Friday, 13 June 2025

कविता. ५५३७. एक राह को।

                                   एक राह को।

एक राह को अरमानों की सोच अफसाना सुनाती है जज्बातों की समझ अक्सर पहचान दिलाती है खयालों की रोशनी देकर जाती है।

एक राह को अल्फाजों की दुनिया सरगम सुनाती है तरानों की कोशिश अक्सर मुस्कान दिलाती है लम्हों की रोशनी देकर जाती है।

एक राह को दास्तानों की उमंग अंदाज सुनाती है दिशाओं की महफिल अक्सर कोशिश दिलाती है अदाओं की रोशनी देकर जाती है।

एक राह को किनारों की सौगात सुबह सुनाती है एहसासों की पुकार अक्सर आवाज दिलाती है जज्बातों की रोशनी देकर जाती है।

एक राह को अफसानों की समझ खयाल सुनाती है इशारों की आहट अक्सर परख दिलाती है कदमों की आस रोशनी देकर जाती है।

एक राह को नजारों की लहर‌ पहचान सुनाती है आशाओं की तलाश अक्सर अहमियत दिलाती है उजालों की सोच रोशनी देकर जाती है।

एक राह को अंदाजों की आवाज मुस्कान सुनाती है खयालों की दुनिया अक्सर लहर दिलाती है किनारों की पहचान रोशनी देकर जाती है।

एक राह को तरानों की आहट कोशिश सुनाती है लम्हों की अहमियत अक्सर आस दिलाती है आशाओं की महफिल रोशनी देकर जाती है।

एक राह को दिशाओं की धून दास्तान सुनाती है लहरों की कहानी अक्सर सोच दिलाती है इशारों की तलाश रोशनी देकर जाती है।

एक राह को अल्फाजों की पुकार आस सुनाती है बदलावों की सुबह अक्सर सौगात दिलाती है दिशाओं की आवाज रोशनी देकर जाती है।

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कविता. ५५५४. आशाओं की सरगम संग।

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