Sunday, 1 June 2025

कविता. ५५२५. आवाजों की समझ अक्सर।

                       आवाजों की समझ अक्सर।

आवाजों की समझ अक्सर लम्हों की पहचान सुनाती है तरानों को जज्बातों की महफिल मुस्कान दिलाती है उजालों की सुबह दिलाती है।

आवाजों की समझ अक्सर नजारों की कोशिश सुनाती है एहसासों को कदमों की सौगात तलाश दिलाती है जज्बातों की सुबह दिलाती है।

आवाजों की समझ अक्सर अरमानों की सोच सुनाती है किनारों को अंदाजों की अहमियत आस दिलाती है सपनों की सुबह दिलाती है।

आवाजों की समझ अक्सर खयालों की पुकार सुनाती है इरादों को बदलावों की सोच अफसाना दिलाती है कदमों की सुबह दिलाती है।

आवाजों की समझ अक्सर दिशाओं की आहट सुनाती है उम्मीदों को नजारों की उमंग तलाश दिलाती है अदाओं की सुबह दिलाती है।

आवाजों की समझ अक्सर उजालों की उमंग सुनाती है लहरों को खयालों की सरगम अफसाना दिलाती है लम्हों की सुबह दिलाती है।

आवाजों की समझ अक्सर एहसासों की आस सुनाती है अंदाजों को इशारों की कोशिश अल्फाज दिलाती है किनारों की सुबह दिलाती है।

आवाजों की समझ अक्सर किनारों की मुस्कान सुनाती है राहों को अरमानों की रोशनी तराना दिलाती है अंदाजों की सुबह दिलाती है।

आवाजों की समझ अक्सर दास्तानों की परख सुनाती है अफसानों को आशाओं की सौगात बदलाव दिलाती है इरादों की सुबह दिलाती है।

आवाजों की समझ अक्सर अंदाजों की आस सुनाती है अल्फाजों को इरादों की अहमियत लहर दिलाती है बदलावों की सुबह दिलाती है।


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