Wednesday 20 April 2022

कविता. ४४१८. आशाओं को अदाओं कि।

                             आशाओं को अदाओं कि।

आशाओं को अदाओं कि सौगात सरगम देती है तरानों को उम्मीदों कि तलाश खयाल दिलाती है सपनों को नजारों कि समझ मुस्कान देकर जाती है।

आशाओं को अदाओं कि समझ अरमान दिलाती है लहरों को अफसानों कि सोच सपना सुनाती है इशारों को तरानों कि राह देकर जाती है।

आशाओं को अदाओं कि दास्तान अल्फाज दिलाती है कदमों को दास्तानों कि सुबह एहसास दिलाती है जज्बातों को अंदाजों कि कोशिश देकर जाती है।

आशाओं को अदाओं कि लहर अफसाना दिलाती है किनारों को अंदाजों कि राह नजारा दिलाती है अरमानों को खयालों कि उम्मीद देकर जाती है।

आशाओं को अदाओं कि सोच इरादा देती है अल्फाजों को एहसासों कि समझ आस दिलाती है अंदाजों को इशारों कि सुबह देकर जाती है।

आशाओं को अदाओं कि सौगात बदलाव देती है तरानों को बदलावों कि उमंग जज्बात सुनाती है दिशाओं को कदमों कि आहट देकर जाती है।

आशाओं को अदाओं कि सुबह एहसास दिलाती है लहरों को अफसानों कि समझ अरमान दिलाती है लम्हों को अल्फाजों कि समझ देकर जाती है।

आशाओं को अदाओं कि अरमान इशारा दिलाती है राहों को किनारों कि सुबह एहसास दिलाती है दास्तानों को नजारों कि सरगम देकर जाती है।

आशाओं को अदाओं कि लहर अहमियत दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना दिलाती है आवाजों को बदलावों कि आस देकर जाती है।

आशाओं को अदाओं कि सुबह उजाला दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश खयाल दिलाती है जज्बातों को एहसासों कि बदलाव देकर जाती है।

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