Thursday, 12 June 2025

कविता. ५५३६. उम्मीद कोई नयासा।

                            उम्मीद कोई नयासा।

उम्मीद कोई नयासा एहसास सुनाती है लम्हों को अल्फाजों की सोच इशारा दिलाती है तरानों की पुकार सरगम सुनाती है।

उम्मीद कोई नयासा अफसाना सुनाती है आशाओं को अंदाजों की कोशिश तलाश दिलाती है लहरों की कहानी सरगम सुनाती है।

उम्मीद कोई नयासा अरमान सुनाती है जज्बातों को दिशाओं की महफिल सुबह दिलाती है सपनों की आहट सरगम सुनाती है।

उम्मीद कोई नयासा अंदाज सुनाती है आवाजों को धाराओं की समझ बदलाव दिलाती है लम्हों की आस सरगम सुनाती है।

उम्मीद कोई नयासा तराना सुनाती है दास्तानों को नजारों की पुकार खयाल दिलाती है कदमों की राह सरगम सुनाती है।

उम्मीद कोई नयासा इशारा सुनाती है सपनों को अंदाजों की आहट समझ दिलाती है एहसासों की परख सरगम सुनाती है।

उम्मीद कोई नयासा जज्बात सुनाती है धाराओं को इशारों की सौगात रोशनी दिलाती है किनारों की मुस्कान सरगम दिलाती है।

उम्मीद कोई नयासा इरादा सुनाती है लहरों को दिशाओं की महफिल उमंग दिलाती है खयालों की आहट सरगम दिलाती है।

उम्मीद कोई नयासा बदलाव सुनाती है राहों को लम्हों की अहमियत दास्तान दिलाती है नजारों की तलाश सरगम दिलाती है।

उम्मीद कोई नयासा सपना दिलाती है अफसानों को राहों की रोशनी सुबह दिलाती है इरादों की पहचान सरगम दिलाती है।

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कविता. ५६०८. अरमानों के एहसासों की।

                       अरमानों के एहसासों की। अरमानों के एहसासों की पुकार इरादा देकर जाती है खयालों को सपनों की कोशिश तलाश दिलाती है उजालों ...