Tuesday, 17 June 2025

कविता. ५५४१. दिशाओं की महफिल अक्सर।

                       दिशाओं की महफिल अक्सर।

दिशाओं की महफिल अक्सर जज्बातों की समझ‌ संग अफसाना दिलाती है लम्हों को एहसासों की कोशिश  अरमान देकर जाती‌ है।

दिशाओं की महफिल अक्सर आशाओं की उमंग संग खयाल दिलाती है कदमों को लहरों की सरगम अरमान देकर जाती है।

दिशाओं की महफिल अक्सर आवाजों की धून संग सपना दिलाती है इशारों को उजालों की‌ अहमियत‌‌ अरमान देकर जाती है।

दिशाओं की महफिल अक्सर अंदाजों की पुकार संग तलाश दिलाती है बदलावों को धाराओं की सोच‌ अरमान देकर जाती है।

दिशाओं की महफिल अक्सर दास्तानों की सौगात संग इरादा दिलाती है एहसासों को कदमों की आस अरमान देकर जाती है।

दिशाओं की महफिल अक्सर राहों की सुबह संग नजारा दिलाती है लहरों को अल्फाजों की दुनिया अरमान देकर जाती है।

दिशाओं की महफिल अक्सर बदलावों की आस संग जज्बात दिलाती है किनारों को उम्मीदों की आहट अरमान देकर जाती है।

दिशाओं की महफिल अक्सर लम्हों की सोच संग आवाज दिलाती है आशाओं को अदाओं की सौगात अरमान देकर जाती है।

दिशाओं की महफिल अक्सर एहसासों की रोशनी संग पहचान दिलाती है कदमों को तरानों की दास्तान अरमान देकर जाती है।

दिशाओं की महफिल अक्सर खयालों की आहट संग आस दिलाती है लहरों को अंदाजों की कोशिश अरमान देकर जाती है।


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कविता. ५५५४. आशाओं की सरगम संग।

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