Monday, 9 June 2025

कविता. ५५३३. दिशाओं की महफिल संग।

                          दिशाओं की महफिल संग।

दिशाओं की महफिल संग आशाओं को अल्फाजों की दुनिया दिलाती है लम्हों को एहसासों की समझ सरगम सुनाती है।

दिशाओं की महफिल संग आवाजों को धाराओं की समझ दिलाती है लहरों को खयालों की सोच सरगम सुनाती है।

दिशाओं की महफिल संग दास्तानों को किनारों की मुस्कान दिलाती है कदमों को अंदाजों की पुकार सरगम‌ सुनाती है।

दिशाओं की महफिल संग अदाओं को एहसासों की कोशिश दिलाती है राहों को अरमानों की पहचान सरगम सुनाती है।

दिशाओं की महफिल संग नजारों को लम्हों की अहमियत दिलाती है उजालों को जज्बातों की रोशनी सरगम सुनाती है।

दिशाओं की महफिल संग उजालों से दास्तानों की सोच दिलाती है अफसानों को कदमों की आस सरगम सुनाती है।

दिशाओं की महफिल संग लम्हों से इशारों की तलाश  दिलाती है खयालों को बदलावों की उमंग सरगम सुनाती है।

दिशाओं की महफिल संग अरमानों से उम्मीदों की सौगात दिलाती है तरानों को अंदाजों की पहचान सरगम सुनाती है।

दिशाओं की महफिल संग किनारों से लहरों की कहानी दिलाती है नजारों को राहों की पुकार सरगम सुनाती है।

दिशाओं की महफिल संग सपनों से अंदाजों की आहट दिलाती है इरादों को किनारों की कोशिश सरगम सुनाती है।

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कविता. ५६०८. अरमानों के एहसासों की।

                       अरमानों के एहसासों की। अरमानों के एहसासों की पुकार इरादा देकर जाती है खयालों को सपनों की कोशिश तलाश दिलाती है उजालों ...