Friday, 20 June 2025

कविता. ५५४४. नजारों की आहट संग।

                          नजारों की आहट संग।

नजारों की आहट संग‌ कोई कहानी इशारा दिलाती है सपनों को अंदाजों की सुबह अक्सर जज्बातों का किनारा दिलाती है।

नजारों की आहट संग कोई सोच तलाश दिलाती है लम्हों को अल्फाजों की दुनिया अक्सर अरमानों का किनारा दिलाती है।

नजारों की आहट संग कोई कोशिश पुकार दिलाती है इरादों को एहसासों की रोशनी अक्सर उम्मीदों का किनारा दिलाती है।

नजारों की आहट संग कोई आवाज सरगम दिलाती है लहरों को खयालों की आस अक्सर आशाओं का किनारा दिलाती है।

नजारों की आहट संग कोई परख उमंग दिलाती है दिशाओं को इरादों की सोच अक्सर तरानों का किनारा दिलाती है।

नजारों की आहट संग कोई आस पहचान दिलाती है लहरों को अरमानों की सौगात अक्सर इशारों का किनारा दिलाती है।

नजारों की आहट संग कोई पुकार मुस्कान दिलाती है बदलावों को धाराओं की समझ अक्सर दास्तानों का किनारा दिलाती है।

नजारों की आहट संग कोई दास्तान सपना दिलाती है उजालों को आशाओं की सौगात अक्सर दिशाओं का किनारा दिलाती है।

नजारों की आहट संग कोई सुबह उमंग दिलाती है कदमों को उजालों की आस अक्सर बदलावों का किनारा दिलाती है।

नजारों की आहट संग कोई लहर अफसाना दिलाती है जज्बातों को लम्हों की अहमियत अक्सर खयालों का किनारा दिलाती है।


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