Thursday, 19 June 2025

कविता. ५५४३. लम्हों की आस से।

                                लम्हों की आस से।

लम्हों की आस से अरमानों की कोशिश दिलाती है इशारों को जज्बातों की अहमियत आवाज सुनाती है तरानों को अदाओं की समझ सुनाती है।

लम्हों की आस से अंदाजों की पहचान दिलाती है उजालों को आशाओं की सरगम सपना सुनाती है जज्बातों को राहों की समझ सुनाती है।

लम्हों की आस से दास्तानों की सौगात दिलाती है खयालों को अफसानों की सोच उम्मीद सुनाती है अरमानों को इशारों की समझ सुनाती है।

लम्हों की आस से कदमों की सुबह दिलाती है अल्फाजों को नजारों की सौगात एहसास सुनाती है किनारों को बदलावों की समझ सुनाती है।

लम्हों की आस से उम्मीदों की रोशनी दिलाती है अरमानों को कदमों की कोशिश तलाश सुनाती है लहरों को अफसानों की समझ सुनाती है।

लम्हों की आस से दिशाओं की पुकार दिलाती है अदाओं को सपनों की आहट नजारा सुनाती है इरादों को एहसासों की समझ सुनाती है।

लम्हों की आस से उजालों की सोच दिलाती है किनारों को अंदाजों की पुकार मुस्कान सुनाती है लहरों को धाराओं की समझ सुनाती है।

लम्हों की आस से एहसासों की उमंग दिलाती है खयालों को राहों की तलाश अल्फाज सुनाती है उम्मीदों को आवाजों की समझ सुनाती है।

लम्हों की आस से इरादों की मुस्कान दिलाती है दास्तानों को तरानों की पहचान सहारा सुनाती है आवाजों को किनारों की समझ सुनाती है।

लम्हों की आस से खयालों की सरगम दिलाती है बदलावों को धाराओं की लहर अफसाना सुनाती है इशारों को उजालों की समझ सुनाती है।

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