Saturday 31 December 2022

कविता. ४६७२. लम्हों कि कहानी अक्सर।

                                     लम्हों कि कहानी अक्सर।

लम्हों कि कहानी अक्सर इशारे देती है तरानों को अरमानों कि आहट सहारे देती है कदमों संग किनारों कि मुस्कान अफसाने देकर अरमान जगाती है।

लम्हों कि कहानी अक्सर दास्ताने देती है नजारों को दिशाओं कि समझ सपना देती है नजारों संग आवाजों कि धून परख देकर उम्मीद जगाती है।

लम्हों कि कहानी अक्सर किनारे देती है बदलावों को राहों कि रोशनी कोशिश देती है उजालों संग कदमों कि आहट पहचान देकर उमंग जगाती है।

लम्हों कि कहानी अक्सर उम्मीदे देती है लहरों को नजारों कि सोच पुकार देती है अरमानों संग इशारों कि रोशनी जज्बात देकर आस जगाती है।

लम्हों कि कहानी अक्सर उजाले देती है इरादों को खयालों कि समझ सपना देती है इरादों संग आशाओं कि सरगम बदलाव देकर आवाज जगाती है।

लम्हों कि कहानी अक्सर लहरे देती है राहों को अदाओं कि पुकार पहचान देती है कदमों संग आवाजों कि धून रोशनी देकर अहमियत जगाती है।

लम्हों कि कहानी अक्सर तराने देती है खयालों को अंदाजों कि आस एहसास देती है अरमानों संग जज्बातों कि सोच पुकार देकर सौगात जगाती है।

लम्हों कि कहानी अक्सर अफसाने देती है इशारों को दिशाओं कि समझ जज्बात देती है किनारों संग सपनों कि परख तलाश देकर एहसास जगाती है।

लम्हों कि कहानी अक्सर राहे देती है आशाओं को बदलावों कि सोच मुस्कान देती है उम्मीदों संग बदलावों कि आस सरगम देकर अंदाज जगाती है।

लम्हों कि कहानी अक्सर इशारे देती है उजालों को सपनों कि आस सरगम देती है दिशाओं संग रोशनी कि आहट आवाज देकर राह जगाती है।

Friday 30 December 2022

कविता. ४६७१. मुस्कान राहों कि।

                                            मुस्कान राहों कि।            

मुस्कान राहों कि तलाश संग अरमान जगाती है इशारों को दास्तानों कि समझ एहसास सुनाती है दिशाओं को कदमों कि आहट सुबह देती है।

मुस्कान राहों कि कोशिश संग अल्फाज जगाती है लम्हों को खयालों कि सरगम किनारा सुनाती है नजारों को जज्बातों कि सोच सुबह देती है।

मुस्कान राहों कि पहचान संग आस जगाती है तरानों को आवाजों कि धून पुकार सुनाती है इशारों को आशाओं कि परख सुबह देती है।

मुस्कान राहों कि समझ संग खयाल जगाती है किनारों को सपनों कि लहर अफसाना सुनाती है अंदाजों को बदलावों कि सोच सुबह देती है।

मुस्कान राहों कि लहर संग अल्फाज जगाती है अंदाजों को बदलावों कि सौगात कोशिश सुनाती है अरमानों को दिशाओं कि कहानी सुबह देती है।

मुस्कान राहों कि सरगम संग तलाश जगाती है उजालों को आशाओं कि पुकार बदलाव सुनाती है उम्मीदों को दास्तानों कि आस सुबह देती है।

मुस्कान राहों कि पुकार संग सौगात जगाती है आवाजों को अंदाजों कि रोशनी तराना सुनाती है लम्हों को खयालों कि समझ सुबह देती है।

मुस्कान राहों कि रोशनी संग सरगम जगाती है खयालों को नजारों कि परख एहसास सुनाती है लहरों को जज्बातों कि आहट सुबह देती है।

मुस्कान राहों कि पहचान संग रोशनी जगाती है तरानों को दिशाओं कि समझ सौगात सुनाती है अंदाजों को बदलावों कि सोच सुबह देती है।

मुस्कान राहों कि परख संग कोशिश जगाती है आशाओं को बदलावों कि रोशनी पुकार सुनाती है अदाओं को दास्तानों कि कोशिश सुबह देती है।

Thursday 29 December 2022

कविता. ४६७०. लहरों को इशारों कि।

                                   लहरों को इशारों कि।

लहरों को इशारों कि सौगात सहारा देती है तरानों कि मुस्कान जुडकर इरादा देती है कदमों को उजालों कि राह अफसाना दिलाती है सपनों कि आस सुनाती है।

लहरों को इशारों कि समझ कोशिश देती है नजारों कि सोच जुडकर रोशनी देती है नजारों को दिशाओं कि कहानी बदलाव दिलाती है तरानों कि आस सुनाती है।

लहरों को इशारों कि परख सरगम देती है जज्बातों कि सुबह जुडकर दास्तान देती है किनारों को अल्फाजों कि सौगात तलाश दिलाती है लम्हों कि आस सुनाती है।

लहरों को इशारों कि पुकार अरमान देती है कदमों कि आहट जुडकर अल्फाज देती है आशाओं को बदलावों कि सोच उमंग दिलाती है राहों कि आस सुनाती है।

लहरों को इशारों कि सोच तराना देती है दास्तानों कि समझ जुडकर अंदाज देती है खयालों को नजारों कि सुबह अरमान दिलाती है उजालों कि आस सुनाती है।

लहरों को इशारों कि पहचान तलाश देती है किनारों कि मुस्कान जुडकर इरादा देती है जज्बातों को अंदाजों कि रोशनी राह दिलाती है अदाओं कि आस सुनाती है।

लहरों को इशारों कि आवाज सरगम देती है आशाओं कि कोशिश जुडकर इरादा देती है बदलावों को लम्हों कि आहट नजारा दिलाती है अंदाजों कि आस सुनाती है।

लहरों को इशारों कि तलाश उमंग देती है अरमानों कि पुकार जुडकर आवाज देती है तराना देती है किनारों को सपनों कि आहट खयाल दिलाती है कदमों कि आस सुनाती है।

लहरों को इशारों कि समझ कोशिश देती है आवाजों कि धून जुडकर दास्तान देती है अल्फाजों को उजालों कि सुबह एहसास दिलाती है दिशाओं कि आस सुनाती है।

लहरों को इशारों कि उमंग तराना देती है किनारों कि मुस्कान जुडकर तलाश देती है अरमानों को कदमों कि आहट अहमियत दिलाती है अफसानों कि आस सुनाती है।

Wednesday 28 December 2022

कविता. ४६६९. उम्मीद किसी किनारे संग।

                                उम्मीद किसी किनारे संग।

उम्मीद किसी किनारे संग आशाओं कि महफ़िल देती है कदमों कि सोच अक्सर आवाजों कि सरगम देती है अंदाजों को बदलावों कि कोशिश देती है।

उम्मीद किसी किनारे संग जज्बातों कि सौगात देती है तरानों कि सुबह अक्सर अरमानों कि पुकार देती है खयालों को अंदाजों कि कोशिश देती है।

उम्मीद किसी किनारे संग दास्तानों कि आहट देती है अरमानों कि आहट अक्सर सपनों कि तलाश देती है नजारों को अल्फाजों कि कोशिश देती है।

उम्मीद किसी किनारे संग अंदाजों कि समझ देती है आवाजों कि सरगम अक्सर बदलावों कि सोच देती है दिशाओं को कदमों कि कोशिश देती है।

उम्मीद किसी किनारे संग अदाओं कि रोशनी देती है नजारों कि सोच अक्सर अफसानों कि सुबह देती है उजालों को सपनों कि कोशिश देती है।

उम्मीद किसी किनारे संग तरानों कि आस देती है कदमों कि राह अक्सर खयालों कि मुस्कान देती है अरमानों को नजारों कि कोशिश देती है।

उम्मीद किसी किनारे संग दिशाओं कि लहर देती है खयालों कि उमंग अक्सर लहरों कि आवाज देती है अफसानों को राहों कि कोशिश देती है।

उम्मीद किसी किनारे संग आवाजों कि समझ देती है अरमानों कि सुबह अक्सर आशाओं कि सोच देती है तरानों को उजालों कि कोशिश देती है।

उम्मीद किसी किनारे संग नजारों कि सुबह देती है तरानों कि पुकार अक्सर इशारों कि रोशनी देती है अंदाजों को बदलावों कि कोशिश देती है।

उम्मीद किसी किनारे संग लम्हों कि पुकार देती है अल्फाजों कि मुस्कान अक्सर इरादों कि सौगात देती है अफसानों को राहों कि कोशिश देती है।

Tuesday 27 December 2022

कविता. ४६६८. उमंग को कदमों कि।

                                          उमंग को कदमों कि।

उमंग को कदमों कि आहट सपना दिलाती है आशाओं को बदलावों कि लहर तराना देती है किनारों पर एहसासों कि धाराएं इशारा देती है।

उमंग को कदमों कि आस सरगम दिलाती है किनारों को अल्फाजों कि मुस्कान इरादा देती है खयालों पर लम्हों कि पुकार कोशिश देती है।

उमंग को कदमों कि राह खयाल दिलाती है लम्हों को बदलावों कि सौगात तलाश देती है अफसानों पर अरमानों कि सुबह आवाज देती है।

उमंग को कदमों कि सौगात सहारा दिलाती है इशारों को लहरों कि रोशनी दास्तान देती है जज्बातों पर उम्मीदों कि लहर पहचान देती है।

उमंग को कदमों कि अदा मुस्कान दिलाती है खयालों को अंदाजों कि आस सौगात देती है अफसानों पर आशाओं कि परख किनारा देती है।

उमंग को कदमों कि पुकार लहर दिलाती है नजारों को दास्तानों कि परख कोशिश देती है बदलावों पर एहसासों कि समझ अल्फाज देती है।

उमंग को कदमों कि पहचान इशारा दिलाती है अदाओं को दिशाओं कि मुस्कान राह देती है नजारों पर उजालों कि सौगात कोशिश देती है।

उमंग को कदमों कि सरगम तलाश दिलाती है अंदाजों को बदलावों कि सोच सुबह देती है दास्तानों पर उम्मीदों कि लहर आस देती है।

उमंग को कदमों कि राह अल्फाज दिलाती है उजालों को सपनों कि परख रोशनी देती है अंदाजों पर एहसासों कि समझ बदलाव देती है।

उमंग को कदमों कि खयाल नजारा दिलाती है दिशाओं को तरानों कि समझ तलाश देती है किनारों पर आवाजों कि धून एहसास देती है।

Monday 26 December 2022

कविता. ४६६७. सपनों कि तलाश अक्सर।

                            सपनों कि तलाश अक्सर।

सपनों कि तलाश अक्सर अरमानों कि कोशिश दिलाती है नजारों से सपनों कि लहर अल्फाज दिलाती है लम्हों को खयालों कि सोच सुनाती है।

सपनों कि तलाश अक्सर आशाओं कि सरगम दिलाती है कदमों से आवाजों कि धून पहचान दिलाती है किनारों को अंदाजों कि सोच सुनाती है।

सपनों कि तलाश अक्सर उम्मीदों कि सुबह दिलाती है अदाओं से दास्तानों कि परख रोशनी दिलाती है अफसानों को राहों कि सोच सुनाती है।

सपनों कि तलाश अक्सर दिशाओं कि समझ दिलाती है बदलावों से तरानों कि आस सरगम दिलाती है कदमों को आशाओं कि सोच सुनाती है।

सपनों कि तलाश अक्सर आवाजों कि धून दिलाती है आशाओं से जज्बातों कि मुस्कान तलाश दिलाती है लहरों को लम्हों कि सोच सुनाती है।

सपनों कि तलाश अक्सर जज्बातों कि सोच दिलाती है तरानों से उम्मीदों कि सौगात आस दिलाती है अंदाजों को बदलावों कि सोच सुनाती है।

सपनों कि तलाश अक्सर एहसासों कि रोशनी दिलाती है लहरों से दिशाओं कि कहानी कोशिश दिलाती है आवाजों को अदाओं कि सोच सुनाती है।

सपनों कि तलाश अक्सर दास्तानों कि आस दिलाती है उजालों से आशाओं कि सौगात किनारा दिलाती है जज्बातों को कदमों कि सोच सुनाती है।

सपनों कि तलाश अक्सर लहरों कि सुबह दिलाती है किनारों से आवाजों कि धून पहचान दिलाती है अरमानों को इशारों कि सोच सुनाती है।

सपनों कि तलाश अक्सर बदलावों कि पुकार दिलाती है कोशिश से लम्हों कि परख तराना दिलाती है दिशाओं को नजारों कि सोच सुनाती है।



Sunday 25 December 2022

कविता ४६६६. सपनों कि लहर से।

                                                  सपनों कि लहर से।

सपनों कि लहर से अफसानों कि सुबह आशाएं देती है कदमों को अदाओं कि परख रोशनी दिलाती है लम्हों कि मुस्कान सुनाती है।

सपनों कि लहर से अदाओं कि परख बदलाव देती है किनारों को अंदाजों कि कोशिश राह दिलाती है अल्फाजों कि आस सुनाती है।

सपनों कि लहर से किनारों कि सोच पहचान देती है उजालों को बदलावों कि सौगात खयाल दिलाती है आशाओं कि सरगम सुनाती है।

सपनों कि लहर से दास्तानों कि सौगात तलाश देती है दिशाओं को कदमों कि आहट सोच दिलाती है तरानों कि पहचान सुनाती है।

सपनों कि लहर से कदमों कि आहट अल्फाज देती है इरादों को आशाओं कि सौगात नजारा दिलाती है किनारों कि सुबह सुनाती है।

सपनों कि लहर से अफसानों कि समझ इरादा देती है दास्तानों को अल्फाजों कि सुबह एहसास दिलाती है जज्बातों कि सौगात सुनाती है।

सपनों कि लहर से जज्बातों कि राह बदलाव देती है कदमों को उजालों कि पुकार कोशिश दिलाती है खयालों कि अहमियत सुनाती है।

सपनों कि लहर से तरानों कि आस पहचान देती है अंदाजों को बदलावों कि समझ आवाज दिलाती है उजालों कि आहट सुनाती है।

सपनों कि लहर से इशारों कि पुकार खयाल देती है एहसासों को अदाओं कि परख रोशनी दिलाती है अंदाजों कि पुकार सुनाती है।

सपनों कि लहर से अल्फाजों कि तलाश किनारा देती है नजारों को दिशाओं कि कहानी पहचान दिलाती है तरानों कि सुबह सुनाती है।

Saturday 24 December 2022

कविता. ४६६५. उजालों कि पुकार अक्सर।

                                 उजालों कि पुकार अक्सर।

उजालों कि पुकार अक्सर इशारों कि तलाश दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ सपना देकर जाती है इरादों को आशाओं कि सरगम सुनाती है।

उजालों कि पुकार अक्सर उम्मीदों कि लहर दिलाती है नजारों को दिशाओं कि सुबह दास्तान देकर जाती है नजारों को राहों कि सरगम सुनाती है।

उजालों कि पुकार अक्सर दास्तानों कि परख दिलाती है दास्तानों को एहसासों कि सोच खयाल देकर जाती है जज्बातों को कदमों कि सरगम सुनाती है।

उजालों कि पुकार अक्सर सपनों कि पहचान दिलाती है आशाओं को अदाओं कि परख इशारा देकर जाती है तरानों को उम्मीदों कि सरगम सुनाती है।

उजालों कि पुकार अक्सर दिशाओं कि सोच दिलाती है अंदाजों को बदलावों कि आस बदलाव देकर जाती है किनारों को सपनों कि सरगम सुनाती है।

उजालों कि पुकार अक्सर आवाजों कि धून दिलाती है इशारों को लम्हों कि रोशनी सपना देकर जाती है खयालों को इरादों कि सरगम सुनाती है।

उजालों कि पुकार अक्सर अंदाजों कि आस दिलाती है नजारों को दिशाओं कि कोशिश अरमान देकर जाती है किनारों को सपनों कि सरगम सुनाती है।

उजालों कि पुकार अक्सर दास्तानों कि परख दिलाती है लहरों को नजारों कि सोच एहसास देकर जाती है दिशाओं को उम्मीदों कि सरगम सुनाती है।

उजालों कि पुकार अक्सर एहसासों कि समझ दिलाती है लम्हों को तरानों कि उमंग परख देकर जाती है नजारों को खयालों कि सरगम सुनाती है।

उजालों कि पुकार अक्सर नजारों कि सोच दिलाती है इशारों को दास्तानों कि सौगात अरमान देकर जाती है अदाओं को अंदाजों कि सरगम सुनाती है।


Friday 23 December 2022

कविता. ४६६४. आशाओं संग बदलावों कि।

                          आशाओं संग बदलावों कि।

आशाओं संग बदलावों कि सौगात अरमान जगाती है जज्बातों कि मुस्कान से दिशाओं कि पहचान कोशिश सुनाती है अंदाजों से राहों कि पुकार देती है।

आशाओं संग बदलावों कि सरगम सुबह जगाती है कदमों कि आहट से अरमानों कि सोच अफसाना सुनाती है दास्तानों से नजारों कि पुकार देती है।

आशाओं संग बदलावों कि कोशिश आस जगाती है किनारों कि आस से खयालों कि समझ सपना सुनाती है लहरों से दिशाओं कि पुकार देती है।

आशाओं संग बदलावों कि सोच परख जगाती है लम्हों कि रोशनी से अरमानों कि आस खयाल सुनाती है तरानों से उम्मीदों कि पुकार देती है।

आशाओं संग बदलावों कि तलाश इशारा जगाती है अदाओं कि परख से उजालों कि तलाश एहसास सुनाती है इरादों से अंदाजों कि पुकार देती है।

आशाओं संग बदलावों कि समझ सपना जगाती है उम्मीदों कि लहर से अफसानों कि सोच पहचान सुनाती है तरानों से दिशाओं कि पुकार देती है।

आशाओं संग बदलावों कि राह आस जगाती है लम्हों कि पहचान से अंदाजों कि परख कोशिश सुनाती है आवाजों से लहरों कि पुकार देती है।

आशाओं संग बदलावों कि लहर मुस्कान जगाती है कदमों कि आहट से अरमानों कि सौगात तराना सुनाती है इशारों से किनारों कि पुकार देती है।

आशाओं संग बदलावों कि उमंग अल्फाज जगाती है किनारों कि सोच से दिशाओं कि समझ पहचान सुनाती है एहसासों से इरादों कि पुकार देती है।

आशाओं संग बदलावों कि सोच अफसाना जगाती है खयालों कि समझ से आवाजों कि धून पहचान सुनाती है नजारों से सपनों कि पुकार देती है।

Thursday 22 December 2022

कविता. ४६६३. कोशिश किसी।

                                   कोशिश किसी।

कोशिश किसी एहसास को अक्सर जगाती है आवाज जीवन के अफसानों को समझ देकर सरगम सुनाती है अंदाजों कि रोशनी सुबह दे जाती है।

कोशिश किसी तराने को अक्सर जगाती है आस जज्बात के किनारों को पुकार देकर उमंग सुनाती है नजारों कि पहचान सुबह दे जाती है।

कोशिश किसी आहट को अक्सर जगाती है लहर अरमान के दिशाओं को परख देकर उम्मीद सुनाती है लम्हों कि सौगात सुबह दे जाती है।

कोशिश किसी तलाश को अक्सर जगाती है कदम इशारों के अंदाजों को खयाल देकर अल्फाज सुनाती है मुस्कान कि दिशाएं सुबह दे जाती है।

कोशिश किसी अंदाज को अक्सर जगाती है खयाल इरादों के उजालों को सौगात देकर पहचान सुनाती है लहरों कि सरगम सुबह दे जाती है।

कोशिश किसी अदा को अक्सर जगाती है सोच अरमानों के किनारों को आस देकर इशारा सुनाती है आवाजों कि रोशनी सुबह दे जाती है।

कोशिश किसी राह को अक्सर जगाती है जज्बात नजारों के इशारों को लहर देकर तलाश सुनाती है अफसानों कि परख सुबह दे जाती है।

कोशिश किसी पुकार को अक्सर जगाती है दिशा अंदाजों के अल्फाजों को इरादा देकर सरगम सुनाती है तरानों कि पुकार सुबह दे जाती है।

कोशिश किसी आवाज को अक्सर जगाती है सरगम खयालों के लहरों को मुस्कान देकर दास्तान सुनाती है किनारों कि सोच सुबह दे जाती है।

कोशिश किसी पुकार को अक्सर जगाती है आहट जज्बातों के दिशाओं को अल्फाज देकर राह सुनाती है इशारों कि समझ सुबह दे जाती है।

Wednesday 21 December 2022

कविता. ४६६२. इशारों कि समझ अक्सर।

                                   इशारों कि समझ अक्सर।

इशारों कि समझ अक्सर अरमानों कि तलाश दिलाती है लहरों कि आहट से उम्मीदों संग अफसाना देती है जज्बातों को कदमों कि पुकार सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर नजारों कि सोच दिलाती है लम्हों कि सरगम से खयालों संग मुस्कान देती है किनारों को सपनों कि पुकार सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर आशाओं कि सौगात दिलाती है दास्तानों कि परख से उजालों संग किनारा देती है एहसासों को अदाओं कि पुकार सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर जज्बातों कि सुबह दिलाती है तरानों कि पहचान से अंदाजों संग एहसास देती है आवाजों को नजारों कि पुकार सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर एहसासों कि कोशिश दिलाती है दिशाओं कि आस से लम्हों संग पुकार देती है अल्फाजों को राहों कि पुकार सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर बदलावों कि सुबह दिलाती है इरादों कि सौगात से उजालों संग किनारा देती है आशाओं को उम्मीदों कि पुकार सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर तरानों कि बदलाव दिलाती है खयालों कि पहचान से लहरों संग उमंग देती है अरमानों को दास्तानों कि पुकार सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर आशाओं कि सरगम दिलाती है लम्हों कि आहट से अरमानों संग तराना देती है अंदाजों को अफसानों कि पुकार सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर अल्फाजों कि कोशिश दिलाती है लहरों कि सुबह से उजालों संग नजारा देती है लम्हों को दास्तानों कि पुकार सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर आवाजों कि धून दिलाती है एहसासों कि सरगम से इरादों संग अहमियत देती है कदमों को बदलावों कि पुकार सुनाती है।

Tuesday 20 December 2022

कविता. ४६६१. आशाओं को बदलावों कि।

                               आशाओं को बदलावों कि।

आशाओं को बदलावों कि मुस्कान तलाश सुनाती है लम्हों कि पुकार अक्सर दिशाओं कि पहचान दिलाती है नजारों को सपनों कि सुबह दिलाती है।

आशाओं को बदलावों कि मुस्कान आहट सुनाती है अरमानों कि सौगात अक्सर इरादों कि कोशिश दिलाती है इशारों को लम्हों कि सुबह दिलाती है।

आशाओं को बदलावों कि मुस्कान इशारा सुनाती है जज्बातों कि कोशिश अक्सर खयालों कि समझ दिलाती है अल्फाजों को राहों कि सुबह दिलाती है।

आशाओं को बदलावों कि मुस्कान अरमान सुनाती है दास्तानों कि परख अक्सर दिशाओं कि कहानी दिलाती है इरादों को नजारों कि सुबह दिलाती है।

आशाओं को बदलावों कि मुस्कान इरादा सुनाती है अंदाजों कि आस अक्सर कदमों कि आहट दिलाती है अरमानों को दिशाओं कि सुबह दिलाती है।

आशाओं को बदलावों कि मुस्कान आस सुनाती है एहसासों कि सोच अक्सर दास्तानों कि पहचान दिलाती है लहरों को अंदाजों कि सुबह दिलाती है।

आशाओं को बदलावों कि मुस्कान आवाज सुनाती है उजालों कि समझ अक्सर जज्बातों कि राह दिलाती है इशारों को अदाओं कि सुबह दिलाती है।

आशाओं को बदलावों कि मुस्कान सरगम सुनाती है लहरों कि कोशिश अक्सर खयालों कि पुकार दिलाती है नजारों को आवाजों कि सुबह दिलाती है।

आशाओं को बदलावों कि मुस्कान एहसास सुनाती है दिशाओं कि समझ अक्सर अल्फाजों कि रोशनी दिलाती है जज्बातों को कदमों कि सुबह दिलाती है।

आशाओं को बदलावों कि मुस्कान अदा सुनाती है एहसासों कि रोशनी अक्सर नजारों कि सौगात दिलाती है खयालों को अंदाजों कि सुबह दिलाती है।

Monday 19 December 2022

कविता. ४६६०. उम्मीद को आवाजों कि।

                                       उम्मीद को आवाजों कि।

उम्मीद को आवाजों कि परख कोशिश सुनाती है सपनों कि आस अक्सर दास्तानों कि पहचान देकर जाती है जज्बातों को आशाओं कि सरगम दिलाती है।

उम्मीद को आवाजों कि धून अरमान सुनाती है तरानों कि पहचान अक्सर नजारों कि सोच देकर जाती है उजालों को बदलावों कि सरगम दिलाती है।

उम्मीद को आवाजों कि मुस्कान तलाश सुनाती है इशारों कि सौगात अक्सर इरादों कि आहट देकर जाती है कदमों को अदाओं कि सरगम दिलाती है।

उम्मीद को आवाजों कि सुबह तराना सुनाती है अंदाजों कि परख अक्सर आशाओं कि सौगात देकर जाती है नजारों को खयालों कि सरगम दिलाती है।

उम्मीद को आवाजों कि राह अफसाना सुनाती है लम्हों कि पुकार अक्सर लहरों कि सुबह देकर जाती है अरमानों को दिशाओं कि सरगम दिलाती है।

उम्मीद को आवाजों कि आस किनारा सुनाती है नजारों कि आहट अक्सर इशारों कि रोशनी देकर जाती है जज्बातों को किनारों कि सरगम दिलाती है।

उम्मीद को आवाजों कि सोच आवाज सुनाती है किनारों कि उमंग अक्सर आशाओं कि सौगात देकर जाती है कदमों को अंदाजों कि सरगम दिलाती है।

उम्मीद को आवाजों कि रोशनी अल्फाज सुनाती है लम्हों कि पुकार अक्सर अंदाजों कि परख देकर जाती है दास्तानों को एहसासों कि सरगम दिलाती है।

उम्मीद को आवाजों कि कोशिश पुकार सुनाती है इरादों कि सौगात अक्सर उजालों कि राह देकर जाती है खयालों को कदमों कि सरगम दिलाती है।

उम्मीद को आवाजों कि रोशनी किनारा सुनाती है जज्बातों कि मुस्कान अक्सर आशाओं कि सोच देकर जाती है इरादों को अरमानों कि सरगम दिलाती है।

Sunday 18 December 2022

कविता. ४६५९. रोशनी कि सोच अक्सर।

                                      रोशनी कि सोच अक्सर।

रोशनी कि सोच अक्सर उम्मीदों कि मुस्कान दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ सहारा देकर जाती है जज्बातों को कदमों कि आहट सुनाती है।

रोशनी कि सोच अक्सर दास्तानों कि कोशिश दिलाती है लहरों को नजारों कि सुबह अफसाना देकर जाती है खयालों को इशारों कि आहट सुनाती है।

रोशनी कि सोच अक्सर उजालों कि पहचान दिलाती है तरानों को अरमानों कि पुकार बदलाव देकर जाती है इरादों को आशाओं कि आहट सुनाती है।

रोशनी कि सोच अक्सर दिशाओं कि कहानी दिलाती है अंदाजों को एहसासों कि सौगात तलाश देकर जाती है किनारों को सपनों कि आहट सुनाती है।

रोशनी कि सोच अक्सर तरानों कि सुबह दिलाती है जज्बातों को अफसानों कि समझ अरमान देकर जाती है बदलावों को दिशाओं कि आहट सुनाती है।

रोशनी कि सोच अक्सर लहरों कि सरगम दिलाती है आशाओं को अदाओं कि परख खयाल देकर जाती है अंदाजों को तरानों कि आहट सुनाती है।

रोशनी कि सोच अक्सर किनारों कि आस दिलाती है अरमानों को आवाजों कि धून पहचान देकर जाती है किनारों को सपनों कि आहट सुनाती है।

रोशनी कि सोच अक्सर अंदाजों कि उमंग दिलाती है अल्फाजों को उम्मीदों कि पुकार आवाज देकर जाती है नजारों को लहरों कि आहट सुनाती है।

रोशनी कि सोच अक्सर तरानों कि सौगात दिलाती है नजारों को खयालों कि समझ बदलाव देकर जाती है अफसानों को आवाजों कि आहट सुनाती है।

रोशनी कि सोच अक्सर इरादों कि सरगम दिलाती है दिशाओं को कदमों कि परख अहमियत देकर जाती है सपनों को अंदाजों कि आहट सुनाती है।


Saturday 17 December 2022

कविता. ४६५८. उम्मीदों को कदमों कि।

                                      उम्मीदों को कदमों कि।

उम्मीदों को कदमों कि आस अफसाना दिलाती है लहरों कि सरगम से खयालों कि मुस्कान कोशिश देकर जाती है राहों को अंदाजों कि पुकार दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि रोशनी अरमान दिलाती है नजारों कि सोच से एहसासों कि सुबह दास्तान देकर जाती है दिशाओं को बदलावों कि पुकार दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि आवाज खयाल दिलाती है बदलावों कि आहट से अरमानों कि दिशा सहारा देकर जाती है उजालों को सपनों कि पुकार दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि सौगात अंदाज दिलाती है खयालों कि समझ से अफसानों कि रोशनी परख देकर जाती है कदमों को अदाओं कि पुकार दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि राह कोशिश दिलाती है लम्हों कि आस से अंदाजों कि आस बदलाव देकर जाती है किनारों को अल्फाजों कि पुकार दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि परख किनारा दिलाती है इशारों कि सौगात से दास्तानों कि सोच पहचान देकर जाती है जज्बातों को तरानों कि पुकार दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि लहर नजारा दिलाती है आशाओं कि कोशिश से अरमानों कि सुबह किनारा देकर जाती है खयालों को इशारों कि पुकार दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि अदा मुस्कान दिलाती है अदाओं कि परख से उजालों कि पहचान तलाश देकर जाती है किनारों को सपनों कि पुकार दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि उमंग पहचान दिलाती है आवाजों कि धून से दास्तानों कि मुस्कान अरमान देकर जाती है आशाओं को नजारों कि पुकार दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि लहर अहमियत दिलाती है लम्हों कि आहट से अरमानों कि सोच अंदाज देकर जाती है तरानों को जज्बातों कि पुकार दिलाती है। 

Friday 16 December 2022

कविता. ४६५७. इशारों कि समझ अक्सर।

                                  इशारों कि समझ अक्सर।

इशारों कि समझ अक्सर अरमानों कि तलाश दिलाती है जज्बातों कि पहचान से आशाओं कि कोशिश अल्फाजों कि सरगम सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर जज्बातों कि सोच दिलाती है कदमों कि अहमियत से खयालों कि पुकार अफसानों कि सरगम सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर दास्तानों कि परख दिलाती है एहसासों कि कोशिश से अंदाजों कि तलाश एहसासों कि सरगम सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर अंदाजों कि कोशिश दिलाती है अफसानों कि तलाश से आवाजों कि पहचान उजालों कि सरगम सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर तरानों कि पहचान दिलाती है अरमानों कि सौगात से कदमों कि उम्मीद दास्तानों कि सरगम सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर अल्फाजों कि मुस्कान दिलाती है लम्हों कि पुकार से दिशाओं कि अहमियत बदलावों कि सरगम सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर लहरों कि कोशिश दिलाती है एहसासों कि रोशनी से कदमों कि परख किनारों कि सरगम सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर नजारों कि सौगात दिलाती है लहरों कि अहमियत से एहसासों कि कोशिश आवाजों कि सरगम सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर खयालों कि परख दिलाती है नजारों कि पहचान से अंदाजों कि अहमियत अरमानों कि सरगम सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर उजालों कि रोशनी दिलाती है सपनों कि अहमियत से आवाजों कि कहानी अफसानों कि सरगम सुनाती है।

Thursday 15 December 2022

कविता. ४६५६. सपनों कि मुस्कान अक्सर।

                              सपनों कि मुस्कान अक्सर।

सपनों कि मुस्कान अक्सर अरमानों कि कोशिश पहचान दिलाती है कदमों कि आहट से आशाओं कि सरगम आवाज देकर जाती है।

सपनों कि मुस्कान अक्सर उम्मीदों कि तलाश इशारा दिलाती है लहरों कि पहचान से खयालों कि अहमियत बदलाव देकर जाती है।

सपनों कि मुस्कान अक्सर उजालों कि सुबह दास्तान दिलाती है बदलावों कि सौगात से दिशाओं कि कहानी अफसाना देकर जाती है।

सपनों कि मुस्कान अक्सर जज्बातों कि अहमियत इरादा दिलाती है नजारों कि पहचान से एहसासों कि उमंग कोशिश देकर जाती है।

सपनों कि मुस्कान अक्सर तरानों कि कोशिश रोशनी दिलाती है किनारों कि सरगम से अरमानों कि सुबह पहचान देकर जाती है।

सपनों कि मुस्कान अक्सर अंदाजों कि आस बदलाव दिलाती है खयालों कि समझ से अल्फाजों कि सरगम परख देकर जाती है।

सपनों कि मुस्कान अक्सर उम्मीदों कि लहर तलाश दिलाती है उजालों कि पुकार से दिशाओं कि कहानी अहमियत देकर जाती है।

सपनों कि मुस्कान अक्सर दास्तानों कि राह इशारा दिलाती है लहरों कि कोशिश से आशाओं कि पहचान अरमान देकर जाती है।

सपनों कि मुस्कान अक्सर नजारों कि सोच पहचान दिलाती है इशारों कि सौगात से दास्तानों कि सरगम अफसाना देकर जाती है।

सपनों कि मुस्कान अक्सर अल्फाजों कि आवाज अहमियत दिलाती है उजालों कि राह से खयालों कि समझ किनारा देकर जाती है।

Wednesday 14 December 2022

कविता. ४६५५. राहों को अंदाजों कि।

                                   राहों को अंदाजों कि।

राहों को अंदाजों कि मुस्कान अफसाना दिलाती है दास्तानों को एहसासों कि रोशनी तलाश सुनाती है लम्हों के अल्फाजों कि आवाज सपना देती है।

राहों को अंदाजों कि आस अरमान दिलाती है लहरों को इशारों कि सौगात पहचान सुनाती है लहरों के आशाओं कि सरगम सपना देती है।

राहों को अंदाजों कि रोशनी पुकार दिलाती है बदलावों को लम्हों कि अहमियत परख सुनाती है नजारों के अरमानों कि कोशिश सपना देती है।

राहों को अंदाजों कि सुबह दास्तान दिलाती है आवाजों को खयालों कि समझ सरगम सुनाती है जज्बातों के अदाओं कि परख सपना देती है।

राहों को अंदाजों कि सौगात इरादा दिलाती है नजारों को दिशाओं कि आस पुकार सुनाती है बदलावों के उजालों कि आवाज सपना देती है।

राहों को अंदाजों कि लहर पहचान दिलाती है इरादों को अदाओं कि परख एहसास सुनाती है खयालों के लहरों कि सरगम सपना देती है।

राहों को अंदाजों कि कोशिश खयाल दिलाती है इशारों को कदमों कि आहट परख सुनाती है अरमानों के तरानों कि समझ सपना देती है।

राहों को अंदाजों कि परख रोशनी दिलाती है दास्तानों को एहसासों कि आस मुस्कान सुनाती है नजारों के बदलावों कि सोच सपना देती है।

राहों को अंदाजों कि पुकार किनारा दिलाती है लहरों को नजारों कि सौगात अफसाना सुनाती है कदमों के खयालों कि रोशनी सपना देती है।

राहों को अंदाजों कि आस सरगम दिलाती है बदलावों को दिशाओं कि समझ उमंग सुनाती है अफसानों के उम्मीदों कि लहर सपना देती है।


Tuesday 13 December 2022

कविता. ४६५४. किनारों से आशाओं कि।

                                  किनारों से आशाओं कि।

किनारों से आशाओं कि सरगम सहारा देती है तरानों कि आहट इशारा दिलाती है लम्हों कि रोशनी अक्सर अल्फाजों कि मुस्कान देकर चलती है।

किनारों से आशाओं कि पहचान परख देती है कदमों कि आस सरगम दिलाती है सपनों कि सोच अक्सर उम्मीदों कि बदलाव देकर चलती है।

किनारों से आशाओं कि सौगात कोशिश देती है लहरों कि राह अरमान दिलाती है उजालों कि सरगम अक्सर एहसासों कि समझ देकर चलती है।

किनारों से आशाओं कि सुबह दास्तान देती है आवाजों कि पुकार अफसाना दिलाती है नजारों कि सोच अक्सर अंदाजों कि परख देकर चलती है।

किनारों से आशाओं कि परख आस देती है अंदाजों कि अदा कोशिश दिलाती है कदमों कि आहट अक्सर सपनों कि राह देकर चलती है।

किनारों से आशाओं कि सोच बदलाव देती है दिशाओं कि कहानी सरगम दिलाती है आवाजों कि आस अक्सर दास्तानों कि पुकार देकर चलती है।

किनारों से आशाओं कि कोशिश तलाश देती है इशारों कि सौगात अहमियत दिलाती है अंदाजों कि रोशनी अक्सर जज्बातों कि मुस्कान देकर चलती है।

किनारों से आशाओं कि सरगम खयाल देती है तरानों कि सुबह आस दिलाती है अरमानों कि पहचान अक्सर खयालों कि सोच देकर चलती है।

किनारों से आशाओं कि आस पुकार देती है नजारों कि सौगात आवाज दिलाती है लम्हों कि आहट अक्सर अरमानों कि पहचान देकर चलती है।

किनारों से आशाओं कि रोशनी तराना देती है कदमों कि आस सरगम दिलाती है लहरों कि सुबह अक्सर दास्तानों कि अहमियत देकर चलती है।


Monday 12 December 2022

कविता. ४६५३. उम्मीद मे आवाजों कि धून।

                                     उम्मीद मे आवाजों कि धून।

उम्मीद मे आवाजों कि धून संग अरमान जगाती है आशाओं को कदमों कि आहट सुबह सुनाती है तरानों को अरमानों कि परख रोशनी दिलाती है।

उम्मीद मे आवाजों कि कोशिश संग किनारा जगाती है अंदाजों को बदलावों कि सोच सौगात सुनाती है इशारों को लम्हों कि पुकार रोशनी दिलाती है।

उम्मीद मे आवाजों कि सरगम संग पहचान जगाती है नजारों को दिशाओं कि राह खयाल सुनाती है आशाओं को बदलावों कि सोच रोशनी दिलाती है।

उम्मीद मे आवाजों कि आस संग सौगात जगाती है अदाओं को तरानों कि पुकार अरमान सुनाती है अंदाजों को खयालों कि समझ रोशनी दिलाती है।

उम्मीद मे आवाजों कि राह संग अल्फाज जगाती है लम्हों को दास्तानों कि परख सौगात सुनाती है एहसासों को अदाओं कि आस रोशनी दिलाती है।

उम्मीद मे आवाजों कि अदा संग बदलाव जगाती है कदमों को जज्बातों कि मुस्कान अरमान सुनाती है नजारों को लहरों कि सुबह रोशनी दिलाती है।

उम्मीद मे आवाजों कि परख संग पहचान जगाती है किनारों को सपनों कि लहर अफसाना सुनाती है इशारों को आशाओं कि सरगम रोशनी दिलाती है।

उम्मीद मे आवाजों कि पुकार संग इशारा जगाती है अंदाजों को बदलावों कि सोच सरगम सुनाती है तरानों को दिशाओं कि कहानी रोशनी दिलाती है।

उम्मीद मे आवाजों कि सोच संग पुकार जगाती है दास्तानों को अदाओं कि पुकार इरादा सुनाती है नजारों को एहसासों कि सोच रोशनी दिलाती है।

उम्मीद मे आवाजों कि सौगात संग सरगम जगाती है कदमों को उजालों कि सुबह इशारा सुनाती है सपनों को अरमानों कि राह रोशनी दिलाती है।

Sunday 11 December 2022

कविता. ४६५२. किसी इशारे को दास्तानों कि।

                                  किसी इशारे को दास्तानों कि।

किसी इशारे को दास्तानों कि पहचान कोशिश सुनाती है सपनों को एहसासों कि रोशनी संग अरमान जगाती है तरानों को उम्मीदों कि पुकार सहारा देती है।

किसी इशारे को दास्तानों कि सौगात तलाश सुनाती है लम्हों को खयालों कि समझ संग नजारा जगाती है लहरों को दिशाओं कि कहानी सहारा देती है।

किसी इशारे को दास्तानों कि सोच अरमान सुनाती है लहरों को नजारों कि पहचान संग अल्फाज जगाती है लम्हों को खयालों कि समझ सहारा देती है।

किसी इशारे को दास्तानों कि परख कोशिश सुनाती है जज्बातों को कदमों कि आहट संग बदलाव जगाती है उजालों को आशाओं कि सरगम सहारा देती है।

किसी इशारे को दास्तानों कि सरगम आस सुनाती है नजारों को दिशाओं कि कहानी संग कोशिश जगाती है तरानों को अरमानों कि सुबह सहारा देती है।

किसी इशारे को दास्तानों कि रोशनी सपना सुनाती है कदमों को अदाओं कि पहचान संग मुस्कान जगाती है दिशाओं को आवाजों कि धून सहारा देती है।

किसी इशारे को दास्तानों कि सुबह किनारा सुनाती है लम्हों को बदलावों कि सोच संग अरमान जगाती है राहों को अल्फाजों कि मुस्कान सहारा देती है।

किसी इशारे को दास्तानों कि पुकार आवाज सुनाती है इरादों को आशाओं कि लहर संग एहसास जगाती है जज्बातों को अंदाजों कि आस सहारा देती है।

किसी इशारे को दास्तानों कि सोच तराना सुनाती है किनारों को अल्फाजों कि मुस्कान संग अफसाना जगाती है कदमों को उजालों कि राह सहारा देती है।

किसी इशारे को दास्तानों कि समझ पहचान सुनाती है आशाओं कि सरगम संग तलाश जगाती है लहरों को अफसानों कि समझ सहारा देती है।

Saturday 10 December 2022

कविता. ४६५१. इशारों कि सौगात

                                  इशारों कि सौगात से।

इशारों कि सौगात से दास्तानों कि पहचान संग अरमान जगाती है कदमों कि आहट अक्सर नजारों कि पुकार दिलाती है लम्हों को तरानों कि सुबह सुनाती है।

इशारों कि सौगात से खयालों कि कोशिश संग सपना जगाती है अल्फाजों कि मुस्कान अक्सर उम्मीदों कि समझ दिलाती है नजारों को राहों कि सुबह सुनाती है।

इशारों कि सौगात से किनारों कि सोच संग अफसाना जगाती है आशाओं कि सरगम अक्सर बदलावों कि परख दिलाती है किनारों को अंदाजों कि सुबह सुनाती है।

इशारों कि सौगात से नजारों कि पुकार संग अहमियत जगाती है किनारों कि सोच अक्सर दास्तानों कि रोशनी दिलाती है आवाजों को अदाओं कि सुबह सुनाती है।

इशारों कि सौगात से दिशाओं कि समझ संग बदलाव जगाती है जज्बातों कि आहट अक्सर अरमानों कि पुकार दिलाती है लहरों को नजारों कि सुबह सुनाती है।

इशारों कि सौगात से आशाओं कि सरगम संग उमंग जगाती है लम्हों कि पुकार अक्सर अफसानों कि समझ दिलाती है खयालों को अंदाजों कि सुबह सुनाती है।

इशारों कि सौगात से उजालों कि पहचान संग कोशिश जगाती है बदलावों कि समझ अक्सर जज्बातों कि मुस्कान दिलाती है किनारों को अल्फाजों कि सुबह सुनाती है।

इशारों कि सौगात से अदाओं कि परख संग पुकार जगाती है लहरों कि सरगम अक्सर दास्तानों कि अहमियत दिलाती है लम्हों को खयालों कि सुबह सुनाती है।

इशारों कि सौगात से अंदाजों कि आस संग एहसास जगाती है कदमों कि आहट अक्सर सपनों कि कोशिश दिलाती है बदलावों को दिशाओं कि सुबह सुनाती है।

इशारों कि सौगात से दिशाओं कि पुकार संग खयाल जगाती है तरानों कि आवाज अक्सर किनारों कि रोशनी दिलाती है आशाओं को उजालों कि सुबह सुनाती है।

Friday 9 December 2022

कविता. ४६५०. किनारों को सपनों कि।

                                    किनारों को सपनों कि।

किनारों को सपनों कि पुकार सहारा देती है लहरों कि आहट से आशाओं कि सरगम तलाश दिलाती है खयालों को अंदाजों कि आस अल्फाज दिलाती है।

किनारों को सपनों कि आस आवाज देती है तरानों कि सुबह से अंदाजों कि रोशनी कोशिश दिलाती है लम्हों को दास्तानों कि परख अल्फाज दिलाती है।

किनारों को सपनों कि आहट पहचान देती है नजारों कि सोच से दिशाओं कि समझ सपना दिलाती है लहरों को इशारों कि सौगात अल्फाज दिलाती है।

किनारों को सपनों कि रोशनी अफसाना देती है बदलावों कि सौगात से अदाओं कि परख इरादा दिलाती है नजारों को खयालों कि समझ अल्फाज दिलाती है।

किनारों को सपनों कि अदा कोशिश देती है कदमों कि लहर से अफसानों कि सुबह दास्तान दिलाती है अरमानों को दिशाओं कि मुस्कान अल्फाज दिलाती है।

किनारों को सपनों कि राह अरमान देती है खयालों कि समझ से आशाओं कि सोच आवाज दिलाती है उजालों को अंदाजों कि आस अल्फाज दिलाती है।

किनारों को सपनों कि लहर इशारा देती है जज्बातों कि सोच से एहसासों कि समझ सरगम दिलाती है दास्तानों को अदाओं कि कोशिश अल्फाज दिलाती है।

किनारों को सपनों कि आवाज सरगम देती है नजारों कि सौगात से उजालों कि राह आस दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ अल्फाज दिलाती है।

किनारों को सपनों कि उमंग पहचान देती है इशारों कि सरगम से खयालों कि सुबह दास्तान दिलाती है कदमों को उजालों कि पुकार अल्फाज दिलाती है।

किनारों को सपनों कि समझ कोशिश देती है उम्मीदों कि परख से आवाजों कि धून पुकार दिलाती है एहसासों को अदाओं कि सुबह अल्फाज दिलाती है।

Thursday 8 December 2022

कविता. ४६४९. दिशाओं को कदमों कि।

                                दिशाओं को कदमों कि।

दिशाओं को कदमों कि आहट एहसास दिलाती है लहरों से जज्बातों को अंदाजों कि आस कोशिश सुनाती है तरानों कि सुबह अक्सर पहचान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि आस सपना दिलाती है लम्हों से नजारों को अरमानों कि पुकार सौगात सुनाती है अफसानों कि समझ अक्सर पहचान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि राह आवाज दिलाती है किनारों से इशारों को लम्हों कि आहट अफसाना सुनाती है इरादों कि सौगात अक्सर पहचान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि पुकार खयाल दिलाती है नजारों से सपनों को आशाओं कि सरगम बदलाव सुनाती है कदमों कि आहट अक्सर पहचान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि सुबह दास्तान दिलाती है अदाओं से इरादों को दिशाओं कि समझ सपना सुनाती है किनारों कि सोच अक्सर पहचान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि अदा कोशिश दिलाती है उजालों से अंदाजों कि रोशनी अहमियत सुनाती है खयालों कि परख अक्सर पहचान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि परख सहारा दिलाती है जज्बातों से लम्हों कि पुकार कोशिश सुनाती है बदलावों कि सोच अक्सर पहचान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि लहर अंदाज दिलाती है किनारों से खयालों कि समझ तलाश सुनाती है लम्हों कि रोशनी अक्सर पहचान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि सोच अरमान दिलाती है लम्हों से आवाजों कि धून दास्तान सुनाती है किनारों कि मुस्कान अक्सर पहचान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि राह अफसाना दिलाती है नजारों से सपनों कि आस अल्फाज सुनाती है जज्बातों कि सौगात अक्सर पहचान दिलाती है।

Wednesday 7 December 2022

कविता. ४६४८. उम्मीद के इशारे अक्सर।

                                   उम्मीद के इशारे अक्सर।

उम्मीद के इशारे अक्सर आशाओं कि तलाश इशारा देती है तरानों कि पुकार से आवाजों कि धून कोशिश सुनाती है लम्हों कि पहचान दिलाती है।

उम्मीद के इशारे अक्सर अंदाजों कि आस अफसाना देती है दिशाओं कि समझ से जज्बातों कि राह अल्फाज सुनाती है कदमों कि पहचान दिलाती है।

उम्मीद के इशारे अक्सर दास्तानों कि परख रोशनी देती है किनारों कि सोच से दिशाओं कि समझ नजारा सुनाती है अदाओं कि पहचान दिलाती है।

उम्मीद के इशारे अक्सर किनारों कि सोच अरमान देती है कदमों कि आहट से दास्तानों कि परख आस सुनाती है नजारों कि पहचान दिलाती है।

उम्मीद के इशारे अक्सर एहसासों कि समझ अहमियत देती है दास्तानों कि सुबह से आवाजों कि सरगम सपना सुनाती है राहों कि पहचान दिलाती है।

उम्मीद के इशारे अक्सर अल्फाजों कि पुकार कोशिश देती है लहरों कि सरगम से खयालों कि समझ सोच सुनाती है आशाओं कि पहचान दिलाती है।

उम्मीद के इशारे अक्सर तरानों कि सुबह बदलाव देती है आवाजों कि धून से अरमानों कि परख कोशिश सुनाती है अंदाजों कि पहचान दिलाती है।

उम्मीद के इशारे अक्सर उजालों कि राह अफसाना देती है दास्तानों कि उमंग से आशाओं कि सरगम आस सुनाती है खयालों कि पहचान दिलाती है।

उम्मीद के इशारे अक्सर अरमानों कि आस अल्फाज देती है नजारों कि सोच से दिशाओं कि सौगात तलाश सुनाती है इरादों कि पहचान दिलाती है।

उम्मीद के इशारे अक्सर लहरों कि सरगम आवाज देती है इरादों कि सौगात से दास्तानों कि परख आस सुनाती है नजारों कि पहचान दिलाती है।

Tuesday 6 December 2022

कविता. ४६४७. उजालों कि लहर।

                                 उजालों कि लहर।

उजालों कि लहर आशाओं संग उम्मीद दिलाती है लम्हों को खयालों कि सुबह पुकार सुनाकर जाती है एहसासों कि आहट जज्बात देकर जाती है।

उजालों कि लहर आवाजों संग तलाश दिलाती है नजारों को दिशाओं कि समझ सपना सुनाकर जाती है किनारों कि सोच मुस्कान देकर जाती है।

उजालों कि लहर अंदाजों संग तराना दिलाती है कोशिश को अदाओं कि परख पहचान सुनाकर जाती है इशारों कि मुस्कान इरादा देकर जाती है।

उजालों कि लहर दास्तानों संग किनारा दिलाती है इशारों को दास्तानों कि सरगम एहसास सुनाकर जाती है आशाओं कि सोच अल्फाज देकर जाती है।

उजालों कि लहर कदमों संग मुस्कान दिलाती है लम्हों को तरानों कि कोशिश अरमान सुनाकर जाती है अंदाजों कि आस बदलाव देकर जाती है।

उजालों कि लहर इरादों संग तलाश दिलाती है आस को आवाजों कि धून पुकार सुनाकर जाती है अरमानों कि सौगात खयाल देकर जाती है।

उजालों कि लहर नजारों संग अफसाना दिलाती है राहों को अंदाजों कि परख दास्तान सुनाकर जाती है दिशाओं कि कहानी आस देकर जाती है।

उजालों कि लहर जज्बातों संग अदा दिलाती है अल्फाजों को इरादों कि कोशिश अफसाना सुनाकर जाती है उम्मीदों कि समझ खयाल देकर जाती है।

उजालों कि लहर दिशाओं संग अल्फाज दिलाती है आशाओं को अंदाजों कि आस मुस्कान सुनाकर जाती है नजारों कि सरगम कोशिश देकर जाती है।

उजालों कि लहर अंदाजों संग परख दिलाती है लम्हों को खयालों कि पहचान किनारा सुनाकर जाती है आशाओं कि सोच अरमान देकर जाती है।


Monday 5 December 2022

कविता. ४६४६. कदमों कि आहट अक्सर।

                                कदमों कि आहट अक्सर।

कदमों कि आहट अक्सर अरमानों कि सरगम दिलाती है लहरों को इशारों कि सौगात अफसाना सुनाती है लम्हों को खयालों कि समझ सपना देकर चलती है।

कदमों कि आहट अक्सर आशाओं कि सोच दिलाती है नजारों को दिशाओं कि समझ कोशिश सुनाती है जज्बातों को अंदाजों कि राह सपना देकर चलती है।

कदमों कि आहट अक्सर अंदाजों कि आस दिलाती है जज्बातों को किनारों कि सोच अफसाना सुनाती है तरानों को अरमानों कि पुकार सपना देकर चलती है।

कदमों कि आहट अक्सर दिशाओं कि समझ दिलाती है लम्हों को खयालों कि सुबह दास्तान सुनाती है अल्फाजों को तरानों कि पहचान सपना देकर चलती है।

कदमों कि आहट अक्सर अदाओं कि परख दिलाती है आशाओं को बदलावों कि सोच सहारा सुनाती है लहरों को उजालों कि सोच सपना देकर चलती है।

कदमों कि आहट अक्सर नजारों कि पहचान दिलाती है किनारों को अल्फाजों कि मुस्कान आवाज सुनाती है एहसासों को अदाओं कि समझ सपना देकर चलती है।

कदमों कि आहट अक्सर दास्तानों कि आवाज दिलाती है नजारों को राहों कि सरगम सुबह सुनाती है दिशाओं को बदलावों कि कोशिश सपना देकर चलती है।

कदमों कि आहट अक्सर खयालों कि समझ दिलाती है जज्बातों को किनारों कि समझ इशारा सुनाती है उम्मीदों को आवाजों कि समझ सपना देकर चलती है।

कदमों कि आहट अक्सर जज्बातों कि सौगात दिलाती है अफसानों को अल्फाजों कि सोच तलाश सुनाती है आशाओं को बदलावों कि सरगम सपना देकर चलती है।

कदमों कि आहट अक्सर इरादों कि अल्फाज दिलाती है लहरों को दास्तानों कि परख बदलाव सुनाती है जज्बातों को इशारों कि पुकार सपना देकर चलती है।

Sunday 4 December 2022

कविता. ४६४५. बदलावों से तरानों कि।

                                    बदलावों से तरानों कि।

बदलावों से तरानों कि सुबह अक्सर अफसाना दिलाती है जज्बातों को कदमों कि आहट पहचान सुनाती है उजालों से उम्मीदों कि लहर देकर जाती है।

बदलावों से तरानों कि परख अक्सर सरगम दिलाती है नजारों को दिशाओं कि अहमियत अल्फाज सुनाती है जज्बातों से लम्हों कि रोशनी देकर जाती है।

बदलावों से तरानों कि सोच अक्सर उमंग दिलाती है इशारों को आशाओं कि सरगम पुकार सुनाती है अदाओं से दास्तानों कि सौगात देकर जाती है।

बदलावों से तरानों कि आस अक्सर कोशिश दिलाती है अंदाजों को जज्बातों कि मुस्कान आवाज सुनाती है दिशाओं से इरादों कि कोशिश देकर जाती है।

बदलावों से तरानों कि समझ अक्सर आवाज दिलाती है उम्मीदों को कदमों कि आहट खयाल सुनाती है नजारों से सपनों कि पहचान देकर जाती है।

बदलावों से तरानों कि कोशिश अक्सर आहट दिलाती है लहरों को अफसानों कि आस सरगम सुनाती है लम्हों से अंदाजों कि अरमान देकर जाती है।

बदलावों से तरानों कि सरगम अक्सर नजारा दिलाती है एहसासों को अदाओं कि परख आहट सुनाती है दिशाओं से इरादों कि पुकार देकर जाती है।

बदलावों से तरानों कि आवाज अक्सर किनारा दिलाती है लम्हों को अल्फाजों कि मुस्कान दास्तान सुनाती है लहरों से जज्बातों कि सुबह देकर जाती है।

बदलावों से तरानों कि सौगात अक्सर कोशिश दिलाती है उजालों को सपनों कि राह इरादा सुनाती है आशाओं से अंदाजों कि समझ देकर जाती है।

बदलावों से तरानों कि परख अक्सर लम्हा दिलाती है लहरों को इशारों कि अहमियत खयाल सुनाती है नजारों से दास्तानों कि आस एहसास देकर जाती है।

Saturday 3 December 2022

कविता. ४६४४. खयालों कि समझ से।

                                     खयालों कि समझ से।

खयालों कि समझ से सपनों कि कोशिश देकर चलती है राहों को अरमानों संग आशाओं से जज्बात दिलाती है लहरों कि पहचान सहारा देती है।

खयालों कि समझ से नजारों कि सोच देकर चलती है अदाओं को दिशाओं संग अंदाजों से पुकार दिलाती है किनारों कि मुस्कान सहारा देती है।

खयालों कि समझ से इशारों कि सौगात देकर चलती है उम्मीदों को कदमों संग आस से रोशनी दिलाती है दास्तानों कि परख सहारा देती है।

खयालों कि समझ से अंदाजों कि आस देकर चलती है किनारों को अल्फाजों संग तलाश से पहचान दिलाती है नजारों कि सोच सहारा देती है।

खयालों कि समझ से उजालों कि सुबह देकर चलती है दिशाओं को बदलावों संग आस से पुकार दिलाती है कोशिश कि लहर सहारा देती है।

खयालों कि समझ से जज्बातों कि परख देकर चलती है आवाजों को अदाओं संग कोशिश से एहसास दिलाती है लम्हों कि आहट सहारा देती है।

खयालों कि समझ से दास्तानों कि पुकार देकर चलती है आशाओं को लम्हों संग आवाजों से उमंग दिलाती है जज्बातों कि आस सहारा देती है।

खयालों कि समझ से आशाओं कि तलाश देकर चलती है तरानों को उम्मीदों संग बदलावों से उजाला दिलाती है अदाओं कि परख सहारा देती है।

खयालों कि समझ से दिशाओं कि सरगम देकर चलती है नजारों को राहों संग आवाजों से पहचान दिलाती है तरानों कि सुबह सहारा देती है।

खयालों कि समझ से एहसासों कि रोशनी देकर चलती है लम्हों को अरमानों संग इशारों से अहमियत दिलाती है अंदाजों कि सौगात सहारा देती है।

Friday 2 December 2022

कविता. ४६४३. अल्फाजों कि आवाज संग।

                                     अल्फाजों कि आवाज संग।

अल्फाजों कि आवाज संग एहसास दिलाती है अंदाजों कि तलाश से कदमों कि आहट अरमान सुनाती है तरानों पर बदलावों कि सोच देकर जाती है।

अल्फाजों कि आवाज संग कोशिश दिलाती है जज्बातों कि मुस्कान से दिशाओं कि समझ अफसाना सुनाती है नजारों पर उजालों कि सोच देकर जाती है।

अल्फाजों कि आवाज संग दास्तान दिलाती है लहरों कि सरगम से खयालों कि सौगात अदा सुनाती है लम्हों पर एहसासों कि सोच देकर जाती है।

अल्फाजों कि आवाज संग परख दिलाती है कदमों कि कोशिश से जज्बातों कि सुबह आस सुनाती है इशारों पर खयालों कि सोच देकर जाती है।

अल्फाजों कि आवाज संग पुकार दिलाती है किनारों कि सौगात से दास्तानों कि परख कोशिश सुनाती है इरादों पर आशाओं कि सोच देकर जाती है।

अल्फाजों कि आवाज संग राह दिलाती है लम्हों कि रोशनी से अरमानों कि सरगम बदलाव सुनाती है अंदाजों पर उजालों कि सोच देकर जाती है।

अल्फाजों कि आवाज संग मुस्कान दिलाती है खयालों कि समझ से आशाओं कि पहचान तलाश सुनाती है अदाओं पर नजारों कि सोच देकर जाती है।

अल्फाजों कि आवाज संग अरमान दिलाती है दास्तानों कि परख से अंदाजों कि उमंग सरगम सुनाती है दिशाओं पर एहसासों कि सोच देकर जाती है।

अल्फाजों कि आवाज संग आस दिलाती है इशारों कि कोशिश से आशाओं कि पुकार सपना सुनाती है नजारों पर बदलावों कि सोच देकर जाती है।

अल्फाजों कि आवाज संग रोशनी दिलाती है कदमों कि आहट से अरमानों कि सुबह दास्तान सुनाती है खयालों पर लम्हों कि सोच देकर जाती है।

 

Thursday 1 December 2022

कविता. ४६४२. किनारों कि आहट अक्सर।

                                   किनारों कि आहट अक्सर।

किनारों कि आहट अक्सर अरमानों के इशारे देती है कदमों को अदाओं कि पहचान आस दिलाती है लहरों कि सरगम से दिशाओं कि समझ सपना सुनाती है।

किनारों कि आहट अक्सर अफसानों के तराने देती है तरानों को अरमानों कि पुकार कोशिश दिलाती है लम्हों कि रोशनी से कदमों कि आस सपना सुनाती है।

किनारों कि आहट अक्सर खयालों के लम्हे देती है दास्तानों को एहसासों कि रोशनी पहचान दिलाती है उजालों कि सुबह से नजारों कि सोच सपना सुनाती है।

किनारों कि आहट अक्सर अंदाजों के नजारे देती है आशाओं को बदलावों कि कोशिश सुबह दिलाती है इशारों कि राह से उम्मीदों कि सरगम सपना सुनाती है।

किनारों कि आहट अक्सर दास्तानों के इरादे देती है आवाजों को राहों कि मुस्कान तलाश दिलाती है अल्फाजों कि पुकार से खयालों कि सुबह सपना सुनाती है।

किनारों कि आहट अक्सर अदाओं के उम्मीदे देती है नजारों को दिशाओं कि आवाज सरगम दिलाती है लहरों कि सरगम से अंदाजों कि रोशनी सपना सुनाती है।

किनारों कि आहट अक्सर नजारों के अफसाने देती है दिशाओं को कदमों कि सोच बदलाव दिलाती है आशाओं कि आस से एहसासों कि समझ सपना सुनाती है।

किनारों कि आहट अक्सर राहों के लहरे देती है लम्हों को दास्तानों कि पहचान इशारा दिलाती है बदलावों कि कोशिश से आवाजों कि धून सपना सुनाती है।

किनारों कि आहट अक्सर अरमानों के राहे देती है जज्बातों को अदाओं कि सौगात कोशिश दिलाती है लम्हों कि आहट से आशाओं कि रोशनी सपना सुनाती है।

किनारों कि आहट अक्सर अल्फाजों के उजाले देती है आवाजों को खयालों कि समझ तलाश दिलाती है अदाओं कि सुबह से अफसानों कि कोशिश सपना सुनाती है।

कविता. ५१५४. इरादों को आशाओं की।

                            इरादों को आशाओं की। इरादों को आशाओं की मुस्कान कोशिश दिलाती है खयालों को अंदाजों की आस किनारा देकर जाती है जज्बा...