Thursday 21 April 2022

कविता. ४४१९. जज्बातों को दिशाओं कि।

                        जज्बातों को दिशाओं कि।

जज्बातों को दिशाओं कि उमंग मुस्कान दिलाती है कोशिश को कदमों कि आहट अफसाना सुनाती है नजारों को एहसासों कि तलाश खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि सुबह एहसास दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि सोच सपना सुनाती है इशारों को तरानों कि परख खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि पुकार अल्फाज दिलाती है कदमों को इरादों कि सौगात उमंग सुनाती है राहों को किनारों कि सोच खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि सोच इरादा दिलाती है आवाजों को उजालों कि समझ पुकार सुनाती है दास्तानों को बदलावों कि लहर खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि समझ सोच दिलाती है लम्हों को रोशनी कि आहट नजारा सुनाती है एहसासों को अदाओं कि समझ खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि आस सुबह दिलाती है लहरों को अफसानों कि सरगम धून सुनाती है कदमों को उम्मीदों कि सौगात खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि तलाश इशारा दिलाती है सपनों को नजारों कि सौगात एहसास सुनाती है राहों को किनारों कि सोच खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि उमंग रोशनी दिलाती है बदलावों को इशारों कि सोच अहमियत सुनाती है दास्तानों को उजालों कि समझ खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि पहचान मुस्कान दिलाती है लम्हों को कोशिश कि सरगम आस सुनाती है तरानों को अंदाजों कि मुस्कान खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि उम्मीद एहसास दिलाती है राहों को अरमानों कि धाराएं अंदाज सुनाती है नजारों को अदाओं कि सुबह खयाल देकर जाती है।

जज्बातों को दिशाओं कि लहर इशारा दिलाती है नजारों को एहसासों कि सोच सरगम सुनाती है आशाओं को लम्हों कि रोशनी खयाल देकर जाती है।

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