Sunday, 18 May 2025

कविता. ५५११. आशाओं की सरगम अक्सर।

                      आशाओं की सरगम अक्सर।

आशाओं की सरगम अक्सर दिशाओं को किनारों की सौगात दिलाती है लम्हों को एहसासों की सुबह पुकार सुनाकर जाती है।

आशाओं की सरगम अक्सर सपनों को अरमानों की महफिल दिलाती है राहों को बदलावों की कोशिश पुकार सुनाकर जाती है।

आशाओं की सरगम अक्सर अंदाजों को नजारों की दास्तान दिलाती है इशारों को जज्बातों की आहट पुकार सुनाकर जाती है।

आशाओं की सरगम अक्सर तरानों को खयालों की आस दिलाती है अफसानों को कदमों की पहचान पुकार सुनाकर जाती है।

आशाओं की सरगम अक्सर लहरों को अदाओं की धून दिलाती है उजालों को नजारों की अहमियत पुकार सुनाकर जाती है।

आशाओं की सरगम अक्सर किनारों को अल्फाजों की उमंग दिलाती है अरमानों को लम्हों की महफिल पुकार सुनाकर जाती है।

आशाओं की सरगम अक्सर उम्मीदों को कदमों की पहचान सोच दिलाती है अल्फाजों को दास्तानों की समझ पुकार सुनाकर जाती है।

आशाओं की सरगम अक्सर लम्हों को इरादों की समझ कोशिश दिलाती है कदमों को खयालों की आस पुकार सुनाकर जाती है।

आशाओं की सरगम अक्सर दास्तानों को अरमानों की सोच इशारा दिलाती है उजालों को सपनों की महफिल पुकार सुनाकर जाती है।

आशाओं की सरगम अक्सर उजालों को आवाजों की धून एहसास दिलाती है तरानों को अफसानों की सोच पुकार सुनाकर जाती है।

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कविता. ५५५४. आशाओं की सरगम संग।

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