Wednesday, 11 June 2025

कविता. ५५३५. उजालों की सुबह संग।

                          उजालों की सुबह संग।

उजालों की सुबह संग कदमों की आहट इशारा देती है जज्बातों की मुस्कान अक्सर एहसास दिलाती है दास्तानों की समझ सुनाती है।

उजालों की सुबह संग किनारों की सोच अरमान देती है आवाजों की धून अक्सर बदलाव दिलाती है लहरों की समझ सुनाती है।

उजालों की सुबह संग अफसानों की उमंग तलाश देती है इशारों की तलाश अक्सर नजारा दिलाती है लम्हों की समझ सुनाती है।

उजालों की सुबह संग दिशाओं की लहर उम्मीद देती है आशाओं की महफिल अक्सर अंदाज दिलाती है तरानों की समझ सुनाती है।

उजालों की सुबह संग अंदाजों की पुकार खयाल देती है उम्मीदों की सौगात अक्सर अफसाना दिलाती है अदाओं की समझ सुनाती है।

उजालों की सुबह संग आशाओं की सरगम तराना देती है एहसासों की पुकार अक्सर अरमान दिलाती है नजारों की समझ सुनाती है।

उजालों की सुबह संग बदलावों की आस पहचान देती है सपनों की रोशनी अक्सर अल्फाज दिलाती है राहों की समझ सुनाती है।

उजालों की सुबह संग अरमानों की सोच दास्तान देती है लहरों की कहानी अक्सर अहमियत दिलाती है दिशाओं की समझ सुनाती है।

उजालों की सुबह संग नजारों की मुस्कान अरमान देती है खयालों की राह अक्सर कोशिश दिलाती है उम्मीदों की समझ सुनाती है।

उजालों की सुबह संग इशारों की सौगात सरगम देती है कदमों की आस अक्सर पहचान दिलाती है इरादों की समझ सुनाती है।

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कविता. ५५५४. आशाओं की सरगम संग।

                          आशाओं की सरगम संग। आशाओं की सरगम संग खयालों की पहचान इशारा सुनाती है कदमों की सौगात अक्सर लम्हों की महफिल देकर जात...