Tuesday, 6 May 2025

कविता. ५४९९. अल्फाजों की सरगम संग।

                         अल्फाजों की सरगम संग।

अल्फाजों की सरगम संग एहसास सुनाती है कदमों को अरमानों की सुबह अफसाना दिलाती है इशारों को जज्बातों की महफिल सुनाती है।

अल्फाजों की सरगम संग मुस्कान सुनाती है खयालों को नजारों की आहट पहचान दिलाती है तरानों को इशारों की महफिल सुनाती है।

अल्फाजों की सरगम संग उमंग सुनाती है लहरों को एहसासों की कोशिश इरादा दिलाती है उजालों को आशाओं की महफिल सुनाती है।

अल्फाजों की सरगम संग परख सुनाती है किनारों को अंदाजों की मुस्कान आस दिलाती है अफसानों को लम्हों की महफिल सुनाती है।

अल्फाजों की सरगम संग आवाज सुनाती है राहों को बदलावों की सौगात समझ‌ दिलाती है कदमों को उम्मीदों की महफिल सुनाती है।

अल्फाजों की सरगम संग दास्तान सुनाती है अदाओं को खयालों की सुबह तलाश दिलाती है दिशाओं को सपनों की महफिल सुनाती है।

अल्फाजों की सरगम संग कोशिश सुनाती है दिशाओं को आवाजों की धून परख दिलाती है बदलावों को धाराओं की महफिल सुनाती है।

अल्फाजों की सरगम संग पहचान सुनाती है उम्मीदों को लहरों की अहमियत रोशनी दिलाती है राहों को आवाजों की महफिल सुनाती है।

अल्फाजों की सरगम संग अंदाज सुनाती है नजारों को इशारों की कहानी पहचान दिलाती है उजालों को दिशाओं की महफिल सुनाती है।

अल्फाजों की सरगम संग उम्मीद सुनाती है आवाजों को दास्तानों की रोशनी लहर दिलाती है इरादों को किनारों की महफिल सुनाती है।

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कविता. ५५५४. आशाओं की सरगम संग।

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