Tuesday, 26 April 2022

कविता. ४४२४. हर लहर को।

                                       हर लहर को।

हर लहर को अंदाजों कि सौगात सहारा दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश सरगम सुनाती है कदमों को दास्तानों कि राह मुस्कान दिलाती है।

हर लहर को कदमों कि आहट अफसाना दिलाती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग अरमान सुनाती है दिशाओं को उजालों कि समझ मुस्कान दिलाती है।

हर लहर को किनारों कि सुबह कोशिश दिलाती है आशाओं को अदाओं कि सौगात उमंग सुनाती है नजारों को एहसासों कि परख मुस्कान दिलाती है।

हर लहर को कोशिश कि दास्तान अल्फाज दिलाती है नजारों को लम्हों कि रोशनी खयाल सुनाती है उम्मीदों को आवाजों कि धून मुस्कान दिलाती है।

हर लहर को नजारों कि तलाश आस दिलाती है आवाजों को बदलावों कि सोच सरगम सुनाती है इशारों को अरमानों कि धाराएं मुस्कान दिलाती है।

हर लहर को तरानों कि राह खयाल दिलाती है अंदाजों को इरादों कि सौगात आस सुनाती है जज्बातों को दिशाओं कि पहचान मुस्कान दिलाती है।

हर लहर को कदमों कि पुकार आहट दिलाती है जज्बातों को दिशाओं कि उम्मीद अरमान सुनाती है नजारों को अदाओं कि सौगात मुस्कान दिलाती है।

हर लहर को जज्बातों कि पहचान कोशिश दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश परख सुनाती है राहों को किनारों कि सुबह मुस्कान दिलाती है।

हर लहर को बदलावों कि सोच इरादा दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अंदाज सुनाती है रोशनी को खयालों कि सरगम मुस्कान दिलाती है।

हर लहर को उजालों कि परख अहमियत दिलाती है उम्मीदों को आवाजों कि धून एहसास सुनाती है तरानों को अंदाजों कि सोच मुस्कान दिलाती है।

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