Saturday 30 April 2022

कविता. ४४२८. आशाओं को एहसासों कि।

                        आशाओं को एहसासों कि।

आशाओं को एहसासों कि तलाश सरगम सुनाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग अरमान दिलाती है लम्हों को कदमों कि सोच इरादा देकर जाती है।

आशाओं को एहसासों कि मुस्कान कोशिश सुनाती है तरानों को उम्मीदों कि रोशनी सरगम दिलाती है जज्बातों को दिशाओं कि राह इरादा देकर जाती है।

आशाओं को एहसासों कि आस अल्फाज सुनाती है अफसानों को अंदाजों कि परख खयाल दिलाती है बदलावों को अदाओं कि समझ इरादा देकर जाती है।

आशाओं को एहसासों कि पहचान किनारा सुनाती है लम्हों को कदमों कि तलाश आवाज दिलाती है सपनों को अल्फाजों कि सुबह इरादा देकर जाती है।

आशाओं को एहसासों कि सरगम सपना सुनाती है लहरों को खयालों कि उम्मीद आस दिलाती है दिशाओं को उजालों कि सौगात इरादा देकर जाती है।

आशाओं को एहसासों कि परख पहचान सुनाती है खयालों को जज्बातों कि सोच आस दिलाती है आवाजों को तरानों कि रोशनी इरादा देकर जाती है।

आशाओं को एहसासों कि सौगात पुकार सुनाती है राहों को किनारों कि सुबह अरमान दिलाती है अंदाजों को खयालों कि सरगम इरादा देकर जाती है।

आशाओं को एहसासों कि आवाज खयाल सुनाती है नजारों को अदाओं कि सौगात बदलाव दिलाती है तरानों को किनारों कि कोशिश इरादा देकर जाती है।

आशाओं को एहसासों कि राह उमंग सुनाती है जज्बातों को दिशाओं कि समझ पहचान दिलाती है कदमों को आवाजों कि धून इरादा देकर जाती है।

आशाओं को एहसासों कि सोच अंदाज सुनाती है बदलावों को खयालों कि सरगम सपना दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं इरादा देकर जाती है।

Friday 29 April 2022

कविता. ४४२७. उजालों को अल्फाजों कि।

                             उजालों को अल्फाजों कि।

उजालों को अल्फाजों कि सोच एहसास दिलाती है आशाओं के जज्बातों कि लहर कोशिश सुनाती है किनारों को खयालों कि आस बदलाव दिलाती है।

उजालों को अल्फाजों कि सौगात राह दिलाती है सपनों के आवाजों कि धून मुस्कान सुनाती है कदमों को दास्तानों कि सुबह बदलाव दिलाती है।

उजालों को अल्फाजों कि पहचान परख दिलाती है लहरों के अंदाजों कि राह अरमान सुनाती है आवाजों को लम्हों कि परख बदलाव दिलाती है।

उजालों को अल्फाजों कि पुकार कोशिश दिलाती है किनारों के अदाओं कि समझ किनारा सुनाती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग बदलाव दिलाती है।

उजालों को अल्फाजों कि सरगम खयाल दिलाती है लहरों के अंदाजों कि आस परख सुनाती है राहों को अरमानों कि धाराएं मुस्कान बदलाव दिलाती है।

उजालों को अल्फाजों कि समझ राह दिलाती है कदमों के एहसासों कि तलाश इशारा सुनाती है अदाओं को नजारों कि तलाश बदलाव दिलाती है।

उजालों को अल्फाजों कि सौगात तराना दिलाती है लम्हों के दिशाओं कि उमंग अरमान सुनाती है नजारों को तरानों कि सोच बदलाव दिलाती है।

उजालों को अल्फाजों कि पहचान तलाश दिलाती है सपनों के दास्तानों कि सोच अफसाना सुनाती है राहों को एहसासों कि लहर बदलाव दिलाती है।

उजालों को अल्फाजों कि आस खयाल दिलाती है दिशाओं के तरानों कि रोशनी अरमान सुनाती है लहरों को आशाओं कि सौगात बदलाव दिलाती है।

उजालों को अल्फाजों कि राह सुबह दिलाती है लहरों के अंदाजों कि राह कोशिश सुनाती है कदमों को लहरों कि पुकार बदलाव दिलाती है।

Thursday 28 April 2022

कविता. ४४२६. सुबह को अल्फाजों कि।

                         सुबह को अल्फाजों कि।

सुबह को अल्फाजों कि धाराएं अफसाना देती है किनारों को आशाओं कि मुस्कान कोशिश दिलाती है दास्तानों से खयालों कि उम्मीद आवाज देकर चलती है।

सुबह को अल्फाजों कि अदाएं तलाश देती है कदमों को अफसानों कि धून एहसास दिलाती है लहरों से दिशाओं कि सरगम आवाज देकर चलती है।

सुबह को अल्फाजों कि परख पहचान देती है नजारों को एहसासों कि तलाश किनारा दिलाती है अदाओं से खयालों कि उमंग आवाज देकर चलती है।

सुबह को अल्फाजों कि पुकार अल्फाज देती है कोशिश को नजारों कि आस दास्तान दिलाती है लम्हों से जज्बातों कि सोच आवाज देकर चलती है।

सुबह को अल्फाजों कि आस खयाल देती है बदलावों को इशारों कि सौगात अल्फाज दिलाती है नजारों से अफसानों कि पुकार आवाज देकर चलती है।

सुबह को अल्फाजों कि सरगम कोशिश देती है तरानों को अंदाजों कि पहचान तराना दिलाती है सपनों से अदाओं कि मुस्कान आवाज देकर चलती है।

सुबह को अल्फाजों कि दिशाएं सपना देती है उम्मीदों को आशाओं कि परख जज्बात दिलाती है राहों से अंदाजों कि सोच आवाज देकर चलती है।

सुबह को अल्फाजों कि रोशनी खयाल देती है नजारों को अल्फाजों कि सोच इरादा दिलाती है दिशाओं से कदमों कि पहचान आवाज देकर चलती है।

सुबह को अल्फाजों कि लहर किनारा देती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग उजाला दिलाती है लम्हों से कोशिश कि परख आवाज देकर चलती है।

सुबह को अल्फाजों कि पुकार पहचान देती है अंदाजों को इरादों कि तलाश अहमियत दिलाती है लहरों से सपनों कि आहट आवाज देकर चलती है।

Wednesday 27 April 2022

कविता. ४४२५. उमंग को किनारों से।

                                उमंग को किनारों से।

उमंग को किनारों से जुड़कर आस दिलाती है सपनों से अदाओं कि कोशिश अफसाना देती है लहरों को अल्फाजों कि सोच सपना देकर चलती है।

उमंग को किनारों से समझकर अदा दिलाती है कदमों से राहों कि तलाश अरमान देती है जज्बातों को दिशाओं कि पहचान मुस्कान देकर चलती है।

उमंग को किनारों से परखकर खयाल दिलाती है लम्हों से कोशिश कि पुकार आस देती है बदलावों को इशारों कि सुबह अरमान देकर चलती है।

उमंग को किनारों से मिलकर इशारा दिलाती है अंदाजों से रोशनी कि समझ सौगात देती है तरानों को खयालों कि सरगम आवाज देकर चलती है।

उमंग को किनारों से जुड़कर मुस्कान दिलाती है दिशाओं से इरादों कि परख पहचान देती है उम्मीदों को अदाओं कि लहर कोशिश देकर चलती है।

उमंग को किनारों से समझकर एहसास दिलाती है लम्हों से आवाजों कि धून अल्फाज देती है कदमों को आशाओं कि जज्बात देकर चलती है।

उमंग को किनारों से परखकर सौगात दिलाती है अंदाजों से अरमानों कि सुबह कोशिश देती है तरानों को अदाओं कि सरगम देकर चलती है।

उमंग को किनारों से मिलकर पुकार दिलाती है तरानों से दिशाओं कि समझ सौगात देती है दास्तानों को बदलावों कि सोच देकर चलती है।

उमंग को किनारों से जुड़कर कोशिश दिलाती है लम्हों से दास्तानों कि सोच इरादा देती है नजारों को एहसासों कि परख देकर चलती है।

उमंग को किनारों से समझकर पहचान दिलाती है सपनों से नजारों कि सौगात खयाल देती है कदमों को दास्तानों कि अफसाना देकर चलती है।

Tuesday 26 April 2022

कविता. ४४२४. हर लहर को।

                                       हर लहर को।

हर लहर को अंदाजों कि सौगात सहारा दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश सरगम सुनाती है कदमों को दास्तानों कि राह मुस्कान दिलाती है।

हर लहर को कदमों कि आहट अफसाना दिलाती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग अरमान सुनाती है दिशाओं को उजालों कि समझ मुस्कान दिलाती है।

हर लहर को किनारों कि सुबह कोशिश दिलाती है आशाओं को अदाओं कि सौगात उमंग सुनाती है नजारों को एहसासों कि परख मुस्कान दिलाती है।

हर लहर को कोशिश कि दास्तान अल्फाज दिलाती है नजारों को लम्हों कि रोशनी खयाल सुनाती है उम्मीदों को आवाजों कि धून मुस्कान दिलाती है।

हर लहर को नजारों कि तलाश आस दिलाती है आवाजों को बदलावों कि सोच सरगम सुनाती है इशारों को अरमानों कि धाराएं मुस्कान दिलाती है।

हर लहर को तरानों कि राह खयाल दिलाती है अंदाजों को इरादों कि सौगात आस सुनाती है जज्बातों को दिशाओं कि पहचान मुस्कान दिलाती है।

हर लहर को कदमों कि पुकार आहट दिलाती है जज्बातों को दिशाओं कि उम्मीद अरमान सुनाती है नजारों को अदाओं कि सौगात मुस्कान दिलाती है।

हर लहर को जज्बातों कि पहचान कोशिश दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश परख सुनाती है राहों को किनारों कि सुबह मुस्कान दिलाती है।

हर लहर को बदलावों कि सोच इरादा दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अंदाज सुनाती है रोशनी को खयालों कि सरगम मुस्कान दिलाती है।

हर लहर को उजालों कि परख अहमियत दिलाती है उम्मीदों को आवाजों कि धून एहसास सुनाती है तरानों को अंदाजों कि सोच मुस्कान दिलाती है।

Monday 25 April 2022

कविता. ४४२३. किसी दास्तान कि आहट।

                         किसी दास्तान कि आहट।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और कहानी देती है उजालों को कदमों कि बदलाव से एहसासों कि निशानी देती है तरानों कि सरगम अनजानी देती है।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और दिशाएं देती है उम्मीदों को किनारों कि पुकार से अरमानों कि परख देती है नजारों कि तलाश अनजानी देती है।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और आस देती है नजारों को एहसासों कि सुबह से अंदाजों कि मुस्कान देती है जज्बातों कि लहर अनजानी देती है।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और आवाज देती है दिशाओं को उजालों कि कोशिश से अदाओं कि समझ देती है उम्मीदों कि सौगात अनजानी देती है।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और अरमान देती है तरानों को कदमों कि आस से बदलावों कि उमंग देती है रोशनी कि पुकार अनजानी देती है।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और अल्फाज देती है एहसासों को दिशाओं कि उम्मीद से आवाजों कि धून देती है राहों कि कोशिश अनजानी देती है।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और अफसाना देती है लम्हों को खयालों कि उमंग से आशाओं कि मुस्कान देती है सपनों कि सुबह अनजानी देती है।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और नजारा देती है उम्मीदों को आवाजों कि धून से अंदाजों कि लहर देती है इशारों कि पहचान अनजानी देती है।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और सौगात देती है बदलावों को इरादों कि पुकार से अरमानों कि परख देती है अंदाजों कि लहर अनजानी देती है।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और परख देती है किनारों को आशाओं कि कोशिश से अदाओं कि समझ देती है उजालों कि सोच अनजानी देती है।

Sunday 24 April 2022

कविता. ४४२२. एक पुकार कि उम्मीद अक्सर।

                       एक पुकार कि उम्मीद अक्सर।

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर अहम रहती है आशाओं संग मुस्कान इशारों कि कहानी कहती है अरमानों को जज्बातों कि पहचान तलाश दिलाती है। 

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर लहर बन जाती है जज्बातों संग राह एहसासों कि सरगम कहती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना दिलाती है।

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर रोशनी देकर जाती है दिशाओं संग परख खयालों कि कोशिश कहती है अंदाजों को इशारों कि सोच सौगात दिलाती है।

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर आस सुनाती है लहरों संग पहचान किनारों कि सोच कहती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग अरमान दिलाती है।

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर कोशिश देकर रहती है अंदाजों संग सोच कदमों कि आहट कहती है सपनों को नजारों कि आस अल्फाज दिलाती है।

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर खयाल दे जाती है आशाओं संग सुबह बदलावों कि सरगम कहती है तरानों को किनारों कि पहचान दिलाती है।

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर तलाश सुनाती है नजारों संग मुस्कान खयालों कि लहर कहती है अदाओं को लम्हों कि अहमियत दिलाती है।

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर बदलाव देकर जाती है इशारों संग राह आशाओं कि सौगात कहती है राहों को अरमानों कि धाराएं दिलाती है।

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर सुबह दे जाती है खयालों संग समझ आवाजों कि धून कहती है दिशाओं को बदलावों कि कोशिश दिलाती है।

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर आस सुनाती है उजालों संग आस अंदाजों कि राह कहती है अल्फाजों को तरानों कि सरगम दिलाती है।


Saturday 23 April 2022

कविता. ४४२१. किनारों से आशाओं कि।

                             किनारों से आशाओं कि।

किनारों से आशाओं कि लहर इशारा दिलाती है सपनों को नजारों कि सुबह एहसास देकर जाती है अरमानों से मिलकर राहों को अल्फाजों कि सोच सुनाती है।

किनारों से आशाओं कि लम्हा सरगम दिलाती है जज्बातों को दिशाओं कि मुस्कान रोशनी देकर जाती है अंदाजों से जुड़कर दास्तानों को बदलावों कि सोच सुनाती है।

किनारों से आशाओं कि मुस्कान कोशिश दिलाती है राहों को दास्तानों कि अहमियत सौगात देकर जाती है अदाओं से समझकर तरानों को उम्मीदों कि सोच सुनाती है।

किनारों से आशाओं कि सुबह एहसास दिलाती है दिशाओं को उजालों कि परख पहचान देकर जाती है आवाजों से सुनाकर लहरों को अफसानों कि सोच सुनाती है।

किनारों से आशाओं कि आस अरमान दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना देकर जाती है जज्बातों से मिलकर इशारों को लहरों कि सोच सुनाती है।

किनारों से आशाओं कि पुकार अल्फाज दिलाती है आवाजों को लम्हों कि रोशनी खयाल देकर जाती है बदलावों से जुड़कर कदमों को दास्तानों कि सोच सुनाती है।

किनारों से आशाओं कि रोशनी लहर दिलाती है अंदाजों को अफसानों कि उमंग पुकार देकर जाती है दास्तानों से सुनाकर खयालों को तरानों कि सोच सुनाती है।

किनारों से आशाओं कि आस दास्तान दिलाती है लहरों को अल्फाजों कि सरगम परख देकर जाती है इशारों से मिलकर आवाजों को लम्हों कि सोच सुनाती है।

किनारों से आशाओं कि मुस्कान तराना दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश सौगात देकर जाती है अदाओं से समझकर अंदाजों को इशारों कि सोच सुनाती है।

किनारों से आशाओं कि लहर सपना दिलाती है कदमों को दास्तानों कि सुबह एहसास देकर जाती है जज्बातों से सुनाकर खयालों को उम्मीदों कि सोच सुनाती है।

Friday 22 April 2022

कविता. ४४२०. आवाज कि धून एहसासों कि।

                         आवाज कि धून एहसासों कि।

आवाज कि धून एहसासों कि तलाश जगाती है दिशाओं से इरादों कि मुस्कान अरमान दिलाती है लम्हों को किनारों कि सुबह अल्फाज सुनाती है लहरों को नजारों अक्सर अफसानों कि कोशिश देती है।

आवाज कि धून एहसासों कि सोच जगाती है जज्बातों से अफसानों कि सौगात रोशनी दिलाती है कदमों को दास्तानों कि अहमियत सपना सुनाती है लम्हों को दास्तानों अक्सर अरमानों कि कोशिश देती है।

आवाज कि धून एहसासों कि सुबह जगाती है बदलावों से आशाओं कि परख पहचान दिलाती है लम्हों को अरमानों कि पुकार जज्बात सुनाती है अंदाजों को इशारों अक्सर राहों कि कोशिश देती है।

आवाज कि धून एहसासों कि लहर जगाती है किनारों से अंदाजों कि मुस्कान सरगम दिलाती है उजालों को अल्फाजों कि राह लहर सुनाती है तरानों को उम्मीदों अक्सर दास्तानों कि कोशिश देती है।

आवाज कि धून एहसासों कि सोच जगाती है कदमों से अल्फाजों कि सुबह सौगात दिलाती है खयालों को उम्मीदों कि मुस्कान समझ सुनाती है बदलावों को उमंग अक्सर अफसानों कि कोशिश देती है।

आवाज कि धून एहसासों कि उमंग जगाती है खयालों से उजालों कि समझ अरमान दिलाती है सपनों को नजारों कि सौगात इशारा सुनाती है अंदाजों को सुबह अक्सर किनारों कि कोशिश देती है।

आवाज कि धून एहसासों कि किनारा जगाती है अदाओं से बदलावों कि उमंग पहचान दिलाती है लम्हों को जज्बातों कि राह तराना सुनाती है नजारों को पुकार अक्सर आशाओं कि कोशिश देती है।

आवाज कि धून एहसासों कि उम्मीद जगाती है किनारों से आशाओं कि सौगात रोशनी दिलाती है सपनों को नजारों कि सुबह आस सुनाती है कदमों को दास्तान अक्सर लम्हों कि कोशिश देती है।

आवाज कि धून एहसासों कि समझ जगाती है जज्बातों से सपनों कि पुकार अल्फाज दिलाती है कदमों को दास्तानों कि सोच इरादा सुनाती है लहरों को पहचान अक्सर अल्फाजों कि कोशिश देती है।

आवाज कि धून एहसासों कि लहर जगाती है कदमों से अरमानों कि सोच सुबह दिलाती है लम्हों को दिशाओं कि उमंग एहसास सुनाती है खयालों को पुकार अक्सर अंदाजों कि कोशिश देती है।

Thursday 21 April 2022

कविता. ४४१९. जज्बातों को दिशाओं कि।

                        जज्बातों को दिशाओं कि।

जज्बातों को दिशाओं कि उमंग मुस्कान दिलाती है कोशिश को कदमों कि आहट अफसाना सुनाती है नजारों को एहसासों कि तलाश खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि सुबह एहसास दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि सोच सपना सुनाती है इशारों को तरानों कि परख खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि पुकार अल्फाज दिलाती है कदमों को इरादों कि सौगात उमंग सुनाती है राहों को किनारों कि सोच खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि सोच इरादा दिलाती है आवाजों को उजालों कि समझ पुकार सुनाती है दास्तानों को बदलावों कि लहर खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि समझ सोच दिलाती है लम्हों को रोशनी कि आहट नजारा सुनाती है एहसासों को अदाओं कि समझ खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि आस सुबह दिलाती है लहरों को अफसानों कि सरगम धून सुनाती है कदमों को उम्मीदों कि सौगात खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि तलाश इशारा दिलाती है सपनों को नजारों कि सौगात एहसास सुनाती है राहों को किनारों कि सोच खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि उमंग रोशनी दिलाती है बदलावों को इशारों कि सोच अहमियत सुनाती है दास्तानों को उजालों कि समझ खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि पहचान मुस्कान दिलाती है लम्हों को कोशिश कि सरगम आस सुनाती है तरानों को अंदाजों कि मुस्कान खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि उम्मीद एहसास दिलाती है राहों को अरमानों कि धाराएं अंदाज सुनाती है नजारों को अदाओं कि सुबह खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि लहर इशारा दिलाती है नजारों को एहसासों कि सोच सरगम सुनाती है आशाओं को लम्हों कि रोशनी खयाल देकर जाती है।

Wednesday 20 April 2022

कविता. ४४१८. आशाओं को अदाओं कि।

                             आशाओं को अदाओं कि।

आशाओं को अदाओं कि सौगात सरगम देती है तरानों को उम्मीदों कि तलाश खयाल दिलाती है सपनों को नजारों कि समझ मुस्कान देकर जाती है।

आशाओं को अदाओं कि समझ अरमान दिलाती है लहरों को अफसानों कि सोच सपना सुनाती है इशारों को तरानों कि राह देकर जाती है।

आशाओं को अदाओं कि दास्तान अल्फाज दिलाती है कदमों को दास्तानों कि सुबह एहसास दिलाती है जज्बातों को अंदाजों कि कोशिश देकर जाती है।

आशाओं को अदाओं कि लहर अफसाना दिलाती है किनारों को अंदाजों कि राह नजारा दिलाती है अरमानों को खयालों कि उम्मीद देकर जाती है।

आशाओं को अदाओं कि सोच इरादा देती है अल्फाजों को एहसासों कि समझ आस दिलाती है अंदाजों को इशारों कि सुबह देकर जाती है।

आशाओं को अदाओं कि सौगात बदलाव देती है तरानों को बदलावों कि उमंग जज्बात सुनाती है दिशाओं को कदमों कि आहट देकर जाती है।

आशाओं को अदाओं कि सुबह एहसास दिलाती है लहरों को अफसानों कि समझ अरमान दिलाती है लम्हों को अल्फाजों कि समझ देकर जाती है।

आशाओं को अदाओं कि अरमान इशारा दिलाती है राहों को किनारों कि सुबह एहसास दिलाती है दास्तानों को नजारों कि सरगम देकर जाती है।

आशाओं को अदाओं कि लहर अहमियत दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना दिलाती है आवाजों को बदलावों कि आस देकर जाती है।

आशाओं को अदाओं कि सुबह उजाला दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश खयाल दिलाती है जज्बातों को एहसासों कि बदलाव देकर जाती है।

Tuesday 19 April 2022

कविता. ४४१७. किनारों से आशाओं कि।

                               किनारों से आशाओं कि।

किनारों से आशाओं कि लहर अरमान जगाती है जज्बातों कि पुकार मुस्कान संग एहसास दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश इशारा देती है।

किनारों से आशाओं कि सौगात सुबह जगाती है कदमों कि सरगम दास्तान संग नजारा दिलाती है बदलावों को लम्हों कि रोशनी इशारा देती है।

किनारों से आशाओं कि कोशिश एहसास जगाती है उजालों कि समझ खयाल संग उम्मीद दिलाती है आवाजों को कदमों कि आहट इशारा देती है।

किनारों से आशाओं कि दास्तान अल्फाज जगाती है लहरों कि पुकार सौगात संग जज्बात दिलाती है दिशाओं को उजालों कि परख इशारा देती है।

किनारों से आशाओं कि सरगम सपना जगाती है खयालों कि उमंग अरमान संग परख दिलाती है लहरों को अफसानों कि सोच इशारा देती है।

किनारों से आशाओं कि मुस्कान रोशनी जगाती है जज्बातों कि लहर आस संग रोशनी दिलाती है सपनों को नजारों कि सुबह इशारा देती है।

किनारों से आशाओं कि राह अहमियत जगाती है अंदाजों कि राह जज्बात संग एहसास दिलाती है खयालों को उम्मीदों कि धून इशारा देती है।

किनारों से आशाओं कि तलाश तराना जगाती है नजारों कि सुबह अफसाने संग उम्मीद दिलाती है बदलावों को आवाजों कि सौगात इशारा देती है।

किनारों से आशाओं कि सरगम सपना जगाती है कदमों कि आहट खयाल संग सौगात दिलाती है लम्हों को अरमानों कि पुकार इशारा देती है।

किनारों से आशाओं कि सोच इरादा जगाती है जज्बातों कि लहर मुस्कान संग दास्तान दिलाती है नजारों को अदाओं कि समझ इशारा देती है।

Monday 18 April 2022

कविता. ४४१६. रोशनी कि एक लकिर।

                              रोशनी कि एक लकिर।

रोशनी कि एक लकिर आशाओं कि सुबह दिलाती है कदमों को दास्तानों कि पहचान इशारे दिलाती है नजारों को एहसासों कि तलाश सुनाती है।

रोशनी कि एक लकिर आवाजों कि धून दिलाती है सपनों को जज्बातों कि पुकार अल्फाज दिलाती है इरादों को अंदाजों कि सरगम सुनाती है।

रोशनी कि एक लकिर अंदाजों कि मुस्कान दिलाती है किनारों को आशाओं कि मुस्कान अरमान दिलाती है खयालों को उम्मीदों कि सौगात सुनाती है।

रोशनी कि एक लकिर दिशाओं कि उमंग दिलाती है खयालों को अंदाजों कि अल्फाज अहमियत दिलाती है आवाजों को बदलावों कि सुबह सुनाती है।

रोशनी कि एक लकिर राहों कि एहसास दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अफसाना दिलाती है तरानों को उजालों कि परख सुनाती है।

रोशनी कि एक लकिर आशाओं कि दास्तान दिलाती है नजारों को अदाओं कि समझ सरगम दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट सुनाती है।

रोशनी कि एक लकिर अल्फाजों कि सोच दिलाती है जज्बातों को तरानों कि परख पहचान दिलाती है उम्मीदों को आवाजों कि धून सुनाती है।

रोशनी कि एक लकिर बदलावों कि तलाश दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात आस दिलाती है दास्तानों को नजारों कि मुस्कान सुनाती है।

रोशनी कि एक लकिर दास्तानों कि कोशिश दिलाती है सपनों को नजारों कि राह अरमान दिलाती है दिशाओं को इरादों कि तलाश सुनाती है।

रोशनी कि एक लकिर अंदाजों कि लहर दिलाती है जज्बातों को एहसासों कि तलाश खयाल दिलाती है कदमों को आशाओं कि परख सुनाती है।

Sunday 17 April 2022

कविता. ४४१५. सपना एक कहता है।

                                सपना एक कहता है।

सपना एक कहता है उम्मीद का दामन थाम के चल जो आज कि मुस्कान है उसे मेहसूस करता हुआ हर पल के संग हर उमंग के सहारे हर राह पर चल।

सपना एक कहता है उमंग का इशारा थाम के चल जो आज कि पुकार है उसे पहचान दिलाता हुआ हर सुबह के संग हर सौगात के सहारे हर राह पर चल।

सपना एक कहता है कोशिश का किनारा थाम के चल जो आज कि परख है उसे खयाल देता हुआ हर सोच के संग हर रोशनी के सहारे हर राह पर चल।

सपना एक कहता है दास्तान का सरगम थाम के चल जो आज कि पहचान है उसे नजारा देता हुआ हर बदलाव के संग हर पुकार के सहारे हर राह पर चल।

सपना एक कहता है तलाश का एहसास थाम के चल जो आज कि सुबह है उसे पुकार देता हुआ हर अरमान के संग हर कोशिश के सहारे हर राह पर चल।

सपना एक कहता है आस का अरमान थाम के चल जो आज कि दुनिया है उसे पहचान देता हुआ हर अल्फाज के संग हर सरगम के सहारे हर राह पर चल।

सपना एक कहता है उजालों का तराना थाम के चल जो आज कि आहट है उसे अरमान देता हुआ हर सोच के संग हर एहसास के सहारे हर राह पर चल।

सपना एक कहता है जज्बातों का किनारा थाम के चल जो आज कि दिशा है उसे पहचान देता हुआ हर आस के संग हर उमंग के सहारे हर राह पर चल।

सपना एक कहता है इशारों का तराना थाम के चल जो आज कि दुनिया है उसे कोशिश देता हुआ हर पल के संग हर अल्फाज के सहारे हर राह पर चल।

सपना एक कहता है अंदाजों का सुबह थाम के चल जो आज कि सरगम है उसे अहमियत देता हुआ हर सौगात के संग हर कोशिश के सहारे हर राह पर चल।

Saturday 16 April 2022

कविता. ४४१४. कदमों को दास्तानों कि।

                            कदमों को दास्तानों कि ।   

कदमों को दास्तानों कि समझ अक्सर सपना सुनाती है इशारों को अरमानों कि आहट अफसाना दिलाती है लम्हों को किनारों कि सुबह से एहसास सुनाती है।

कदमों को दास्तानों कि सुबह अक्सर कोशिश सुनाती है दिशाओं को उजालों कि परख पहचान दिलाती है सपनों को नजारों कि सरगम से एहसास सुनाती है।

कदमों को दास्तानों कि आस अक्सर खयाल सुनाती है राहों को अल्फाजों कि सोच इरादा दिलाती है बदलावों को उमंग कि तलाश से अफसाना सुनाती है।

कदमों को दास्तानों कि परख अक्सर पहचान सुनाती है नजारों को आवाजों कि सुबह मुस्कान दिलाती है आशाओं को अदाओं कि समझ से अफसाना सुनाती है।

कदमों को दास्तानों कि सोच अक्सर इरादा सुनाती है लम्हों को अंदाजों कि राह बदलाव दिलाती है दास्तानों को नजारों कि पुकार से अफसाना सुनाती है।

कदमों को दास्तानों कि आहट अक्सर लहर सुनाती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग उम्मीद दिलाती है लहरों को अंदाजों कि मुस्कान से अफसाना सुनाती है।

कदमों को दास्तानों कि सरगम अक्सर आस सुनाती है इरादों को अंदाजों कि सुबह आवाज दिलाती है राहों को किनारों कि पुकार से अफसाना सुनाती है।

कदमों को दास्तानों कि पुकार अक्सर पहचान सुनाती है दिशाओं को उजालों कि परख अहमियत दिलाती है इशारों को तरानों कि राह से अफसाना सुनाती है। 

कदमों को दास्तानों कि सौगात अक्सर नजारा सुनाती है आशाओं को अदाओं कि समझ पहचान दिलाती है किनारों को आवाजों कि धून से अफसाना सुनाती है।

कदमों को दास्तानों कि लहर अक्सर अल्फाज सुनाती है इशारों को अरमानों कि धाराएं बदलाव दिलाती है सपनों को खयालों कि उम्मीद से अफसाना सुनाती है।

Friday 15 April 2022

कविता. ४४१३. कोई आवाज जब।

                              कोई आवाज जब।

कोई आवाज जब दिशाओं से सुनाई पडती है आशाओं कि नयी कहानी बनती है एहसासों से जुड़कर कोशिश पहचान कि राहे देकर चलती है।

कोई आवाज जब अंदाजों से सुनाई पडती है अदाओं कि नयी दास्तान बनती है अफसानों से जुड़कर आहट तरानों कि आशाएं देकर चलती है।

कोई आवाज जब रोशनी से सुनाई पडती है लहरों कि नयी कोशिश बनती है अल्फाजों से जुड़कर राह अंदाजों कि सरगम देकर चलती है।

कोई आवाज जब कोशिश से सुनाई पडती है कदमों कि नयी नजारा बनती है अदाओं से जुड़कर पहचान खयालों कि उम्मीद देकर चलती है।

कोई आवाज जब उजालों से सुनाई पडती है किनारों कि नयी राह बनती है जज्बातों से जुड़कर सौगात दिशाओं कि परख देकर चलती है।

कोई आवाज जब उम्मीदों से सुनाई पडती है दास्तानों कि नयी पुकार बनती है अफसानों से जुड़कर कोशिश अंदाजों कि मुस्कान देकर चलती है।

कोई आवाज जब तरानों से सुनाई पडती है उम्मीदों कि नयी कहानी बनती है अदाओं से जुड़कर नजार अरमानों कि सुबह देकर चलती है।

कोई आवाज जब इशारों से सुनाई पडती है उजालों कि नयी निशानी बनती है अल्फाजों से जुड़कर परख दास्तानों कि सोच देकर चलती है।

कोई आवाज जब लम्हों से सुनाई पडती है खयालों कि नयी कोशिश बनती है नजारों से जुड़कर तलाश अल्फाजों कि रोशनी देकर चलती है।

कोई आवाज जब लहरों से सुनाई पडती है अदाओं कि नयी दास्तान बनती है जज्बातों से जुड़कर पुकार अरमानों कि सौगात देकर चलती है।

Thursday 14 April 2022

कविता. ४४१२. जज्बात अक्सर अरमानों कि।

                          जज्बात अक्सर अरमानों कि।

जज्बात अक्सर अरमानों कि सुबह सुनाते है कोशिश को आशाओं कि लहर आस दिलाती है नजारों को एहसासों कि सोच रोशनी देकर चलती है आवाजों कोई लम्हों कि कहानी सुनाकर आगे बढती है।

जज्बात अक्सर अरमानों कि धाराएं सुनाते है तरानों को अंदाजों कि राह एहसास दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात मुस्कान देकर चलती है दिशाओं को उजालों कि सोच सुनाकर आगे बढती है।

जज्बात अक्सर अरमानों कि परख सुनाते है लम्हों को कदमों कि आहट इशारा दिलाती है सपनों को अल्फाजों कि सरगम कोशिश देकर चलती है आशाओं को अदाओं कि समझ सुनाकर आगे बढती है।

जज्बात अक्सर अरमानों कि लहर सुनाते है खयालों को उम्मीदों कि सोच सुबह दिलाती है दिशाओं को इरादों कि तलाश खयाल देकर चलती है अंदाजों को इशारों कि मुस्कान सुनाकर आगे बढती है।

जज्बात अक्सर अरमानों कि सौगात सुनाते है नजारों को एहसासों कि तलाश खयाल दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना देकर चलती है तरानों को उम्मीदों कि सोच सुनाकर आगे बढती है।

जज्बात अक्सर अरमानों कि पुकार सुनाते है बदलावों को लम्हों कि सौगात रोशनी दिलाती है नजारों को एहसासों कि तलाश कोशिश देकर चलती है किनारों को आशाओं कि सरगम सुनाकर आगे बढती है।

जज्बात अक्सर अरमानों कि दास्तान सुनाते है किनारों को आशाओं कि परख पहचान दिलाती है राहों को एहसासों कि आस अल्फाज देकर चलती है दिशाओं को लहरों कि कोशिश सुनाकर आगे बढती है।

जज्बात अक्सर अरमानों कि आहट सुनाते है कदमों को आवाजों कि धून एहसास दिलाती है किनारों को अंदाजों कि मुस्कान उमंग देकर चलती है राहों को नजारों कि बदलाव सुनाकर आगे बढती है।

जज्बात अक्सर अरमानों कि सोच सुनाते है तरानों को अंदाजों कि मुस्कान रोशनी दिलाती है उजालों को अल्फाजों कि सोच इरादा देकर चलती है अफसानों को अंदाजों कि अहमियत सुनाकर आगे बढती है।

जज्बात अक्सर अरमानों कि परख सुनाते है कोशिश को आशाओं कि पुकार इरादा दिलाती है बदलावों को उमंग कि उड़ान देकर चलती है खयालों को उम्मीदों कि पहचान सुनाकर आगे बढती है।

Wednesday 13 April 2022

कविता. ४४११ . हर मुस्कान को आशाओं कि।

                      हर मुस्कान को आशाओं कि।

हर मुस्कान को आशाओं कि लहर एहसास दिलाती है लम्हों को अरमानों कि सुबह सरगम सुनाती है तरानों को अंदाजों कि रोशनी जज्बात देती है।

हर मुस्कान को आशाओं कि सौगात तलाश दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात कोशिश सुनाती है उजालों को अल्फाजों कि आस जज्बात देती है।

हर मुस्कान को आशाओं कि सरगम धून दिलाती है नजारों को एहसासों कि तलाश सहारा सुनाती है खयालों को उम्मीदों कि सुबह जज्बात देती है।

हर मुस्कान को आशाओं कि परख पहचान दिलाती है आवाजों को कदमों कि आहट अफसाना सुनाती है राहों को किनारों कि कोशिश जज्बात देती है।

हर मुस्कान को आशाओं कि पुकार अरमान दिलाती है खयालों को उम्मीदों कि सोच इरादा सुनाती है अंदाजों को इरादों कि तलाश जज्बात देती है।

हर मुस्कान को आशाओं कि रोशनी कोशिश दिलाती है इशारों को अरमानों कि धाराएं आस सुनाती है नजारों को एहसासों कि लहर जज्बात देती है।

हर मुस्कान को आशाओं कि सोच इरादा दिलाती है जज्बातों को तरानों कि सरगम सपना सुनाती है बदलावों को उम्मीदों कि सोच जज्बात देती है।

हर मुस्कान को आशाओं कि आवाज बदलाव दिलाती है इरादों को किनारों कि पुकार अल्फाज सुनाती है नजारों को अदाओं कि सौगात जज्बात देती है।

हर मुस्कान को आशाओं कि परख पहचान दिलाती है दिशाओं को उजालों कि समझ सरगम सुनाती है अरमानों को लम्हों कि सुबह जज्बात देती है।

हर मुस्कान को आशाओं कि कोशिश रोशनी दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश खयाल सुनाती है आवाजों को बदलावों कि उमंग जज्बात देती है।

Tuesday 12 April 2022

कविता. ४४१०. कोशिश को खयालों कि सरगम।

                     कोशिश को खयालों कि सरगम।

कोशिश को खयालों कि सरगम सपना दिलाती है लम्हों को आशाओं कि तलाश इशारा देती है बदलावों को उमंग कि धाराएं तराना देती है।

कोशिश को खयालों कि सरगम दास्तान दिलाती है अदाओं को किनारों कि सुबह आवाज देती है तरानों को अंदाजों कि उम्मीद तराना देती है।

कोशिश को खयालों कि सरगम नजारा दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात आस देती है दिशाओं को उजालों कि सुबह तराना देती है।

कोशिश को खयालों कि सरगम बदलाव दिलाती है आशाओं को लम्हों कि रोशनी जज्बात देती है अरमानों को उम्मीदों कि सोच तराना देती है।

कोशिश को खयालों कि सरगम आस दिलाती है अंदाजों को इरादों कि तलाश पहचान देती है इशारों को अफसानों कि सौगात तराना देती है।

कोशिश को खयालों कि सरगम पुकार दिलाती है इशारों को अरमानों कि सुबह एहसास देती है कदमों को दास्तानों कि आहट तराना देती है।

कोशिश को खयालों कि सरगम तलाश दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश पहचान देती है लहरों को अल्फाजों कि सरगम तराना देती है।

कोशिश को खयालों कि सरगम किनारा दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि सोच इरादा देती है नजारों को जज्बातों कि पुकार तराना देती है।

कोशिश को खयालों कि सरगम सपना दिलाती है लम्हों को अंदाजों कि राह उजाला देती है बदलावों को इशारों कि सोच तराना देती है।

कोशिश को खयालों कि सरगम सौगात दिलाती है कदमों को दास्तानों कि उम्मीद आवाज देती है नजारों को अदाओं कि मुस्कान तराना देती है।

Monday 11 April 2022

कविता. ४४०९. आस जो पलकों कि।

                               आस जो पलकों कि।

आस जो पलकों कि सुबह देकर जाती है जज्बातों से अफसानों कि सौगात कोशिश दिलाती है राहों को एहसासों कि तलाश इशारा देती है।

आस जो पलकों कि तलाश देकर जाती है अदाओं से नजारों कि अरमान दास्तान दिलाती है तरानों को अंदाजों कि रोशनी इशारा देती है।

आस जो पलकों कि अरमान देकर जाती है आशाओं से जज्बातों कि लहर सहारा दिलाती है दिशाओं को उजालों कि समझ इशारा देती है।

आस जो पलकों कि सौगात देकर जाती है कदमों से अल्फाजों कि सोच इरादा दिलाती है बदलावों को अंदाजों कि मुस्कान इशारा देती है।

आस जो पलकों कि कोशिश देकर जाती है किनारों से खयालों कि उम्मीद एहसास दिलाती है आवाजों को लम्हों कि सौगात इशारा देती है।

आस जो पलकों कि सरगम देकर जाती है तरानों से दिशाओं कि सुबह अफसाना दिलाती है दास्तानों को नजारों कि समझ इशारा देती है।

आस जो पलकों कि सोच देकर जाती है राहों से अरमानों कि परख पहचान दिलाती है दिशाओं को उजालों कि सौगात इशारा देती है।

आस जो पलकों कि सुबह देकर जाती है आशाओं से एहसासों कि तलाश सपना दिलाती है सपनों को जज्बातों कि लहर इशारा देती है।

आस जो पलकों कि पुकार देकर जाती है अंदाजों से खयालों कि उम्मीद उजाला दिलाती है नजारों को एहसासों कि सुबह इशारा देती है।

आस जो पलकों कि मुस्कान देकर जाती है आवाजों से उम्मीदों कि आहट अफसाना दिलाती है बदलावों को उमंग कि तलाश इशारा देती है।

Sunday 10 April 2022

कविता. ४४०८. जज्बात कि सुबह अक्सर।

                          जज्बात कि सुबह अक्सर।

जज्बात कि सुबह अक्सर आशाओं के इशारे देकर चलती है अदाओं को लम्हों कि मुस्कान कोशिश दिलाती है एहसास सुनाकर चलती है।

जज्बात कि सुबह अक्सर आवाजों कि दास्तान देकर चलती है खयालों को उम्मीदों कि सोच इरादा दिलाती है अरमान सुनाकर चलती है।

जज्बात कि सुबह अक्सर किनारों के एहसास देकर चलती है कदमों को दास्तानों कि सुबह सौगात दिलाती है अफसाना सुनाकर चलती है।

जज्बात कि सुबह अक्सर नजारों के कोशिश देकर चलती है किनारों को अंदाजों कि राह अरमान दिलाती है तराना सुनाकर चलती है।

जज्बात कि सुबह अक्सर अंदाजों के इरादे देकर चलती है दिशाओं को उजालों कि परख पहचान दिलाती है अदा सुनाकर चलती है।

जज्बात कि सुबह अक्सर अरमानों कि सौगात देकर चलती है राहों को एहसासों कि तलाश खयाल दिलाती है कोशिश सुनाकर चलती है।

जज्बात कि सुबह अक्सर दास्तानों कि रोशनी देकर चलती है तरानों को उम्मीदों कि सरगम सहारा दिलाती है अंदाज सुनाकर चलती है।

जज्बात कि सुबह अक्सर उजालों कि परख देकर चलती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अफसाना दिलाती है इरादा सुनाकर चलती है।

जज्बात कि सुबह अक्सर किनारों कि कोशिश देकर चलती है बदलावों को इशारों कि सोच रोशनी दिलाती है अल्फाज सुनाकर चलती है।

जज्बात कि सुबह अक्सर अंदाजों कि मुस्कान देकर चलती है लहरों को अफसानों कि सौगात कोशिश दिलाती है आस सुनाकर चलती है।

Saturday 9 April 2022

कविता. ४४०७. दिशाओं को उजालों कि।

                            दिशाओं को उजालों कि।

दिशाओं को उजालों कि लहर कोशिश दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना सुनाती है खयालों को उम्मीदों कि समझ सुनाती है।

दिशाओं को उजालों कि मुस्कान रोशनी दिलाती है अदाओं को सपनों कि सरगम आवाज सुनाती है तरानों को अंदाजों कि समझ सुनाती है।

दिशाओं को उजालों कि परख पहचान दिलाती है जज्बातों को राहों कि तलाश खयाल सुनाती है इशारों को अरमानों कि समझ सुनाती है।

दिशाओं को उजालों कि आस खयाल दिलाती है तरानों को उम्मीदों कि सोच इरादा सुनाती है उम्मीदों को आवाजों कि समझ सुनाती है।

दिशाओं को उजालों कि सरगम दास्तान दिलाती है लहरों को अफसानों कि कोशिश सौगात सुनाती है तरानों को किनारों कि समझ सुनाती है।

दिशाओं को उजालों कि पुकार अल्फाज दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश पहचान सुनाती है उम्मीदों को आशाओं कि समझ सुनाती है।

दिशाओं को उजालों कि आस बदलाव दिलाती है इरादों को अंदाजों कि मुस्कान खयाल सुनाती है नजारों को एहसासों कि समझ सुनाती है।

दिशाओं को उजालों कि अरमान सुबह दिलाती है इशारों को खयालों कि उमंग अल्फाज सुनाती है राहों को अंदाजों कि समझ सुनाती है।

दिशाओं को उजालों कि परख पहचान दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि उम्मीद आवाज सुनाती है उजालों को कदमों कि समझ सुनाती है।

दिशाओं को उजालों कि सौगात आवाज दिलाती है इरादों को किनारों कि पुकार अल्फाज सुनाती है लहरों को अफसानों कि समझ सुनाती है।

Friday 8 April 2022

कविता. ४४०६. सपनों संग आसमानों मे।

                         सपनों संग आसमानों मे।

सपनों संग आसमानों मे उडने कि कोशिश एहसास कई देती है तरानों को उम्मीदों कि सुबह लम्हों कि तलाश दिलाती है अदाओं कि समझ सुनाती है।

सपनों संग आसमानों मे उडने कि सोच तराने कई देती है लहरों को अफसानों कि मुस्कान आवाजों कि धून दिलाती है अंदाजों कि समझ सुनाती है।

सपनों संग आसमानों मे उडने कि सुबह बदलाव कई देती है उजालों को अल्फाजों कि सोच कदमों कि आहट दिलाती है किनारों कि समझ सुनाती है।

सपनों संग आसमानों मे उडने कि पुकार अल्फाज कई देती है जज्बातों को अंदाजों कि लहर खयालों कि उम्मीद दिलाती है नजारों कि समझ सुनाती है।

सपनों संग आसमानों मे उडने कि सौगात इशारे कई देती है दास्तानों को उमंग कि तलाश अरमानों कि परख दिलाती है इरादों कि समझ सुनाती है।

सपनों संग आसमानों मे उडने कि कोशिश लम्हे कई देती है दिशाओं को उजालों कि परख पहचान कि सरगम दिलाती है राहों कि समझ सुनाती है।

सपनों संग आसमानों मे उडने कि आस किनारे कई देती है तरानों को उम्मीदों कि सौगात बदलाव कि पुकार दिलाती है खयालों कि समझ सुनाती है।

सपनों संग आसमानों मे उडने कि सोच दास्ताने कई देती है नजारों को आवाजों कि धून मुस्कान कि सरगम दिलाती है दिशाओं कि समझ सुनाती है।

सपनों संग आसमानों मे उडने कि पुकार इरादे कई देती है आशाओं को लम्हों कि रोशनी जज्बातों कि लहर दिलाती है नजारों कि समझ सुनाती है।

सपनों संग आसमानों मे उडने कि कोशिश उम्मीदे कई देती है आवाजों को कदमों कि आहट अल्फाजों कि सरगम दिलाती है जज्बातों कि समझ सुनाती है।

Thursday 7 April 2022

कविता. ४४०५. रोशनी को लहरों कि।

                            रोशनी को लहरों कि।

रोशनी को लहरों कि कोशिश उमंग दिलाती है अदाओं को सपनों कि सरगम एहसास सुनाती है नजारों को कदमों कि आहट अफसाना देती है।

रोशनी को लहरों कि पुकार उम्मीद दिलाती है लम्हों को अरमानों कि सुबह दास्तान सुनाती है जज्बातों को अंदाजों कि आहट अफसाना देती है।

रोशनी को लहरों कि परख पहचान दिलाती है दिशाओं को अंदाजों कि मुस्कान तराना सुनाती है लम्हों को अरमानों कि आहट अफसाना देती है।

रोशनी को लहरों कि समझ सौगात दिलाती है कदमों को दिशाओं कि उमंग आस सुनाती है इशारों को तरानों कि आहट अफसाना देती है।

रोशनी को लहरों कि खयाल लम्हा दिलाती है किनारों को नजारों कि तलाश किनारा सुनाती है लहरों को अल्फाजों कि आहट अफसाना देती है।

रोशनी को लहरों कि उमंग आस दिलाती है अंदाजों को आशाओं कि परख पहचान सुनाती है उम्मीदों को आवाजों कि आहट अफसाना देती है।

रोशनी को लहरों कि मुस्कान तराना दिलाती है एहसासों को अदाओं कि समझ अहमियत सुनाती है उजालों को बदलावों कि आहट अफसाना देती है।

रोशनी को लहरों कि राह इशारा दिलाती है खयालों को उम्मीदों कि सोच एहसास सुनाती है लम्हों को दास्तानों कि आहट अफसाना देती है।

रोशनी को लहरों कि पुकार पहचान दिलाती है उमंग को तरानों कि पुकार अल्फाज सुनाती है कदमों को खयालों कि आहट अफसाना देती है।

रोशनी को लहरों कि परख किनारा दिलाती है इशारों को सपनों कि सरगम दास्तान सुनाती है अंदाजों को बदलावों कि आहट अफसाना देती है।


Wednesday 6 April 2022

कविता. ४४०४. लम्हों को अरमानों कि संग।

                              लम्हों को अरमानों संग।

लम्हों को अरमानों संग सपनों कि समझ तलाश दिलाती है इशारों को तरानों कि रोशनी उमंग सुनाती है लम्हों को आशाओं कि मुस्कान दिलाती है।

लम्हों को अरमानों संग जज्बातों कि सुबह कोशिश दिलाती है उम्मीदों को आवाजों कि धून एहसास सुनाती है तरानों को किनारों कि मुस्कान दिलाती है।

लम्हों को अरमानों संग आशाओं कि परख पहचान दिलाती है सपनों को लम्हों कि सौगात पहचान सुनाती है इशारों को अंदाजों कि मुस्कान दिलाती है।

लम्हों को अरमानों संग तरानों कि रोशनी खयाल दिलाती है लहरों को अफसानों कि सरगम बदलाव सुनाती है राहों को इरादों कि मुस्कान दिलाती है।

लम्हों को अरमानों संग आवाजों कि सरगम नजारा दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अदाएं सुनाती है जज्बातों को इशारों कि मुस्कान दिलाती है।

लम्हों को अरमानों संग दास्तानों कि पुकार सोच दिलाती है सपनों को नजारों कि सुबह सरगम सुनाती है इरादों को अंदाजों कि मुस्कान दिलाती है।

लम्हों को अरमानों संग राहों कि तलाश पहचान दिलाती है कदमों को आवाजों कि धून परख सुनाती है तरानों को दास्तानों कि मुस्कान दिलाती है।

लम्हों को अरमानों संग उजालों कि समझ बदलाव दिलाती है खयालों को अंदाजों कि तलाश इशारा सुनाती है उम्मीदों को आवाजों कि मुस्कान दिलाती है।

लम्हों को अरमानों संग आशाओं कि परख इशारा दिलाती है उजालों को अल्फाजों कि सोच इरादा सुनाती है बदलावों को दिशाओं कि मुस्कान दिलाती है।

लम्हों को अरमानों संग जज्बातों कि लहर दास्तान दिलाती है लहरों को अफसानों कि पुकार कोशिश सुनाती है राहों को एहसासों कि मुस्कान दिलाती है।


Tuesday 5 April 2022

कविता. ४४०३. हर सपने को कोई दिशा।

                          हर सपने को कोई दिशा।

हर सपने को कोई दिशा सहारा देती है आशाओं को अरमानों का किनारा देती है लहर संग जुड़कर कोशिश अफसाना दिलाती है।

हर सपने को कोई दिशा अरमान देती है तरानों को अंदाजों का इशारा देती है नजारों संग जुड़कर सरगम अफसाना दिलाती है।

हर सपने को कोई दिशा जज्बात देती है दास्तानों को बदलावों का तराना देती है आवाजों संग जुड़कर तलाश अफसाना दिलाती है।

हर सपने को कोई दिशा मुस्कान देती है अदाओं को लम्हों का इरादा देती है अरमानों संग जुड़कर पहचान अफसाना दिलाती है।

हर सपने को कोई दिशा परख देती है कदमों को इशारों का उजाला देती है अंदाजों संग जुड़कर उमंग अफसाना दिलाती है।

हर सपने को कोई दिशा लहर देती है जज्बातों को तरानों का खयाल देती है इरादों संग जुड़कर रोशनी अफसाना दिलाती है।

हर सपने को कोई दिशा आवाज देती है अदाओं को दास्तानों का इशारा देती है तरानों संग जुड़कर उम्मीद अफसाना दिलाती है।

हर सपने को कोई दिशा कोशिश देती है आशाओं को अदाओं का किनारा देती है नजारों संग जुड़कर लहर अफसाना दिलाती है।

हर सपने को कोई दिशा तलाश देती है नजारों को एहसासों का अल्फाज देती है इशारों संग जुड़कर उमंग अफसाना दिलाती है।

हर सपने को कोई दिशा अरमान देती है आवाजों को लम्हों का इरादा देती है जज्बातों संग जुड़कर कोशिश अफसाना दिलाती है।

Monday 4 April 2022

कविता. ४४०२. किसी सुबह के एहसास संग।

                        किसी सुबह के एहसास संग।

किसी सुबह के एहसास संग अरमानों कि कहानी चलती है जो अफसानों कि राह रुकी सी लगती थी वह उमंग कि उड़ानें भरती है।

किसी सुबह के एहसास संग आशाओं कि मुस्कान मिलती है जो खयालों कि अनजानी दास्तान रुकी सी लगती थी वह सपनों कि उड़ानें भरती है।

किसी सुबह के एहसास संग आवाजों कि धून निकलती है जो अरमानों कि उमंग रुकि सी लगती है वह तरानों कि उड़ानें भरती है।

किसी सुबह के एहसास संग अंदाजों कि रोशनी मिलती है जो जज्बातों कि सोच रुकी सी लगती थी वह अरमानों कि उड़ानें भरती है।

किसी सुबह के एहसास संग तरानों कि परख चलती है जो उजालों कि पहचान रुकी सी लगती है वह अंदाजों कि उड़ानें भरती है।

किसी सुबह के एहसास संग नजारों कि सोच चलती है जो आवाजों कि धून रुकी सी लगती है वह अल्फाजों कि उड़ानें भरती है।

किसी सुबह के एहसास संग कदमों कि आहट चलती है जो आशाओं कि मुस्कान रुकी सी लगती है वह लहरों कि उड़ानें भरती है।

किसी सुबह के एहसास संग सपनों कि सरगम चलती है जो खयालों कि उम्मीद रुकी सी लगती है वह अफसानों कि उड़ानें भरती है।

किसी सुबह के एहसास संग आशाओं कि सुबह चलती है जो अल्फाजों कि तलाश रुकी सी लगती है वह आवाजों कि उड़ानें भरती है।

किसी सुबह के एहसास संग अंदाजों कि मुस्कान चलती है जो जज्बातों कि लहर रुकी सी लगती है वह आशाओं कि उड़ानें भरती है।


Sunday 3 April 2022

कविता. ४४०१. दिशाओं को उजालों कि सुबह।

                                         दिशाओं को उजालों कि सुबह।

दिशाओं को उजालों कि सुबह एहसास सुनाती है कदमों कि आस अक्सर अल्फाजों कि सोच दिलाती है लम्हों को लहरों कि सरगम सौगात देती है तरानों से अंदाजों कि कोशिश जगाती है।

दिशाओं को उजालों कि सुबह मुस्कान सुनाती है तरानों कि रोशनी अक्सर अंदाजों कि राह दिलाती है इशारों को अरमानों कि धाराएं अफसाना देती है उम्मीदों से आवाजों कि धून जगाती है।

दिशाओं को उजालों कि सुबह कोशिश सुनाती है दास्तानों कि आस अक्सर सपनों कि पुकार दिलाती है किनारों को आशाओं कि परख अहमियत देती है राहों से अरमानों कि धाराएं जगाती है।

दिशाओं को उजालों कि सुबह अरमान सुनाती है लम्हों कि सौगात अक्सर आशाओं कि खयाल दिलाती है बदलावों को कदमों कि आहट एहसास देती है इशारों से अदाओं कि समझ जगाती है।

दिशाओं को उजालों कि सुबह आस सुनाती है राहों कि तलाश अक्सर अल्फाजों कि पहचान दिलाती है अंदाजों को नजारों कि पुकार अहमियत देती है खयालों से अरमानों कि लहर जगाती है।

दिशाओं को उजालों कि सुबह आवाज सुनाती है जज्बातों कि सोच अक्सर कदमों कि आहट दिलाती है एहसासों को उमंग कि तलाश अफसाना देती है लहरों से इशारों कि पहचान जगाती है।

दिशाओं को उजालों कि सुबह दास्तान सुनाती है रोशनी कि पुकार अक्सर अंदाजों कि मुस्कान दिलाती है आशाओं को अदाओं कि पहचान इशारा देती है जज्बातों से खयालों कि उम्मीद जगाती है।

दिशाओं को उजालों कि सुबह सपना सुनाती है किनारों कि सोच अक्सर बदलावों कि उमंग दिलाती है सपनों को अरमानों कि समझ सरगम देती है तरानों से किनारों कि पुकार जगाती है।

दिशाओं को उजालों कि सुबह कोशिश सुनाती है नजारों कि आस अक्सर अल्फाजों कि आस दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग सोच देती है आशाओं से सपनों कि पहचान जगाती है।

दिशाओं को उजालों कि सुबह मुस्कान सुनाती है राहों कि तलाश अक्सर अफसानों कि सौगात दिलाती है लहरों को आशाओं कि पुकार अरमान देती है नजारों से एहसासों कि सोच जगाती है।

Saturday 2 April 2022

कविता. ४४००. आशाओं संग आस एहसास कि।

                     आशाओं संग आस एहसास कि।

आशाओं संग आस एहसास कि सरगम सुनाती है कदमों कि आहट इशारों को आवाज दिलाती है तरानों को अंदाजों कि राह मुस्कान दिलाती है लहरों को अफसानों कि रोशनी पुकार सुनाकर आगे जाती है।

आशाओं संग आस एहसास कि सौगात सुनाती है किनारों कि सुबह अदाओं को पहचान दिलाती है खयालों को नजारों कि तलाश दिलाती है कोशिश को दास्तानों कि परख जज्बात सुनाकर आगे जाती है।

आशाओं संग आस एहसास कि सुबह सुनाती है नजारों कि तलाश अरमानों को सौगात दिलाती है लहरों को अफसानों कि परख बदलाव दिलाती है उजालों को अल्फाजों कि सोच किनारा सुनाकर आगे जाती है।

आशाओं संग आस एहसास कि कोशिश सुनाती है लम्हों कि रोशनी को सोच दिलाती है कदमों को दास्तानों कि सुबह कोशिश दिलाती है राहों को अरमानों कि धाराएं अल्फाज सुनाकर आगे जाती है।

आशाओं संग आस एहसास कि पुकार सुनाती है लहरों कि अहमियत को सरगम दिलाती है जज्बातों को अंदाजों कि मुस्कान आवाज दिलाती है दिशाओं को उजालों कि पहचान बदलाव सुनकर आगे जाती है।

आशाओं संग आस एहसास कि खयाल सुनाती है तरानों कि परख को किनारा दिलाती है अरमानों को लम्हों कि सौगात कोशिश दिलाती है अल्फाजों को कोशिश कि अहमियत आवाज सुनाकर आगे जाती है।

आशाओं संग आस एहसास कि सोच सुनाती है दास्तानों कि राह को अफसाना दिलाती है अंदाजों को इरादों कि तलाश खयाल दिलाती है लहरों को अल्फाजों कि परख सुनाकर आगे जाती है।

आशाओं संग आस एहसास कि नजारा सुनाती है आवाजों कि धून को पहचान दिलाती है दास्तानों को उम्मीदों कि मुस्कान रोशनी दिलाती है तरानों को अंदाजों कि अल्फाज सुनकर आगे जाती है।

आशाओं संग आस एहसास कि किनारा सुनाती है लहरों कि सरगम को सौगात दिलाती है सपनों को जज्बातों कि पुकार सोच दिलाती है इशारों को खयालों कि उमंग सुनाकर आगे जाती है।

आशाओं संग आस एहसास कि पहचान सुनाती है नजारों कि आवाज को पुकार दिलाती है किनारों को अंदाजों कि लहर सरगम दिलाती है कदमों को नजारों कि तलाश सुनाकर आगे जाती है।

Friday 1 April 2022

कविता. ४३९९. खयाल कोई अलगसा जब।

                             खयाल कोई अलगसा जब।

खयाल कोई अलगसा जब जीवन मे आता है आशाओं को लम्हों का इरादा दिशाएं देता जाता है एहसासों को कदमों कि आहट सुनाकर आगे बढता है।

खयाल कोई अलगसा जब जज्बात संग चलता है आवाजों को बदलावों का किनारा लहर देता जाता है दास्तानों को नजारों कि सुबह सुनाकर आगे बढता है।

खयाल कोई अलगसा जब सरगम संग सुनाता है दिशाओं को उजालों का तराना राह देता जाता है अरमानों को लम्हों कि रोशनी सुनाकर आगे बढता है।

खयाल कोई अलगसा जब इशारा लाता है अरमानों को उम्मीदों का अफसाना लम्हा देता जाता है लहरों को अल्फाजों कि सौगात सुनाकर आगे बढता है।

खयाल कोई अलगसा जब लहर संग आता है अंदाजों को इशारों का तराना दास्तान देता जाता है बदलावों को उमंग कि तलाश सुनाकर आगे बढता है।

खयाल कोई अलगसा जब पुकार मे लाता है आशाओं को अदाओं का एहसास जज्बात देता जाता है इशारों को तरानों कि रोशनी सुनाकर आगे बढता है।

खयाल कोई अलगसा जब पहचान संग सुनाता है तरानों को उमंग का इरादा सरगम देता जाता है किनारों को आवाजों कि धून सुनाकर आगे बढता है।

खयाल कोई अलगसा जब समझ से लाता है आवाजों को बदलावों का सपना कोशिश देता जाता है अदाओं को लम्हों कि सुबह सुनाकर आगे बढता है।

खयाल कोई अलगसा जब सौगात संग आता है लहरों को अफसानों का इशारा तलाश देता जाता है कदमों को दास्तानों कि सोच सुनाकर आगे बढता है।

खयाल कोई अलगसा जब रोशनी से आता है इशारों को तरानों का अल्फाज सहारा देता जाता है दिशाओं को उजालों कि समझ सुनाकर आगे बढता है।

कविता. ५१५४. इरादों को आशाओं की।

                            इरादों को आशाओं की। इरादों को आशाओं की मुस्कान कोशिश दिलाती है खयालों को अंदाजों की आस किनारा देकर जाती है जज्बा...