Tuesday, 27 May 2025

कविता. ५५२०. कदमों की पुकार अक्सर।

                          कदमों की पुकार अक्सर।

कदमों की पुकार अक्सर अरमान दिलाती है जज्बातों की मुस्कान संग तलाश एहसास दिलाती है लम्हों को अल्फाजों की दुनिया दिलाती है।

कदमों की पुकार अक्सर उमंग दिलाती है इशारों की सरगम संग दास्तान तलाश दिलाती है अफसानों को किनारों की दुनिया दिलाती है।

कदमों की पुकार अक्सर इरादा दिलाती है आशाओं की महफिल संग आस आवाज दिलाती है तरानों को बदलावों की दुनिया दिलाती है।

कदमों की पुकार अक्सर पहचान दिलाती है उजालों की रोशनी संग पहचान उम्मीद दिलाती है इरादों को लहरों की दुनिया दिलाती है।

कदमों की पुकार अक्सर आवाज दिलाती है दास्तानों की कहानी संग अहमियत कोशिश दिलाती है राहों को अंदाजों की दुनिया दिलाती है।

कदमों की पुकार अक्सर सपना दिलाती है एहसासों की समझ संग सोच अफसाना दिलाती है जज्बातों को खयालों की दुनिया दिलाती है।

कदमों की पुकार अक्सर आस दिलाती है खयालों की उम्मीद संग सौगात समझ दिलाती है लहरों को एहसासों की दुनिया दिलाती है।

कदमों की पुकार अक्सर अंदाज दिलाती है आवाजों की धून संग पहचान सरगम दिलाती है अदाओं को सपनों की दुनिया दिलाती है।

कदमों की पुकार अक्सर बदलाव दिलाती है किनारों की सुबह संग अदा कोशिश दिलाती है नजारों को दिशाओं की दुनिया दिलाती है।

कदमों की पुकार अक्सर नजारा दिलाती है इशारों की सोच संग लहर तराना दिलाती है अरमानों को राहों की दुनिया दिलाती है।

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कविता. ५५५४. आशाओं की सरगम संग।

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