Friday, 30 May 2025

कविता. ५५२३. जज्बात संग सपनों की।

                             जज्बात संग सपनों की।

जज्बात संग सपनों की पुकार अरमान जगाती है कदमों को अल्फाजों की दुनिया अफसाना सुनाती है तरानों की सरगम देकर जाती है।

जज्बात संग सपनों की आस खयाल जगाती है अंदाजों को नजारों की कोशिश पहचान सुनाती है इरादों की सरगम देकर जाती है।

जज्बात संग सपनों की दास्तान उमंग जगाती है आवाजों को बदलावों की आस एहसास सुनाती है लम्हों की सरगम देकर जाती है।

जज्बात संग सपनों की उम्मीद सोच जगाती है किनारों को उजालों की अहमियत मुस्कान सुनाती है इशारों की सरगम देकर जाती है।

जज्बात संग सपनों की राह कोशिश जगाती है अरमानों को खयालों की सोच पुकार सुनाती है बदलावों की सरगम देकर जाती है।

जज्बात संग सपनों की सुबह लहर जगाती है आशाओं को अदाओं की तलाश एहसास सुनाती है दिशाओं की सरगम देकर जाती है।

जज्बात संग सपनों की सौगात तलाश जगाती है राहों को किनारों की आहट परख सुनाती है उजालों की सरगम देकर जाती है।

जज्बात संग सपनों की समझ आहट जगाती है लहरों को एहसासों की दुनिया पुकार सुनाती है कदमों की सरगम देकर जाती है।

जज्बात संग सपनों की परख उमंग जगाती है अल्फाजों को राहों की रोशनी मुस्कान सुनाती है आशाओं की सरगम देकर जाती है।

जज्बात संग सपनों की राह किनारा जगाती है उम्मीदों को बदलावों की आहट अफसाना सुनाती है दास्तानों की सरगम देकर जाती है।

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कविता. ५५५४. आशाओं की सरगम संग।

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