Thursday 7 April 2022

कविता. ४४०५. रोशनी को लहरों कि।

                            रोशनी को लहरों कि।

रोशनी को लहरों कि कोशिश उमंग दिलाती है अदाओं को सपनों कि सरगम एहसास सुनाती है नजारों को कदमों कि आहट अफसाना देती है।

रोशनी को लहरों कि पुकार उम्मीद दिलाती है लम्हों को अरमानों कि सुबह दास्तान सुनाती है जज्बातों को अंदाजों कि आहट अफसाना देती है।

रोशनी को लहरों कि परख पहचान दिलाती है दिशाओं को अंदाजों कि मुस्कान तराना सुनाती है लम्हों को अरमानों कि आहट अफसाना देती है।

रोशनी को लहरों कि समझ सौगात दिलाती है कदमों को दिशाओं कि उमंग आस सुनाती है इशारों को तरानों कि आहट अफसाना देती है।

रोशनी को लहरों कि खयाल लम्हा दिलाती है किनारों को नजारों कि तलाश किनारा सुनाती है लहरों को अल्फाजों कि आहट अफसाना देती है।

रोशनी को लहरों कि उमंग आस दिलाती है अंदाजों को आशाओं कि परख पहचान सुनाती है उम्मीदों को आवाजों कि आहट अफसाना देती है।

रोशनी को लहरों कि मुस्कान तराना दिलाती है एहसासों को अदाओं कि समझ अहमियत सुनाती है उजालों को बदलावों कि आहट अफसाना देती है।

रोशनी को लहरों कि राह इशारा दिलाती है खयालों को उम्मीदों कि सोच एहसास सुनाती है लम्हों को दास्तानों कि आहट अफसाना देती है।

रोशनी को लहरों कि पुकार पहचान दिलाती है उमंग को तरानों कि पुकार अल्फाज सुनाती है कदमों को खयालों कि आहट अफसाना देती है।

रोशनी को लहरों कि परख किनारा दिलाती है इशारों को सपनों कि सरगम दास्तान सुनाती है अंदाजों को बदलावों कि आहट अफसाना देती है।


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