनिया अफसाना देकर आगे बढती जाती है।

दिशाओं की महफिल अक्सर उजालों की रोशनी दिलाती है लहरों को खयालों की पहचान सुबह देकर आगे बढती जाती है।

दिशाओं की महफिल अक्सर अदाओं की पहचान दिलाती है किनारों को कदमों की आस परख देकर आगे बढती जाती है।

दिशाओं की महफिल अक्सर राहों की सौगात दिलाती है एहसासों को बदलावों की रोशनी इशारा देकर आगे बढती जाती है।

दिशाओं की महफिल अक्सर लहरों की कोशिश दिलाती है नजारों को आवाजों की धून आहट देकर आगे बढती जाती है।

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