Friday, 16 May 2025

कविता. ५५०९. किनारों को कदमों की।

                           किनारों को कदमों की।

किनारों को कदमों की सौगात पहचान सुनाती है आशाओं को अरमानों की उमंग सरगम सुनाती है अंदाजों की समझ खयाल सुनाती है।

किनारों को कदमों की रोशनी इरादा सुनाती है एहसासों को लहरों की कहानी अफसाना सुनाती है तरानों की आहट खयाल सुनाती है।

किनारों को कदमों की आस उम्मीद सुनाती है आवाजों को सपनों की धून अरमान सुनाती है जज्बातों की सोच खयाल सुनाती है।

किनारों को कदमों की समझ अरमान सुनाती है इशारों को तरानों की पहचान आवाज सुनाती है बदलावों की पुकार खयाल सुनाती है।

किनारों को कदमों की आहट मुस्कान सुनाती है लम्हों को इरादों की कोशिश अंदाज सुनाती है आशाओं की सौगात खयाल सुनाती है।

किनारों को कदमों की राह तराना सुनाती है अल्फाजों को नजारों की आस पुकार सुनाती है उजालों की सुबह खयाल सुनाती है।

किनारों को कदमों की लहर तलाश सुनाती है धाराओं को अरमानों की समझ तराना सुनाती है इशारों की अदा खयाल‌ सुनाती है।

किनारों को कदमों की आवाज धून‌ सुनाती है बदलावों को अंदाजों की पहचान दास्तान सुनाती है अफसानों की उमंग खयाल दिलाती है।

किनारों को कदमों की परख कोशिश सुनाती है लम्हों को उम्मीदों की अहमियत आवाज सुनाती है दास्तानों की पहचान खयाल दिलाती है।

किनारों को कदमों की बदलाव अल्फाज सुनाती है नजारों को दिशाओं की रोशनी अदा सुनाती है उम्मीदों की सोच खयाल दिलाती है।


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