Tuesday, 24 June 2025

कविता. ५५४८. लहरों की आस संग।

                           लहरों की आस संग।

लहरों की आस संग दास्तान सुनाती है कदमों की आवाज संग एहसासों की मुस्कान सुनाती है नजारों की पहचान दिलाती है।

लहरों की आस संग अल्फाज सुनाती है इशारों की पुकार संग अंदाजों की आहट सुनाती है बदलावों की पहचान दिलाती है।

लहरों की आस संग कोशिश सुनाती है अफसानों की मुस्कान संग इरादों की सरगम सुनाती है आशाओं की पहचान दिलाती है।

लहरों की आस संग पुकार सुनाती है एहसासों की आहट संग दिशाओं की अहमियत सुनाती है अदाओं की पहचान दिलाती है।

लहरों की आस संग उमंग सुनाती है खयालों की रोशनी संग बदलावों की परख सुनाती है लम्हों की पहचान दिलाती है।

लहरों की आस संग किनारा सुनाती है धाराओं की राह संग अरमानों की सोच सुनाती है दास्तानों की पहचान दिलाती है।

लहरों की आस संग समझ सुनाती है तरानों की सोच संग आवाजों की धून सुनाती है जज्बातों की पहचान दिलाती है।

लहरों की आस संग सपना सुनाती है इशारों की सुबह संग तरानों की कोशिश सुनाती है अल्फाजों की पहचान दिलाती है।

लहरों की आस संग तराना सुनाती है अंदाजों की सौगात संग कदमों की तलाश सुनाती है उजालों की पहचान दिलाती है।

लहरों की आस संग खयाल सुनाती है किनारों की सुबह संग इशारों की कोशिश सुनाती है दिशाओं की पहचान दिलाती है।

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कविता. ५५५४. आशाओं की सरगम संग।

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