Thursday, 8 May 2025

कविता. ५५०१. उजालों की सुबह अक्सर।

                       उजालों की सुबह अक्सर।

उजालों की सुबह अक्सर अफसाना सुनाती है अल्फाजों को राहों की रोशनी मुस्कान दिलाती है कदमों की सौगात दिलाती है।

उजालों की सुबह अक्सर कोशिश सुनाती है इशारों को जज्बातों की पहचान दास्तान दिलाती है खयालों की सौगात दिलाती है।

उजालों की सुबह अक्सर बदलाव सुनाती है सपनों को आशाओं की महफिल तलाश दिलाती है नजारों की सौगात दिलाती है।

उजालों की सुबह अक्सर आवाज सुनाती है अंदाजों को लहरों की कहानी आहट दिलाती है इरादों की सौगात दिलाती है।

उजालों की सुबह अक्सर सरगम सुनाती है दिशाओं को अरमानों की सोच एहसास दिलाती है किनारों की सौगात दिलाती है।

उजालों की सुबह अक्सर तराना सुनाती है आशाओं को अंदाजों की समझ पुकार दिलाती है उम्मीदों की सौगात दिलाती है।

उजालों की सुबह अक्सर अरमान सुनाती है लम्हों को अल्फाजों की दुनिया खयाल दिलाती है सपनों की सौगात दिलाती है।

उजालों की सुबह अक्सर सपना सुनाती है आवाजों को धाराओं की समझ आस दिलाती है अरमानों की सौगात दिलाती है।

उजालों की सुबह अक्सर परख सुनाती है बदलावों को अदाओं की धून पहचान दिलाती है लहरों की‌ सौगात दिलाती है।

उजालों की सुबह अक्सर आस सुनाती है अंदाजों को सपनों की आहट अफसाना दिलाती है आशाओं की सौगात दिलाती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५५५४. आशाओं की सरगम संग।

                          आशाओं की सरगम संग। आशाओं की सरगम संग खयालों की पहचान इशारा सुनाती है कदमों की सौगात अक्सर लम्हों की महफिल देकर जात...