Tuesday, 12 April 2022

कविता. ४४१०. कोशिश को खयालों कि सरगम।

                     कोशिश को खयालों कि सरगम।

कोशिश को खयालों कि सरगम सपना दिलाती है लम्हों को आशाओं कि तलाश इशारा देती है बदलावों को उमंग कि धाराएं तराना देती है।

कोशिश को खयालों कि सरगम दास्तान दिलाती है अदाओं को किनारों कि सुबह आवाज देती है तरानों को अंदाजों कि उम्मीद तराना देती है।

कोशिश को खयालों कि सरगम नजारा दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात आस देती है दिशाओं को उजालों कि सुबह तराना देती है।

कोशिश को खयालों कि सरगम बदलाव दिलाती है आशाओं को लम्हों कि रोशनी जज्बात देती है अरमानों को उम्मीदों कि सोच तराना देती है।

कोशिश को खयालों कि सरगम आस दिलाती है अंदाजों को इरादों कि तलाश पहचान देती है इशारों को अफसानों कि सौगात तराना देती है।

कोशिश को खयालों कि सरगम पुकार दिलाती है इशारों को अरमानों कि सुबह एहसास देती है कदमों को दास्तानों कि आहट तराना देती है।

कोशिश को खयालों कि सरगम तलाश दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश पहचान देती है लहरों को अल्फाजों कि सरगम तराना देती है।

कोशिश को खयालों कि सरगम किनारा दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि सोच इरादा देती है नजारों को जज्बातों कि पुकार तराना देती है।

कोशिश को खयालों कि सरगम सपना दिलाती है लम्हों को अंदाजों कि राह उजाला देती है बदलावों को इशारों कि सोच तराना देती है।

कोशिश को खयालों कि सरगम सौगात दिलाती है कदमों को दास्तानों कि उम्मीद आवाज देती है नजारों को अदाओं कि मुस्कान तराना देती है।

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