Friday 8 January 2021

कविता. ३९५४. कदमों से क्या कतराना जब।

                                                    कदमों से क्या कतराना जब।

कदमों से क्या कतराना जब उमंग वहीं भरते है उनसे कैसी रंजिश जब साथ वही चलते है कुछ ज्यादा लेने कि जरुरत आए तो हम अक्सर लेते है एहसासों को दिशाओं कि तलाश सुनाकर चलते है कोशिश को उम्मीदों कि सरगम देकर आगे बढते है आशाओं को अंदाजों कि आस दिलाकर आगे निकलते रहते है।

कदमों से क्या कतराना जब आस उनसे ही बनती है इशारों कि सरगम जब एहसास दिखाकर चलती है नजारों से जुडकर आशाओं कि सरगम उनकी ही देती है तरानों से ही मिलकर दुनिया खुशियां देती है अरमानों को समझने पर ही मुस्कान पुकार सुनाती है उजालों को दिशाओं कि राह देकर आगे निकलते रहते है।

कदमों से क्या कतराना जब आवाज उनके कि एहसास सुनाती है नजारों से कोई पहचान जब तलाश दिलाकर चलती है लहरों को अफसानों कि परख उनकी कोशिश सुनाकर दास्तान दिलाती रहती है तरानों को खयालों कि पहचान सुनाकर आस दिखाती है अल्फाजों को उम्मीदों कि सरगम सुनाकर आगे निकलते रहते है।

कदमों से क्या कतराना जब दास्तान उनसे ही बनती है कोशिश कि आस से कोई निशानी सरगम सुनाकर आगे बढती है उजालों को दिशाओं कि धाराएं उनकी कहानी समझकर उमंग सुनाती है रोशनी को जज्बातों कि पुकार देकर आवाज समझाती है अंदाजों को तरानों कि तलाश दिलाकर आगे निकलते रहते है।

कदमों से क्या कतराना जब सपने उनके संग बढते है उनके एहसासों कि सौगात से जब दास्तान समझकर चलती है अल्फाजों से मिलकर आवाजों कि पहचान उनकी पुकार सुनाती है लहरों को अफसानों कि परख दिलाकर चलती है इशारों कि पहचान को खयालों कि सौगात सुनाकर आगे निकलते रहते है।

कदमों से क्या कतराना जब समझ उनकी पहचान सुनाती है इशारों कि पहचान से जब सरगम बदलावों कि धाराएं सुनाती है आशाओं से दिशाओं कि धाराएं उनकी कोशिश समझाती है खयालों को अरमानों कि सुबह समझकर दिलाती है जज्बातों को इरादों संग सपनों कि सोच दिलाकर आगे निकलते रहते है।

कदमों से क्या कतराना जब परख उनकी कोशिश समझाती है अंदाजों कि तलाश से जब दास्तान सपनों कि तलाश देकर चलती है उम्मीदों से मिलाकर रोशनी कि सौगात उनकी सरगम समझाती है अदाओं को आवाजों कि धून एहसास सुनाकर चलती है आशाओं को दिशाओं कि धाराएं समझकर आगे निकलते रहते है।

कदमों से क्या कतराना जब जज्बात उनकी सरगम दिलाती है आशाओं कि कहानी से जब मुस्कान लहरों कि सौगात दिखाकर चलती है उजालों से जुडकर बदलावों कि धाराएं उनकी कहानी बताती है किनारों को जज्बातों कि पुकार बदलाव देकर निकलती है तरानों को अदाओं कि कोशिश परखकर आगे निकलते रहते है।

कदमों से क्या कतराना जब सौगात उनकी आस समझाती है आवाजों कि तलाश से जब कोशिश उम्मीदों कि सरगम सुनाकर चलती है तरानों से मिलकर आवाजों कि तलाश उनकी आस समझाती है बदलावों को इशारों कि सुबह अरमान सुनाकर चलती है लहरों को उजालों कि तलाश सुनाकर आगे निकलते रहते है।

कदमों से क्या कतराना जब उमंग उनका किनारा देकर चलती है नजारों कि सरगम से जब मुस्कान राहों कि सोच समझकर सुनाती है इशारों से जुडकर से अंदाजों कि आस उनकी सरगम बताती है लहरों को अफसानों कि परख खयाल दिखाकर चलती है उम्मीदों को आशाओं कि कहानी समझकर आगे निकलते रहते है।

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