Monday 12 December 2022

कविता. ४६५३. उम्मीद मे आवाजों कि धून।

                                     उम्मीद मे आवाजों कि धून।

उम्मीद मे आवाजों कि धून संग अरमान जगाती है आशाओं को कदमों कि आहट सुबह सुनाती है तरानों को अरमानों कि परख रोशनी दिलाती है।

उम्मीद मे आवाजों कि कोशिश संग किनारा जगाती है अंदाजों को बदलावों कि सोच सौगात सुनाती है इशारों को लम्हों कि पुकार रोशनी दिलाती है।

उम्मीद मे आवाजों कि सरगम संग पहचान जगाती है नजारों को दिशाओं कि राह खयाल सुनाती है आशाओं को बदलावों कि सोच रोशनी दिलाती है।

उम्मीद मे आवाजों कि आस संग सौगात जगाती है अदाओं को तरानों कि पुकार अरमान सुनाती है अंदाजों को खयालों कि समझ रोशनी दिलाती है।

उम्मीद मे आवाजों कि राह संग अल्फाज जगाती है लम्हों को दास्तानों कि परख सौगात सुनाती है एहसासों को अदाओं कि आस रोशनी दिलाती है।

उम्मीद मे आवाजों कि अदा संग बदलाव जगाती है कदमों को जज्बातों कि मुस्कान अरमान सुनाती है नजारों को लहरों कि सुबह रोशनी दिलाती है।

उम्मीद मे आवाजों कि परख संग पहचान जगाती है किनारों को सपनों कि लहर अफसाना सुनाती है इशारों को आशाओं कि सरगम रोशनी दिलाती है।

उम्मीद मे आवाजों कि पुकार संग इशारा जगाती है अंदाजों को बदलावों कि सोच सरगम सुनाती है तरानों को दिशाओं कि कहानी रोशनी दिलाती है।

उम्मीद मे आवाजों कि सोच संग पुकार जगाती है दास्तानों को अदाओं कि पुकार इरादा सुनाती है नजारों को एहसासों कि सोच रोशनी दिलाती है।

उम्मीद मे आवाजों कि सौगात संग सरगम जगाती है कदमों को उजालों कि सुबह इशारा सुनाती है सपनों को अरमानों कि राह रोशनी दिलाती है।

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