Thursday, 29 May 2025

कविता. ५५२२. आवाज की पुकार अक्सर।

                        आवाज की पुकार अक्सर।

आवाज की पुकार अक्सर एहसासों की कोशिश दिलाती है राहों संग कदमों की सौगात तलाश दिलाती है इरादों की आहट सुनाती है।

आवाज की पुकार अक्सर अरमानों की सुबह दिलाती है दिशाओं संग खयालों की मुस्कान अल्फाज दिलाती है लम्हों की आहट सुनाती है।

आवाज की पुकार अक्सर अंदाजों की राह दिलाती है आशाओं संग जज्बातों की परख अफसाना दिलाती है किनारों की आहट सुनाती है।

आवाज की पुकार अक्सर नजारों की आस दिलाती है अरमानों संग अदाओं की सरगम बदलाव दिलाती है दास्तानों की आहट सुनाती है।

आवाज की पुकार अक्सर लहरों की कहानी दिलाती है उजालों संग उम्मीदों की रोशनी कोशिश दिलाती है अदाओं की आहट सुनाती है।

आवाज की पुकार अक्सर आशाओं की पहचान दिलाती है तरानों संग इशारों की सोच उमंग दिलाती है अफसानों की आहट सुनाती है।

आवाज की पुकार अक्सर उम्मीदों की आस दिलाती है कदमों संग सपनों की सुबह अरमान दिलाती है नजारों की आहट सुनाती है।

आवाज की पुकार अक्सर अल्फाजों की सरगम दिलाती है दास्तानों संग जज्बातों की कोशिश तराना दिलाती है तरानों की आहट सुनाती है।

आवाज की पुकार अक्सर कदमों की सोच बदलाव दिलाती है अल्फाजों संग किनारों की आस लहर दिलाती है अंदाजों की आहट सुनाती है।

आवाज की पुकार अक्सर इरादों की समझ अफसाना दिलाती है तरानों संग इशारों की सरगम लम्हा दिलाती है उजालों की आहट सुनाती है।



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