Monday, 5 May 2025

कविता. ५४९८. लहरों की पुकार से।

                           लहरों की पुकार से।

लहरों की पुकार से अरमान दिलाती है इशारों को जज्बातों संग अल्फाज मुस्कान सुनाती है अदाओं की पहचान दिलाती है।

लहरों की पुकार से कहानी दिलाती है सपनों को राहों संग अहमियत पुकार सुनाती है आशाओं की पहचान दिलाती है।

लहरों की पुकार से तलाश दिलाती है उजालों को अंदाजों की आस अफसाना सुनाती है लम्हों की पहचान दिलाती है।

लहरों की पुकार से नजारा दिलाती है जज्बातों को बदलावों की उमंग परख सुनाती है एहसासों की पहचान दिलाती है।

लहरों की पुकार से उम्मीद दिलाती है खयालों को कदमों की सौगात इरादा सुनाती है तरानों की‌ पहचान दिलाती है।

लहरों की पुकार से सरगम दिलाती है अरमानों को किनारों की धून दास्तान सुनाती है अल्फाजों की पहचान दिलाती है।

लहरों की पुकार से कोशिश दिलाती है दिशाओं को उजालों की सुबह सोच सुनाती है उम्मीदों की पहचान दिलाती है।

लहरों की पुकार से अफसाना दिलाती है अंदाजों को लम्हों की कहानी पुकार सुनाती है दिशाओं की पहचान दिलाती है।

लहरों की पुकार से इशारा दिलाती है अफसानों को कदमों की आस खयाल सुनाती है दास्तानों की पहचान दिलाती है।

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