Friday, 6 June 2025

कविता. ५५३०. एहसासों की पुकार संग।

                           एहसासों की पुकार संग।

एहसासों की पुकार संग आशाओं से मुस्कान तराना दिलाती है कदमों की सौगात अक्सर अरमान सुनाती है उजालों की सुबह दिलाती 

एहसासों की पुकार संग अरमानों से आस नजारा दिलाती है लम्हों की अहमियत अक्सर सपना सुनाती है तरानों की सुबह दिलाती है।

एहसासों की पुकार संग राहों से लहर सरगम दिलाती है जज्बातों की रोशनी अक्सर अफसाना सुनाती है खयालों की सुबह दिलाती है।

एहसासों की पुकार संग दास्तानों से उम्मीद आहट दिलाती है अंदाजों की आहट अक्सर पहचान सुनाती है बदलावों की सुबह दिलाती है।

एहसासों की पुकार संग‌‌ उजालों से तलाश अल्फाज दिलाती है आवाजों की धून अक्सर अहमियत सुनाती है दास्तानों की सुबह दिलाती है।

एहसासों की पुकार संग जज्बातों से आस इशारा दिलाती है इरादों की तलाश अक्सर बदलाव सुनाती है कदमों की सुबह दिलाती है।

एहसासों की पुकार संग बदलावों से सोच पहचान दिलाती है लहरों की कहानी अक्सर अरमान सुनाती है दिशाओं की सुबह दिलाती है।

एहसासों की पुकार संग धाराओं से कोशिश उमंग दिलाती है लम्हों की धून अक्सर दास्तान सुनाती है आशाओं की सुबह दिलाती है।

एहसासों की पुकार संग अफसानों से समझ सरगम दिलाती है नजारों की अदा अक्सर अल्फाज सुनाती है लम्हों की सुबह दिलाती है।

एहसासों की पुकार संग अंदाजों से पहचान आस दिलाती है बदलावों की उम्मीद अक्सर सौगात सुनाती है सपनों की सुबह दिलाती है।

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कविता. ५५५४. आशाओं की सरगम संग।

                          आशाओं की सरगम संग। आशाओं की सरगम संग खयालों की पहचान इशारा सुनाती है कदमों की सौगात अक्सर लम्हों की महफिल देकर जात...