Thursday 30 June 2022

कविता. ४४८८. उजालों को इशारों कि सोच।

                                   उजालों को इशारों कि सोच।

उजालों को इशारों कि सोच सपना दिलाती है लम्हों को अरमानों कि पहचान मुस्कान देकर जाती है जज्बातों से जुड़कर कोशिश आस जगाती है।

उजालों को इशारों कि सोच किनारा दिलाती है कोशिश को नजारों कि तलाश पहचान देकर जाती है खयालों से जुड़कर आवाज आस जगाती है।

उजालों को इशारों कि सोच सहारा दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात बदलाव देकर जाती है आशाओं से जुड़कर समझ आस जगाती है।

उजालों को इशारों कि सोच जज्बात दिलाती है कदमों को दास्तानों कि परख उमंग देकर जाती है दिशाओं से जुड़कर रोशनी आस जगाती है।

उजालों को इशारों कि सोच इरादा दिलाती है नजारों को अदाओं कि समझ अरमान देकर जाती है दास्तानों से जुड़कर पुकार आस जगाती है।

उजालों को इशारों कि सोच मुस्कान दिलाती है सपनों को इरादों कि तलाश आवाज देकर जाती है दिशाओं से जुड़कर पहचान आस जगाती है।

उजालों को इशारों कि सोच सौगात दिलाती है तरानों को उम्मीदों कि राह एहसास देकर जाती है जज्बातों से जुड़कर परख आस जगाती है।

उजालों को इशारों कि सोच उमंग दिलाती है बदलावों को दास्तानों कि सुबह अरमान देकर जाती है खयालों से जुड़कर कोशिश आस जगाती है।

उजालों को इशारों कि सोच इशारा दिलाती है नजारों को अदाओं कि समझ पुकार देकर जाती है अंदाजों से जुड़कर उमंग आस जगाती है।

उजालों को इशारों कि सोच मुस्कान दिलाती है अंदाजों को खयालों कि सरगम सहारा देकर जाती है कदमों से जुड़कर उम्मीद आस जगाती है।

Wednesday 29 June 2022

कविता. ४४८७. लहरों से आशाओं कि कोई।

                                      लहरों से आशाओं कि कोई।

लहरों से आशाओं कि कोई कहानी मिलती है अंदाजों से उम्मीदों को राह सुहानी मिलती है सपनों को नजारों कि पहचान इशारे देकर चलती है।

लहरों से आशाओं कि कोई सरगम मिलती है तरानों से दिशाओं को रोशनी सुहानी मिलती है खयालों को अफसानों कि सौगात इशारे देकर चलती है।

लहरों से आशाओं कि कोई किरण मिलती है जज्बातों से अल्फाजों को परख सुहानी मिलती है इरादों को राहों कि तलाश इशारे देकर चलती है।

लहरों से आशाओं कि कोई सोच मिलती है आवाजों से बदलावों को उमंग सुहानी मिलती है एहसासों को अदाओं कि समझ इशारे देकर चलती है।

लहरों से आशाओं कि कोई समझ मिलती है सपनों से उजालों को पहचान सुहानी मिलती है दास्तानों को जज्बातों कि सौगात इशारे देकर चलती है।

लहरों से आशाओं कि कोई कोशिश मिलती है राहों से खयालों को सुबह सुहानी मिलती है तरानों को अंदाजों कि सौगात इशारे देकर चलती है।

लहरों से आशाओं कि कोई तलाश मिलती है लम्हों से कदमों को आवाज सुहानी मिलती है दिशाओं को बदलावों कि आस इशारे देकर चलती है।

लहरों से आशाओं कि कोई पुकार मिलती है नजारों से अफसानों को राह सुहानी मिलती है अदाओं को किनारों कि सोच इशारे देकर चलती है।

लहरों से आशाओं कि कोई सुबह मिलती है तरानों से दिशाओं को मुस्कान सुहानी मिलती है अल्फाजों को आवाजों कि पहचान इशारे देकर चलती है।

लहरों से आशाओं कि कोई कोशिश मिलती है राहों से अंदाजों को पुकार सुहानी मिलती है खयालों को उम्मीदों कि सरगम इशारे देकर चलती है।

 

Tuesday 28 June 2022

कविता. ४४८६. एहसास कोई दिशाओं कि।

                                    एहसास कोई दिशाओं कि।

एहसास कोई दिशाओं कि उमंग बनकर बहता है आशाओं को अदाओं कि समझ लहर दिलाकर चलती है तरानों को उम्मीदों कि मुस्कान सुनाती रहती है।

एहसास कोई दिशाओं कि आस बनकर बहता है किनारों को आवाजों कि पुकार सोच दिलाकर चलती है उजालों को कदमों कि मुस्कान सुनाती रहती है।

एहसास कोई दिशाओं कि सुबह बनकर बहता है इशारों को अरमानों कि धारा सहारा दिलाकर चलती है उम्मीदों को तरानों कि मुस्कान सुनाती रहती है।

एहसास कोई दिशाओं कि उम्मीद बनकर बहता है कदमों को अंदाजों कि सोच तलाश दिलाकर चलती है राहों को नजारों कि मुस्कान सुनाती रहती है।

एहसास कोई दिशाओं कि सोच बनकर बहता है कोशिश को खयालों कि सरगम सौगात दिलाकर चलती है जज्बातों को अदाओं कि मुस्कान सुनाती रहती है।

एहसास कोई दिशाओं कि खयाल बनकर बहता है दास्तानों को बदलावों कि उम्मीद आवाज दिलाकर चलती है किनारों को आशाओं कि मुस्कान सुनाती रहती है।

एहसास कोई दिशाओं कि तलाश बनकर बहता है तरानों को कदमों कि आहट अफसाना दिलाकर चलती है राहों को किनारों कि मुस्कान सुनाती रहती है।

एहसास कोई दिशाओं कि सौगात बनकर बहता है नजारों को अदाओं कि सौगात पहचान दिलाकर चलती है आवाजों को दास्तानों कि मुस्कान सुनाती रहती है।

एहसास कोई दिशाओं कि राह बनकर बहता है उजालों को लम्हों कि रोशनी खयाल दिलाकर चलती है आशाओं को नजारों कि मुस्कान सुनाती रहती है।

एहसास कोई दिशाओं कि इशारा बनकर बहता है अदाओं को लहरों कि पुकार अल्फाज दिलाकर चलती है अंदाजों को इरादों कि मुस्कान सुनाती रहती है।

 

Monday 27 June 2022

कविता ४४८५. उम्मीदों पर अंदाजों कि।

                                      उम्मीदों पर अंदाजों कि।

उम्मीदों पर अंदाजों कि राह सरगम सुनाती है तरानों को बदलावों कि उमंग सौगात देती है नजारों को एहसासों कि तलाश खयाल सुनाती है।

उम्मीदों पर अंदाजों कि मुस्कान कोशिश सुनाती है राहों को अरमानों कि धाराएं आस देती है अल्फाजों को आवाजों कि धून खयाल सुनाती है।

उम्मीदों पर अंदाजों कि रोशनी अफसाना सुनाती है अदाओं को लम्हों कि कहानी दास्तान देती है सपनों को बदलावों कि राह खयाल सुनाती है।

उम्मीदों पर अंदाजों कि आस इशारा सुनाती है दिशाओं को कदमों कि आहट अफसाना देती है तरानों को इशारों कि सोच खयाल सुनाती है।

उम्मीदों पर अंदाजों कि सुबह एहसास सुनाती है नजारों को आवाजों कि धून एहसास देती है कदमों को आशाओं कि मुस्कान खयाल सुनाती है।

उम्मीदों पर अंदाजों कि समझ तलाश सुनाती है लहरों को अफसानों कि सोच इशारा देती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग खयाल सुनाती है।

उम्मीदों पर अंदाजों कि परख पहचान सुनाती है उजालों को अल्फाजों कि आस पुकार देती है इशारों को अरमानों कि धाराएं खयाल सुनाती है।

उम्मीदों पर अंदाजों कि लहर सपना सुनाती है अदाओं को कि किनारों आहट सहारा देती है किनारों को आशाओं कि परख खयाल सुनाती है।

उम्मीदों पर अंदाजों कि आस दास्तान सुनाती है कदमों को आवाजों कि राह कोशिश देती है नजारों को एहसासों कि रोशनी खयाल सुनाती है।

उम्मीदों पर अंदाजों कि सौगात तलाश देती है किनारों को अदाओं कि समझ एहसास देती है कदमों को दास्तानों कि कोशिश खयाल सुनाती है।

 

Sunday 26 June 2022

कविता. ४४८४. जज्बात को मुस्कान कि।

                             जज्बात को मुस्कान कि।

जज्बात को मुस्कान कि लहर एहसास देकर चलती है अदाओं को सपनों कि सरगम बदलाव दिलाती है कोशिश संग आशाओं कि परख पहचान सुनाती है।

जज्बात को मुस्कान कि आस किनारा देकर चलती है तरानों को उम्मीदों कि सोच इरादा दिलाती है दिशाओं संग आवाजों कि धून पहचान सुनाती है।

जज्बात को मुस्कान कि दास्तान अल्फाज देकर चलती है कदमों को आवाजों कि धाराएं अंदाज दिलाती है अदाओं संग एहसासों कि सौगात पहचान सुनाती है।

जज्बात को मुस्कान कि उड़ान तराना देकर चलती है किनारों को आशाओं कि पुकार सहारा दिलाती है सपनों संग आसमानों कि रंगत पहचान सुनाती है।

जज्बात को मुस्कान कि कोशिश तलाश देकर चलती है बदलावों को इरादों कि रोशनी राह दिलाती है लम्हों संग नजारों कि सुबह पहचान सुनाती है।

जज्बात को मुस्कान कि सोच अफसाना देकर चलती है अंदाजों को अरमानों कि राह उजाला दिलाती है किनारों संग दास्तानों कि कोशिश पहचान सुनाती है।

जज्बात को मुस्कान कि उमंग आवाज देकर चलती है इशारों को अंदाजों कि सौगात बदलाव दिलाती है लहरों संग अफसानों कि सोच पहचान सुनाती है।

जज्बात को मुस्कान कि उम्मीद आस देकर चलती है दिशाओं को किनारों कि आहट अल्फाज दिलाती है आवाजों संग खयालों कि उमंग पहचान सुनाती है।

जज्बात को मुस्कान कि राह अहमियत देकर चलती है उम्मीदों को इरादों कि तलाश खयाल दिलाती है अरमानों संग दास्तानों कि पुकार पहचान सुनाती है।

जज्बात को मुस्कान कि सुबह सोच देकर चलती है अंदाजों को इशारों कि सौगात कोशिश दिलाती है बदलावों संग कदमों कि सरगम पहचान सुनाती है।

 

Saturday 25 June 2022

कविता. ४४८३. उम्मीदों को आवाजों कि धून।

                           उम्मीदों को आवाजों कि धून।

उम्मीदों को आवाजों कि धून मुस्कान दिलाती है कदमों कि आहट अक्सर अदाओं को लम्हों कि रोशनी देकर जाती है उमंग को किनारों कि सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून एहसास दिलाती है दिशाओं कि सौगात अक्सर उजालों को अल्फाजों कि सोच देकर जाती है नजारों को जज्बातों कि सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून अरमान दिलाती है लहरों कि पुकार अक्सर इशारों को अंदाजों कि मुस्कान देकर जाती है राहों को एहसासों कि सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून कोशिश दिलाती है तरानों कि परख अक्सर खयालों को तरानों कि समझ देकर जाती है दास्तानों को बदलावों कि सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून आस दिलाती है किनारों कि सोच अक्सर बदलावों को इशारों कि कोशिश देकर जाती है आशाओं को अदाओं कि सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून सोच दिलाती है सपनों कि परख अक्सर इरादों को कदमों कि सरगम देकर जाती है अफसानों को अंदाजों कि सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून सहारा दिलाती है आशाओं कि सरगम अक्सर लम्हों कि कहानी देकर जाती है खयालों को तरानों कि सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून बदलाव दिलाती है कदमों कि आहट अक्सर अंदाजों कि लहर देकर जाती है किनारों को आवाजों कि सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून इशारा दिलाती है लहरों कि पुकार अक्सर अफसानों कि सरगम देकर जाती है जज्बातों को दिशाओं कि सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून पहचान दिलाती है अदाओं कि समझ अक्सर इशारों कि तलाश देकर जाती है कदमों को खयालों कि सुबह दिलाती है।

 

Friday 24 June 2022

कविता. ४४८२ एहसास कोई हर।

                                    एहसास कोई हर।

एहसास कोई हर सुबह संग आशाओं कि पहचान सुनाता है कदमों को दास्तानों कि राह अरमान दिलाती है लम्हों को किनारों कि पुकार अल्फाज सुनाती है।

एहसास कोई हर सौगात संग अंदाजों कि राह सुनाता है किनारों को खयालों कि उम्मीद आवाज दिलाती है सपनों को तरानों कि परख अल्फाज सुनाती है।

एहसास कोई हर लहर संग आवाजों कि धून सुनाता है नजारों को अदाओं कि समझ सरगम दिलाती है कोशिश को उम्मीदों कि आस अल्फाज सुनाती है।

एहसास कोई हर कोशिश संग दिशाओं कि उमंग सुनाता है जज्बातों को दिशाओं कि सोच इरादा दिलाती है उजालों को कदमों कि आहट अल्फाज सुनाती है।

एहसास कोई हर मुस्कान संग दास्तानों कि सौगात सुनाता है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अंदाज दिलाती है नजारों को अदाओं कि सोच अल्फाज सुनाती है।

एहसास कोई हर खयाल संग अरमानों कि तलाश सुनाता है उम्मीदों को आवाजों कि धून मुस्कान दिलाती है इशारों को अरमानों कि धाराएं अल्फाज सुनाती है।

एहसास कोई हर सोच संग नजारों कि पहचान सुनाता है लहरों को अफसानों कि सरगम कोशिश दिलाती है अंदाजों को इरादों कि तलाश अल्फाज सुनाता है।

एहसास कोई हर पुकार संग अदाओं कि कोशिश सुनाता है सपनों को दिशाओं कि उमंग सहारा दिलाती है लहरों को बदलावों कि उम्मीद अल्फाज सुनाता है।

एहसास कोई हर पहचान संग तरानों कि राह सुनाता है कदमों को दास्तानों कि सुबह खयाल दिलाती है किनारों को अंदाजों कि मुस्कान अल्फाज सुनाता है।

एहसास कोई हर रोशनी संग आवाजों कि धून सुनाता है दिशाओं को उजालों कि परख पहचान दिलाती है नजारों को राहों कि सौगात अल्फाज सुनाता है।

 

Thursday 23 June 2022

कविता. ४४८१. आशाओं को जज्बातों कि।

                              आशाओं को जज्बातों कि।

आशाओं को जज्बातों कि पहचान कहानी देती है उम्मीदों को दास्तानों कि समझ निशानी देती है उमंग किसी तलाश को अंदाजों कि मुस्कान देकर जाती है।

आशाओं को जज्बातों कि धाराएं अंदाज देती है किनारों को खयालों कि सोच एहसास देती है सोच किसी कोशिश को बदलावों कि पुकार देकर जाती है।

आशाओं को जज्बातों कि सौगात सहारा देती है दिशाओं को उजालों कि परख पहचान देती है लहर किसी मुस्कान को इशारों कि सुबह देकर जाती है।

आशाओं को जज्बातों कि उम्मीद तराना देती है इशारों को नजारों कि आस दास्तान देती है अल्फाज किसी सरगम को अदाओं कि सौगात देकर जाती है।

आशाओं को जज्बातों कि आस खयाल देती है तरानों को उम्मीदों कि सोच इरादा देती है बदलाव किसी उजाले को कदमों कि सरगम देकर जाती है।

आशाओं को जज्बातों कि सुबह सपना देती है अंदाजों को आवाजों कि धून मुस्कान देती है तराना किसी बदलाव को दिशाओं कि सोच देकर जाती है।

आशाओं को जज्बातों कि परख पहचान देती है खयालों को लम्हों कि सौगात आस देती है एहसास किसी सपने को किनारों कि आवाज देकर जाती है।

आशाओं को जज्बातों कि उमंग पुकार देती है अंदाजों को नजारों कि तलाश अहमियत देती है उम्मीद किसी इरादे को दास्तानों कि सुबह देकर जाती है।

आशाओं को जज्बातों कि सोच इरादा देती है लहरों को अफसानों कि सोच इशारा देती है कोशिश किसी नजारे को उजालों कि परख देकर जाती है।

आशाओं को जज्बातों कि सरगम उमंग देती है राहों को दास्तानों कि आस मुस्कान देती है किनारा किसी खयाल को अंदाजों कि सहारा देकर जाती है।

 

Wednesday 22 June 2022

कविता. ४४८०. आशाओं कि कोई सरगम।

                                  आशाओं कि कोई सरगम।

आशाओं कि कोई सरगम सुबह नयी दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना सुनाती है मुस्कान को नयीसी कोशिश हर पल देकर जाती है।

आशाओं कि कोई सरगम सौगात नयी दिलाती है दास्तानों को किनारों कि सोच इरादा सुनाती है नजारे को नयीसी सौगात हर लहर देकर जाती है।

आशाओं कि कोई सरगम उमंग नयी दिलाती है बदलावों को इशारों कि सौगात आस सुनाती है जज्बात को नयीसी पुकार देकर जाती है।

आशाओं कि कोई सरगम उम्मीद नयी दिलाती है तरानों को अंदाजों कि राह पहचान सुनाती है उजाले को नयीसी पहचान देकर जाती है।

आशाओं कि कोई सरगम तलाश नयी दिलाती है अदाओं को लम्हों कि समझ सपना सुनाती है बदलावों को नयीसी सौगात देकर जाती है।

आशाओं कि कोई सरगम कहानी नयी दिलाती है किनारों को अंदाजों कि राह नजारा सुनाती है तरानों को नयीसी अहमियत देकर जाती है।

आशाओं कि कोई सरगम अदा नयी दिलाती है लहरों को अफसानों कि सोच इरादा सुनाती है राहों को नयीसी रोशनी देकर जाती है।

आशाओं कि कोई सरगम आवाज नयी दिलाती है आवाजों को लम्हों कि कोशिश पुकार सुनाती है नजारों को नयीसी खयाल देकर जाती है।

आशाओं कि कोई सरगम कोशिश नयी दिलाती है अरमानों को कदमों कि आहट बदलाव सुनाती है इशारों को नयीसी पहचान देकर जाती है।

आशाओं कि कोई सरगम समझ नयी दिलाती है अंदाजों को इरादों कि मुस्कान परख सुनाती है खयालों को नयीसी कोशिश देकर जाती है।

 

Tuesday 21 June 2022

कविता. ४४७९. सुबह कि कोई किरण।

                                सुबह कि कोई किरण।

सुबह कि कोई किरण आज कोई इशारा देती है अरमानों को एहसासों कि सोच तराना दिलाती है जज्बातों कि मुस्कान अक्सर खयाल सुहाना देती है।

सुबह कि कोई किरण आज कोई कहानी देती है अंदाजों को इशारों कि सुबह एहसास दिलाती है लहरों कि पुकार अक्सर इरादा सुहाना देती है।

सुबह कि कोई किरण आज कोई नजारा देती है लम्हों को अफसानों कि सौगात कोशिश दिलाती है सपनों कि सरगम अक्सर सपना सुहाना देती है।

सुबह कि किरण आज कोई आस देती है लहरों को अल्फाजों कि पहचान मुस्कान दिलाती है लम्हों कि सौगात अक्सर बदलाव सुहाना देती है।

सुबह कि किरण आज कोई आवाज देती है जज्बातों को दास्तानों कि कोशिश अल्फाज दिलाती है कदमों कि आहट अक्सर उजाला सुहाना देती है।

सुबह कि किरण आज कोई कोशिश देती है उम्मीदों को आवाजों कि धून नजारा दिलाती है राहों कि रोशनी अक्सर एहसास सुहाना देती है।

सुबह कि किरण आज कोई पुकार देती है तरानों को उम्मीदों कि सौगात कोशिश दिलाती है इरादों कि मुस्कान अक्सर आवाज सुहाना देती है।

सुबह कि किरण आज कोई बदलाव देती है आशाओं को अदाओं कि समझ पुकार दिलाती है लहरों कि सौगात अक्सर किनारा सुहाना देती है।

सुबह कि किरण आज कोई मुस्कान देती है अंदाजों को इरादों कि तलाश पहचान दिलाती है दास्तानों कि कोशिश अक्सर जज्बात सुहाना देती है।

सुबह कि किरण आज कोई दास्तान देती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अंदाज दिलाती है आशाओं कि सौगात अक्सर अल्फाज सुहाना देती है।

 

Monday 20 June 2022

कविता. ४४७८. सपनों कि सरगम अक्सर।

                           सपनों कि सरगम अक्सर।

सपनों कि सरगम अक्सर आशाओं कि मुस्कान से कोशिश सुनाती है उजालों को अल्फाजों कि सोच किनारा जताती है कदमों को आहट मिलती है।

सपनों कि सरगम अक्सर आवाजों कि धून से समझ सुनाती है तरानों को अंदाजों कि सौगात रोशनी दिलाती है अफसानों को आहट मिलती है।

सपनों कि सरगम अक्सर लम्हों कि कहानी से आस सुनाती है नजारों को अदाओं कि सुबह एहसास दिलाती है किनारों को आहट मिलती है।

सपनों कि सरगम अक्सर लहरों कि पुकार से अंदाज सुनाती है बदलावों को इशारों कि आस नजारा दिलाती है दिशाओं को आहट मिलती है।

सपनों कि सरगम अक्सर उम्मीदों कि सौगात से सुबह सुनाती है अरमानों को आशाओं कि उमंग जज्बात दिलाती है इशारों को आहट मिलती है।

सपनों कि सरगम अक्सर अंदाजों कि कोशिश से अरमान सुनाती है अदाओं को खयालों कि राह आवाज दिलाती है लहरों को आहट मिलती है।

सपनों कि सरगम अक्सर कदमों कि सुबह से अफसाना सुनाती है दिशाओं को जज्बातों कि पहचान किनारा दिलाती है लम्हों को आहट मिलती है।

सपनों कि सरगम अक्सर अदाओं कि समझ से बदलाव सुनाती है अल्फाजों को तरानों कि रोशनी अफसाना दिलाती है राहों को आहट मिलती है।

सपनों कि सरगम अक्सर किनारों कि सोच से अहमियत सुनाती है आवाजों को कदमों कि आस सुबह दिलाती है नजारों को आहट मिलती है।

सपनों कि सरगम अक्सर इशारों कि पहचान से आस सुनाती है अंदाजों को इरादों कि मुस्कान दास्तान दिलाती है अल्फाजों को आहट मिलती है।

 

Sunday 19 June 2022

कविता. ४४७७. लहर अचानक कोई।

                                  लहर अचानक कोई।

लहर अचानक कोई कहानी सुनाती है नजारों को एहसासों कि सुबह जज्बात दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं कोशिश सुनाकर बढती जाती है।

लहर अचानक कोई राह सुनाती है उम्मीदों को कदमों कि आहट अफसाना दिलाती है उजालों को अल्फाजों कि सोच सरगम सुनाकर बढती जाती है।

लहर अचानक कोई उमंग सुनाती है बदलावों को इशारों कि सौगात आस दिलाती है खयालों को तरानों कि सुबह एहसास सुनाकर बढती जाती है।

लहर अचानक कोई अदा सुनाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग अरमान दिलाती है सपनों को आशाओं कि मुस्कान किनारा सुनाकर बढती जाती है।

लहर अचानक कोई कोशिश सुनाती है तरानों को अंदाजों कि सोच इरादा दिलाती है नजारों को अदाओं कि सौगात अल्फाज सुनाकर बढती जाती है।

लहर अचानक कोई समझ सुनाती है नजारों को आवाजों कि धून मुस्कान दिलाती है तरानों को उम्मीदों कि उमंग इरादा सुनाकर बढती जाती है।

लहर अचानक कोई बदलाव सुनाती है राहों को अरमानों कि धाराएं अंदाज दिलाती है सपनों को खयालों कि सरगम परख सुनाकर बढती जाती है।

लहर अचानक कोई सौगात सुनाती है एहसासों को अदाओं कि समझ आवाज दिलाती है आवाजों को कदमों कि आहट पुकार सुनाकर बढती जाती है।

लहर अचानक कोई पुकार सुनाती है उम्मीदों को अंदाजों कि धून मुस्कान दिलाती है आशाओं को दास्तानों कि सौगात आस सुनाकर बढती जाती है।

लहर अचानक कोई तलाश सुनाती है तरानों को उम्मीदों कि सोच इरादा दिलाती है अंदाजों को इरादों कि पहचान कोशिश सुनाकर बढती जाती है।

Saturday 18 June 2022

कविता. ४४७६. उस लम्हे को क्या कहना।

                                 उस लम्हे को क्या कहना।    

‌उस लम्हे को क्या कहना जिस मे एहसासों कि सरगम सुनाकर आस आगे बढती है क्यों रोके उस पल को जिस संग उम्मीदों कि सरगम बहती है।

उस लम्हे को क्या कहना जिस मे आशाओं कि मुस्कान सुनाकर उमंग उड़ानें भरती है क्यों रोके उस एहसास को जिस संग उजालों कि सौगात बहती है।

उस लम्हे को क्या कहना जिस मे इशारों कि सोच सुनाकर लहर आगे बढती है क्यों रोके उस अफसाने को जिस संग जज्बातों कि पुकार बहती है।

उस लम्हे को क्या कहना जिस मे दास्तानों कि पुकार सुनाकर कोशिश उड़ानें भरती है क्यों रोके उस सोच को जिस संग आवाजों कि धून बहती है।

उस लम्हे को क्या कहना जिस मे सपनों कि सौगात सुनाकर पहचान आगे बढती है क्यों रोके उस रोशनी को जिस संग तरानों कि सोच बहती है।

उस लम्हे को क्या कहना जिस मे नजारों कि आस सुनाकर राह उड़ानें भरती है क्यों रोके उस खयाल को जिस संग बदलावों कि सरगम बहती है।

उस लम्हे को क्या कहना जिस मे राहों कि पहचान सुनाकर सोच आगे बढती है क्यों रोके उस जज्बात को जिस संग दास्तानों कि सुबह बहती है।

उस लम्हे को क्या कहना जिस मे जज्बातों कि समझ सुनाकर तलाश उड़ानें भरती है क्यों रोके उस कदम को जिस संग आशाओं कि परख बहती है।

उस लम्हे को क्या कहना जिस मे अंदाजों कि लहर सुनाकर कोशिश आगे बढती है क्यों रोके उस किनारे को जिस संग दिशाओं कि उमंग बहती है।

उस लम्हे को क्या कहना जिस मे आवाजों कि धून सुनाकर दास्तान उड़ानें भरती है क्यों रोके उस नजारे को जिस संग इशारों कि सौगात बहती है।

Friday 17 June 2022

कविता. ४४७५. उजालों संग एहसासों कि।

                              उजालों संग एहसासों कि।

उजालों संग एहसासों कि तलाश कहानी सुनाती है नजारों को अदाओं कि सोच इरादा दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि राह सपना दिलाती है।

उजालों संग एहसासों कि सुबह अरमान सुनाती है कदमों को किनारों कि पुकार पहचान दिलाती है तरानों को अंदाजों कि राह सपना दिलाती है।

उजालों संग एहसासों कि कोशिश राह सुनाती है तरानों को उम्मीदों कि सौगात आस दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं सपना दिलाती है।

उजालों संग एहसासों कि सौगात खयाल सुनाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग अरमान दिलाती है दिशाओं को इरादों कि सौगात सपना दिलाती है।

उजालों संग एहसासों कि सोच इरादा सुनाती है जज्बातों को दिशाओं कि कोशिश अल्फाज दिलाती है अदाओं को लम्हों कि परख सपना दिलाती है।

उजालों संग एहसासों कि परख पहचान सुनाती है उम्मीदों को खयालों कि सरगम सौगात दिलाती है लहरों को अल्फाजों कि उम्मीद सपना दिलाती है।

उजालों संग एहसासों कि सरगम इशारा सुनाती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना दिलाती है इशारों को अंदाजों कि राह सपना दिलाती है।

उजालों संग एहसासों कि आस दास्तान सुनाती है लहरों को अफसानों कि राह सौगात दिलाती है लम्हों को किनारों कि पुकार सपना दिलाती है।

उजालों संग एहसासों कि सुबह आस सुनाती है कदमों को दास्तानों कि सोच मुस्कान दिलाती है नजारों को अदाओं कि समझ सपना दिलाती है।

उजालों संग एहसासों कि सौगात बदलाव सुनाती है आशाओं को इशारों कि मुस्कान कोशिश दिलाती है सपनों को खयालों कि जज्बात सपना दिलाती है।

Thursday 16 June 2022

कविता. ४४७४. रोशनी को लहरों कि।

                                   रोशनी को लहरों कि।

रोशनी को लहरों कि पुकार अरमान दिलाती है बदलावों को इशारों कि सोच अहमियत सुनाती है नजारों को अदाओं कि समझ मुस्कान दिलाती है।

रोशनी को लहरों कि सुबह एहसास दिलाती है किनारों को आशाओं कि परख पहचान सुनाती है दास्तानों को जज्बातों कि राह मुस्कान दिलाती है।

रोशनी को लहरों कि सोच इरादा दिलाती है उजालों को अल्फाजों कि सौगात तलाश सुनाती है राहों को अरमानों कि धाराएं मुस्कान दिलाती है।

रोशनी को लहरों कि पहचान आवाज दिलाती है उम्मीदों को आवाजों कि धून एहसास सुनाती है अंदाजों को इरादों कि कोशिश मुस्कान दिलाती है।

रोशनी को लहरों कि खयाल दास्तान दिलाती है अंदाजों को इशारों कि सुबह आस सुनाती है उजालों को कदमों कि आहट मुस्कान दिलाती है।

रोशनी को लहरों कि परख किनारा दिलाती है आशाओं को अदाओं कि सौगात कोशिश सुनाती है दिशाओं को एहसासों कि तलाश मुस्कान दिलाती है।

रोशनी को लहरों कि बदलाव पहचान दिलाती है अदाओं को लम्हों कि कहानी इशारा सुनाती है तरानों को उमंग कि सौगात मुस्कान दिलाती है।

रोशनी को लहरों कि सरगम आस दिलाती है राहों को अफसानों कि सुबह एहसास सुनाती है अंदाजों को कदमों कि आस मुस्कान दिलाती है।

रोशनी को लहरों कि समझ उजाला दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश सौगात सुनाती है जज्बातों को तरानों कि परख मुस्कान दिलाती है।

रोशनी को लहरों कि सुबह कोशिश दिलाती है इशारों को तरानों कि सरगम पहचान सुनाती है आशाओं को दास्तानों कि सोच मुस्कान दिलाती है।

Wednesday 15 June 2022

कविता. ४४७३. कोशिश आशाओं के संग।

                              कोशिश आशाओं के संग।

कोशिश आशाओं के संग मुस्कान कि राह दिलाती है लहरों से एहसासों कि कहानी अरमान जगाती है जज्बातों को कदमों कि आहट अफसाना दिलाती है।

कोशिश आशाओं के संग बदलावों कि पुकार दिलाती है सपनों से अदाओं कि समझ आवाज जगाती है खयालों को उम्मीदों कि सुबह अफसाना दिलाती है।

कोशिश आशाओं के संग लहरों कि पहचान दिलाती है उजालों से आवाजों कि धून इशारा जगाती है अंदाजों को इरादों कि तलाश अफसाना दिलाती है।

कोशिश आशाओं के संग कदमों कि आहट दिलाती है लम्हों से इरादों कि समझ बदलाव जगाती है राहों को अरमानों कि धाराएं अफसाना दिलाती है।

कोशिश आशाओं के संग नजारों कि तलाश दिलाती है राहों से आवाजों कि धून एहसास जगाती है किनारों को अदाओं कि समझ अफसाना दिलाती है।

कोशिश आशाओं के संग दास्तानों कि उजाला दिलाती है इशारों से खयालों कि उम्मीद आवाज जगाती है अंदाजों को इरादों कि आस अफसाना दिलाती है।

कोशिश आशाओं के संग बदलावों कि सुबह दिलाती है सपनों से अदाओं कि समझ अरमान जगाती है उमंग को अल्फाजों कि पुकार अफसाना दिलाती है।

कोशिश आशाओं के संग बदलावों कि सोच दिलाती है नजारों से अल्फाजों कि सुबह रोशनी जगाती है किनारों को तरानों कि राह अफसाना दिलाती है।

कोशिश आशाओं के संग जज्बातों कि लहर दिलाती है आवाजों से दास्तानों कि सोच इरादा जगाती है बदलावों को नजारों कि तलाश अफसाना दिलाती है।

कोशिश आशाओं के संग सपनों कि सौगात दिलाती है खयालों से उजालों कि परख पहचान जगाती है कदमों को आशाओं कि सरगम अफसाना दिलाती है।


Tuesday 14 June 2022

कविता. ४४७२. लहरों संग नजारों कि।

                                       लहरों संग नजारों कि।

लहरों संग नजारों कि सुबह एहसास सुनाती है नजारों कि आस पहचान दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अंदाज देकर जाती है। 

लहरों संग नजारों कि सौगात कोशिश सुनाती है जज्बातों कि लहर सरगम दिलाती है लहरों को अफसानों कि सोच इरादा देकर जाती है।

लहरों संग नजारों कि सोच इशारा सुनाती है खयालों कि उम्मीद आवाज दिलाती है तरानों को अंदाजों कि मुस्कान रोशनी देकर जाती है।

लहरों संग नजारों कि तलाश सपना सुनाती है लहरों कि सरगम परख दिलाती है दिशाओं को उजालों कि समझ सुबह देकर जाती है।

लहरों संग नजारों कि आवाज अदा सुनाती है अंदाजों कि सोच पुकार दिलाती है बदलावों को इशारों कि परख खयाल देकर जाती है।

लहरों संग नजारों कि सरगम खयाल सुनाती है किनारों कि आवाज सुबह दिलाती है अंदाजों को आशाओं कि राह पुकार देकर जाती है।

लहरों संग नजारों कि आस पुकार सुनाती है तरानों कि राह बदलाव दिलाती है लम्हों को अफसानों कि आवाज किनारा देकर जाती है।

लहरों संग नजारों कि राह सरगम सुनाती है लम्हों कि रोशनी उजाला दिलाती है किनारों को आशाओं कि मुस्कान आस देकर जाती है। 

लहरों संग नजारों कि रोशनी नजारा सुनाती है बदलावों कि उमंग आस दिलाती है उम्मीदों को आवाजों कि सोच इरादा देकर जाती है।

लहरों संग नजारों कि सौगात आवाज सुनाती है आशाओं कि परख पहचान दिलाती है इरादों को तरानों कि रोशनी अल्फाज देकर जाती है।

 

Monday 13 June 2022

कविता. ४४७१. किनारों पर आशाओं कि।

                          किनारों पर आशाओं कि।

किनारों पर आशाओं कि लहर सपना दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना सुनाती है राहों से जुड़कर आवाजों कि धून एहसास देती है।

किनारों पर आशाओं कि मुस्कान कोशिश दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश खयाल सुनाती है अदाओं से मिलकर जज्बातों कि पुकार एहसास देती है।

किनारों पर आशाओं कि परख बदलाव दिलाती है अंदाजों को इरादों कि पहचान आस सुनाती है खयालों से समझकर कदमों कि आहट एहसास देती है।

किनारों पर आशाओं कि आस अरमान दिलाती है दिशाओं को उजालों कि पुकार आवाज सुनाती है तरानों से परखकर दास्तानों कि सुबह एहसास देती है।

किनारों पर आशाओं कि सोच इरादा दिलाती है नजारों को तरानों कि रोशनी बदलाव सुनाती है कदमों से जुड़कर आवाजों कि सौगात एहसास देती है।

किनारों पर आशाओं कि समझ राह दिलाती है बदलावों को अरमानों कि धाराएं अंदाज सुनाती है उजालों से मिलकर इशारों कि सोच एहसास देती है।

किनारों पर आशाओं कि इरादा मुस्कान दिलाती है अदाओं को सपनों कि सरगम कोशिश सुनाती है दिशाओं से परखकर अंदाजों कि राह एहसास देती है।

किनारों पर आशाओं कि दास्तान आस दिलाती है लम्हों को अंदाजों कि राह अल्फाज सुनाती है इरादों से जुड़कर कदमों कि आहट एहसास देती है।

किनारों पर आशाओं कि सौगात तलाश दिलाती है सपनों को नजारों कि सुबह सोच सुनाती है अंदाजों से समझकर अदाओं कि समझ एहसास देती है।

किनारों पर आशाओं कि उमंग पहचान दिलाती है दास्तानों को इशारों कि सरगम मुस्कान सुनाती है राहों से परखकर दिशाओं कि उमंग एहसास देती है।

 

Sunday 12 June 2022

कविता. ४४७०. अरमानों को आशाओं कि।

                             अरमानों को आशाओं कि।

अरमानों को आशाओं कि लहर तलाश दिलाती है लम्हों को अदाओं कि सुबह किनारा देती है तरानों को अंदाजों कि बदलाव अफसाना सुनाती है।

अरमानों को आशाओं कि मुस्कान खयाल दिलाती है नजारों को एहसासों कि कहानी समझ देती है उजालों को अल्फाजों कि सरगम अफसाना सुनाती है।

अरमानों को आशाओं कि सौगात रोशनी दिलाती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग सरगम देती है उम्मीदों को तरानों कि परख अफसाना सुनाती है।

अरमानों को आशाओं कि राह कोशिश दिलाती है लहरों को अल्फाजों कि समझ सौगात देती है कदमों को दास्तानों कि सोच अफसाना सुनाती है।

अरमानों को आशाओं कि परख पहचान दिलाती है किनारों को अंदाजों कि मुस्कान रोशनी देती है खयालों को उम्मीदों कि सौगात अफसाना सुनाती है।

अरमानों को आशाओं कि सोच इरादा दिलाती है कदमों को दास्तानों कि सोच इरादा देती है तरानों को अदाओं कि समझ अफसाना सुनाती है।

अरमानों को आशाओं कि राह किनारा दिलाती है जज्बातों को नजारों कि तलाश खयाल देती है लहरों को बदलावों कि उमंग अफसाना सुनाती है।

अरमानों को आशाओं कि सुबह एहसास दिलाती है खयालों को तरानों कि पहचान कोशिश देती है इशारों को आवाजों कि राह अफसाना सुनाती है।

अरमानों को आशाओं कि रोशनी पहचान दिलाती है अदाओं को सपनों कि पुकार किनारा देती है लहरों को बदलावों कि उमंग अफसाना सुनाती है।

अरमानों को आशाओं कि कोशिश सुबह दिलाती है कदमों को आवाजों कि धून मुस्कान देती है तरानों को नजारों कि लहर अफसाना सुनाती है।


Saturday 11 June 2022

कविता. ४४६९. कदमों को दास्तानों कि।

                            कदमों को दास्तानों कि।

कदमों को दास्तानों कि सोच इरादा दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं सपना सुनाती है नजारों कि सुबह अक्सर आस कि पहचान देती है।

कदमों को दास्तानों कि राह खयाल दिलाती है सपनों को आशाओं कि मुस्कान पुकार सुनाती है जज्बातों कि लहर अक्सर अल्फाजों कि पहचान देती है।

कदमों को दास्तानों कि कोशिश रोशनी दिलाती है बदलावों को इशारों कि सोच सरगम सुनाती है राहों कि तलाश अक्सर अंदाजों कि पहचान देती है।

कदमों को दास्तानों कि परख सौगात दिलाती है नजारों को एहसासों कि कहानी आस सुनाती है सपनों कि आहट अक्सर उजालों कि पहचान देती है।

कदमों को दास्तानों कि सुबह तराना दिलाती है दिशाओं को इरादों कि सौगात अल्फाज सुनाती है खयालों कि उम्मीद अक्सर राह कि पहचान देती है।

कदमों को दास्तानों कि समझ इशारा दिलाती है अदाओं को लम्हों कि सोच इरादा सुनाती है आशाओं कि परख अक्सर आवाज कि पहचान देती है।

कदमों को दास्तानों कि पुकार सहारा दिलाती है एहसासों को दिशाओं कि उमंग अरमान सुनाती है तरानों कि रोशनी अक्सर आशाओं कि पहचान देती है।

कदमों को दास्तानों कि सोच तलाश दिलाती है इरादों को अदाओं कि समझ मुस्कान सुनाती है एहसासों कि सोच अक्सर बदलावों कि पहचान देती है।

कदमों को दास्तानों कि लहर खयाल दिलाती है नजारों को अंदाजों कि सौगात आस सुनाती है उजालों कि पुकार अक्सर इशारों कि पहचान देती है।

कदमों को दास्तानों कि अदा सोच दिलाती है लम्हों को आवाजों कि धून एहसास सुनाती है नजारों कि आस अक्सर उम्मीदों कि पहचान देती है।

 

Friday 10 June 2022

कविता. ४४६८. अरमानों को लम्हों कि।

                               अरमानों को लम्हों कि।

अरमानों को लम्हों कि रोशनी सहारा दिलाती है किनारों को आशाओं कि लहर उमंग सुनाती है कदमों को दास्तानों कि कोशिश अल्फाज दिलाती है।

अरमानों को लम्हों कि कोशिश एहसास दिलाती है नजारों को अदाओं कि समझ परख देकर जाती है जज्बातों को दिशाओं कि उम्मीद अल्फाज दिलाती है।

अरमानों को लम्हों कि पुकार आस दिलाती है लहरों को कदमों कि आहट कोशिश सुनाती है तरानों को अंदाजों कि मुस्कान अल्फाज दिलाती है।

अरमानों को लम्हों कि सौगात तलाश दिलाती है सपनों को राहों कि सुबह एहसास सुनाती है उजालों को इशारों कि सोच अल्फाज दिलाती है।

अरमानों को लम्हों कि मुस्कान अदा दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग नजारा देकर जाती है लहरों को तरानों कि सुबह अल्फाज दिलाती है।

अरमानों को लम्हों कि आवाज पुकार दिलाती है कदमों को आवाजों कि धून सरगम सुनाती है किनारों को आशाओं कि पहचान अल्फाज दिलाती है।

अरमानों को लम्हों कि सोच इरादा दिलाती है उम्मीदों को दास्तानों कि सुबह मुस्कान देकर जाती है जज्बातों को अदाओं कि समझ अल्फाज दिलाती है।

अरमानों को लम्हों कि आस दास्तान दिलाती है खयालों को तरानों कि राह परख देकर जाती है आवाजों को बदलावों कि सौगात अल्फाज दिलाती है।

अरमानों को लम्हों कि कोशिश सौगात दिलाती है लहरों को कदमों कि सोच बदलाव सुनाती है तरानों को अंदाजों कि राह अल्फाज दिलाती है।

अरमानों को लम्हों कि परख पहचान दिलाती है कदमों को अदाओं कि समझ कोशिश देकर जाती है लहरों को अफसानों कि सुबह अल्फाज दिलाती है।

 

Thursday 9 June 2022

कविता. ४४६७. दिशाओं को अरमानों कि।

                             दिशाओं को अरमानों कि।

दिशाओं को अरमानों कि धारा सपना दिलाती है अदाओं को सरगम देकर खयालों कि उम्मीद आवाज सुनाती है राहों को पहचान बदलाव दिलाती है।

दिशाओं को अरमानों कि अदाए तलाश दिलाती है लम्हों को कोशिश देकर आवाजों कि धून मुस्कान सुनाती है दास्तानों को समझ बदलाव दिलाती है।

दिशाओं को अरमानों कि आशा तराना दिलाती है लहरों को सौगात देकर इशारों कि सोच इरादा सुनाती है उजालों को पुकार बदलाव दिलाती है।

दिशाओं को अरमानों कि आवाज कोशिश दिलाती है नजारों को एहसास देकर कदमों कि आहट अल्फाज सुनाती है लम्हों को सोच बदलाव दिलाती है।

दिशाओं को अरमानों कि लहर खयाल दिलाती है सपनों को इरादा देकर जज्बातों कि सौगात आस सुनाती है तरानों को उमंग बदलाव दिलाती है।

दिशाओं को अरमानों कि पुकार सुबह दिलाती है इशारों को आस देकर अंदाजों कि मुस्कान उमंग सुनाती है खयालों को सौगात बदलाव दिलाती है।

दिशाओं को अरमानों कि समझ तराना दिलाती है लहरों को पहचान देकर उम्मीदों कि राह परख सुनाती है नजारों को मुस्कान बदलाव दिलाती है।

दिशाओं को अरमानों कि राह आवाज दिलाती है किनारों को राह देकर आशाओं कि पुकार सौगात सुनाती है इरादों को तलाश बदलाव दिलाती है।

दिशाओं को अरमानों कि कोशिश परख दिलाती है लम्हों को सरगम देकर जज्बातों कि सोच इरादा सुनाती है आवाजों को धून बदलाव दिलाती है।

दिशाओं को अरमानों कि रोशनी खयाल दिलाती है राहों को सुबह देकर कदमों कि सुबह एहसास सुनाती है अल्फाजों को पुकार बदलाव दिलाती है।

 

Wednesday 8 June 2022

कविता. ४४६६. रोशनी कि पहचान।

                              रोशनी कि पहचान।

रोशनी कि पहचान इशारे कई देकर जाती है जज्बातों को दिशाओं कि सोच मुस्कान दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश अहमियत देती है।

रोशनी कि पहचान उजाले कई देकर जाती है अदाओं को सपनों कि पुकार कोशिश दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात अहमियत देती है।

रोशनी कि पहचान तराने कई देकर जाती है राहों को अरमानों कि धाराएं अफसाना दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग अहमियत देती है।

रोशनी कि पहचान उम्मीदे कई देकर जाती है कदमों को आवाजों कि सोच सहारा दिलाती है किनारों को आशाओं कि सुबह अहमियत देती है।

रोशनी कि पहचान किनारे कई देकर जाती है इशारों को लहरों कि सरगम एहसास दिलाती है आवाजों को लम्हों कि रोशनी अहमियत देती है।

रोशनी कि पहचान इरादे कई देकर जाती है अदाओं को खयालों कि उम्मीद आवाज दिलाती है सपनों को नजारों कि सोच अहमियत देती है।

रोशनी कि पहचान अफसाने कई देकर जाती है नजारों को अदाओं कि समझ सरगम दिलाती है इरादों को अंदाजों कि राह अहमियत देती है।

रोशनी कि पहचान लम्हे कई देकर जाती है आशाओं को कदमों कि तलाश बदलाव दिलाती है कोशिश को उम्मीदों कि सुबह अहमियत देती है।

रोशनी कि पहचान आवाजे कई देकर जाती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग अरमान दिलाती है सपनों को अदाओं कि समझ अहमियत देती है।

रोशनी कि पहचान नजारे कई देकर जाती है खयालों को उम्मीदों कि सुबह इशारा दिलाती है आशाओं को किनारों कि सौगात अहमियत देती है।

Tuesday 7 June 2022

कविता. ४४६५. जज्बात को मुस्कान।

                                जज्बात को मुस्कान।

जज्बात को मुस्कान एहसास सुनाती है राहों पर आशाओं कि पहचान सहारा दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात कोशिश देकर चलती है।

जज्बात को मुस्कान अरमान सुनाती है रोशनी पर कदमों कि सरगम अहमियत दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश खयाल देकर चलती है।

जज्बात को मुस्कान परख सुनाती है आवाजों पर दिशाओं कि उमंग पुकार दिलाती है बदलावों को इशारों कि पहचान अल्फाज देकर चलती है।

जज्बात को मुस्कान आस सुनाती है नजारों पर उजालों कि समझ सौगात दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अल्फाज देकर चलती है।

जज्बात को मुस्कान किनारा सुनाती है तरानों पर आशाओं कि सुबह एहसास दिलाती है राहों को किनारों कि अहमियत अल्फाज देकर चलती है।

जज्बात को मुस्कान सपना सुनाती है कदमों पर आवाजों कि धून इशारा दिलाती है आशाओं को दिशाओं कि पहचान अल्फाज देकर चलती है।

जज्बात को मुस्कान पुकार सुनाती है लहरों पर सपनों कि उम्मीद पहचान दिलाती है दास्तानों को इरादों कि सरगम अल्फाज देकर चलती है।

जज्बात को मुस्कान सहारा सुनाती है उजालों पर अदाओं कि समझ बदलाव दिलाती है नजारों को अदाओं कि सुबह अल्फाज देकर चलती है।

जज्बात को मुस्कान सौगात सुनाती है कोशिश पर उजालों कि सोच आस दिलाती है सपनों को अरमानों कि तलाश अल्फाज देकर चलती है।

जज्बात को मुस्कान दास्तान सुनाती है नजारों पर आशाओं कि परख बदलाव दिलाती है अंदाजों को कदमों कि आहट अल्फाज देकर चलती है।

 

Monday 6 June 2022

कविता. ४४६४. कदमों को अरमानों कि।

                             कदमों को अरमानों कि।

कदमों को अरमानों कि धाराएं लहर देकर चलती है किनारों को आशाओं कि मुस्कान रोशनी दिलाती है तरानों को अंदाजों कि मुस्कान सहारा देती है।

कदमों को अरमानों कि तलाश लम्हा देकर चलती है जज्बातों को राहों कि सोच इरादा दिलाती है सपनों को आशाओं कि पुकार सहारा देती है।

कदमों को अरमानों कि सोच इरादा देकर चलती है बदलावों को इशारों कि सुबह कोशिश दिलाती है उजालों को अल्फाजों कि आस सहारा देती है।

कदमों को अरमानों कि समझ किनारा देकर चलती है नजारों को एहसासों कि कहानी सौगात दिलाती है दास्तानों को राहों कि सोच सहारा देती है।

कदमों को अरमानों कि उमंग सपना देकर चलती है रोशनी को अंदाजों कि परख पहचान दिलाती है दिशाओं को उजालों कि सौगात सहारा देती है।

कदमों को अरमानों कि सुबह खयाल देकर चलती है तरानों को उम्मीदों कि सौगात आस दिलाती है नजारों को एहसासों कि समझ सहारा देती है।

कदमों को अरमानों कि रोशनी बदलाव देकर चलती है राहों को कोशिश कि परख पहचान दिलाती है अंदाजों को इरादों कि आवाज सहारा देती है।

कदमों को अरमानों कि उम्मीद आवाज देकर चलती है आशाओं को अदाओं कि समझ परख दिलाती है अदाओं को खयालों कि राह सहारा देती है।

कदमों को अरमानों कि राह कोशिश देकर चलती है जज्बातों को दिशाओं कि समझ लहर दिलाती है नजारों को आशाओं कि पहचान सहारा देती है।

कदमों को अरमानों कि सौगात आस देकर चलती है तरानों को उम्मीदों कि पुकार अल्फाज दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग सहारा देती है।

 

Sunday 5 June 2022

कविता. ४४६३. दिशाओं को इशारों कि।

                            दिशाओं को इशारों कि।

दिशाओं को इशारों कि सुबह एहसास दिलाती है सपनों को नजारों कि पहचान मुस्कान दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अंदाज सुनाती है।

दिशाओं को इशारों कि सौगात आस दिलाती है तरानों को उम्मीदों कि सोच पुकार दिलाती है लहरों को अफसानों कि मुस्कान अंदाज सुनाती है।

दिशाओं को इशारों कि कोशिश रोशनी दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अफसाना दिलाती है नजारों को अदाओं कि समझ अंदाज सुनाती है।

दिशाओं को इशारों कि सोच मुस्कान दिलाती है लहरों को अफसानों कि सरगम तलाश दिलाती है जज्बातों को आशाओं कि परख अंदाज सुनाती है।

दिशाओं को इशारों कि पहचान पुकार दिलाती है नजारों को अदाओं कि सौगात कोशिश दिलाती है कदमों को खयालों कि सरगम अंदाज सुनाती है।

दिशाओं को इशारों कि समझ सपना दिलाती है बदलावों को जज्बातों कि सोच अल्फाज दिलाती है किनारों को आवाजों कि धून अंदाज सुनाती है।

दिशाओं को इशारों कि दास्तान किनारा दिलाती है सपनों को कदमों कि आहट सरगम दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग अंदाज सुनाती है।

दिशाओं को इशारों कि परख कोशिश दिलाती है उम्मीदों को आवाजों कि तलाश खयाल दिलाती है सपनों को अल्फाजों कि आस अंदाज सुनाती है।

दिशाओं को इशारों कि आहट सुबह दिलाती है लहरों को अफसानों कि सोच सहारा दिलाती है अदाओं को उमंग कि सुबह अंदाज सुनाती है।

दिशाओं को इशारों कि मुस्कान राह दिलाती है उम्मीदों को आवाजों कि धून एहसास दिलाती है आशाओं को अदाओं कि समझ अंदाज सुनाती है।

 

Saturday 4 June 2022

कविता. ४४६२. उम्मीदों से कोई आस।

                              उम्मीदों से कोई आस।

उम्मीदों से कोई आस बदलाव सुनाती है नजारों को एहसासों कि तलाश कहानी दिलाती है सपनों को अरमानों कि धाराएं अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों से कोई आस खयाल सुनाती है राहों को अल्फाजों कि सोच सरगम दिलाती है दिशाओं को इरादों कि मुस्कान अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों से कोई आस पहचान सुनाती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग अरमान दिलाती है लम्हों को कदमों कि तलाश अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों से कोई आस कोशिश सुनाती है तरानों को अंदाजों कि मुस्कान रोशनी दिलाती है दास्तानों को नजारों कि परख अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों से कोई आस सौगात सुनाती है लहरों को आवाजों कि धून एहसास दिलाती है आशाओं को लम्हों कि कहानी अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों से कोई आस तराना सुनाती है उजालों को कदमों कि सोच इरादा दिलाती है अंदाजों को आवाजों कि धून अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों से कोई आस दास्तान सुनाती है नजारों को अदाओं कि समझ बदलाव दिलाती है कदमों को आशाओं कि सरगम अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों से कोई आस पुकार सुनाती है अंदाजों को इरादों कि मुस्कान रोशनी दिलाती है राहों को एहसासों कि कहानी अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों से कोई आस सपना सुनाती है राहों को दिशाओं कि उमंग अरमान दिलाती है नजारों को अदाओं कि कोशिश अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों से कोई आस अहमियत सुनाती है आवाजों को लम्हों कि सौगात पुकार दिलाती है लहरों को अल्फाजों कि समझ अफसाना सुनाती है।

Friday 3 June 2022

कविता. ४४६१. इशारों को अरमानों कि।

                           इशारों को अरमानों कि।

इशारों को अरमानों कि धाराएं सपने सुनाती है तरानों को अंदाजों कि राह खयाल दिलाती है लम्हों कि सरगम से जुड़कर आशाएं तलाश देकर जाती है।

इशारों को अरमानों कि सुबह एहसास सुनाती है नजारों को आवाजों कि धून सौगात दिलाती है जज्बातों कि लहर से जुड़कर आस तलाश देकर जाती है।

इशारों को अरमानों कि सरगम कोशिश सुनाती है राहों को दिशाओं कि उमंग सोच दिलाती है नजारों कि सौगात से जुड़कर परख तलाश देकर जाती है।

इशारों को अरमानों कि समझ जज्बात सुनाती है आशाओं को अदाओं कि समझ कोशिश दिलाती है इरादों कि मुस्कान से जुड़कर आवाज तलाश देकर जाती है।

इशारों को अरमानों कि सौगात पुकार सुनाती है बदलावों को उम्मीदों कि सुबह किनारा दिलाती है दास्तानों कि सोच से जुड़कर कोशिश तलाश देकर जाती है।

इशारों को अरमानों कि उमंग आवाज सुनाती है तरानों को अंदाजों कि मुस्कान रोशनी दिलाती है इशारों कि पहचान से जुड़कर लहर तलाश देकर जाती है।

इशारों को अरमानों कि धाराएं अफसाना सुनाती है राहों को किनारों कि सोच इरादा दिलाती है अंदाजों कि मुस्कान से जुड़कर आस तलाश देकर जाती है।

इशारों को अरमानों कि सरगम सुबह सुनाती है दिशाओं को उजालों कि परख पहचान दिलाती है उमंग कि उड़ान से जुड़कर सौगात तलाश देकर जाती है।

इशारों को अरमानों कि आस अदाएं सुनाती है नजारों को आवाजों कि धून मुस्कान दिलाती है लम्हों कि कहानी से जुड़कर पुकार तलाश देकर जाती है।

इशारों को अरमानों कि समझ खयाल सुनाती है राहों को कोशिश कि सोच इरादा दिलाती है किनारों कि पुकार से जुड़कर अल्फाज तलाश देकर जाती है।

 

Thursday 2 June 2022

कविता. ४४६०. उजालों कि मुस्कान अक्सर।

                            उजालों कि मुस्कान अक्सर।

उजालों कि मुस्कान अक्सर एहसास सुनाती है नजारों को लहरों कि आवाज तलाश दिलाती है अरमान संग दिशाओं कि उमंग दिलाती है।

उजालों कि मुस्कान अक्सर अफसाना सुनाती है लम्हों को कदमों कि आहट कोशिश दिलाती है सपनों संग आसमानों कि रंगत दिलाती है।

उजालों कि मुस्कान अक्सर इशारा सुनाती है जज्बातों को दिशाओं कि पहचान पुकार दिलाती है नजारों संग आशाओं कि परख दिलाती है।

उजालों कि मुस्कान अक्सर तराना सुनाती है अरमानों को खयालों कि सरगम सोच दिलाती है अंदाजों संग नजारों कि बदलाव दिलाती है।

उजालों कि मुस्कान अक्सर खयाल सुनाती है राहों को एहसासों कि सुबह तराना दिलाती है आवाज संग आशाओं कि पुकार दिलाती है।

उजालों कि मुस्कान अक्सर अहमियत सुनाती है लहरों को इरादों कि सौगात आस दिलाती है उम्मीद संग जज्बातों कि आहट दिलाती है।

उजालों कि मुस्कान अक्सर सपना सुनाती है आशाओं को कदमों कि आहट अफसाना दिलाती है किनारों संग अदाओं कि सुबह दिलाती है।

उजालों कि मुस्कान अक्सर अरमान सुनाती है राहों को एहसासों कि तलाश पहचान दिलाती है उम्मीदों संग आवाजों कि धून दिलाती है।

उजालों कि मुस्कान अक्सर नजारा सुनाती है दिशाओं को इरादों कि सौगात अल्फाज दिलाती है लम्हों संग खयालों कि सरगम दिलाती है।

उजालों कि मुस्कान अक्सर बदलाव सुनाती है नजारों को अदाओं कि सोच इरादा दिलाती है बदलावों संग कदमों कि समझ दिलाती है।


Wednesday 1 June 2022

कविता. ४४५९. सुबह को अंदाजों कि।

                           सुबह को अंदाजों कि।

सुबह को अंदाजों कि सोच इरादा दिलाती है कदमों को दास्तानों कि पहचान मुस्कान जगाती है किनारों को आशाओं कि लहर एहसास देकर जाती है।

सुबह को अंदाजों कि आस खयाल दिलाती है सपनों को अदाओं कि समझ आवाज जगाती है नजारों को एहसासों कि तलाश एहसास देकर जाती है।

सुबह को अंदाजों कि सौगात तराना दिलाती है अंदाजों को इरादों कि कोशिश बदलाव जगाती है आशाओं को अदाओं कि समझ एहसास देकर जाती है।

सुबह को अंदाजों कि मुस्कान अरमान दिलाती है लम्हों को दिशाओं कि उमंग अहमियत जगाती है बदलावों को उम्मीदों कि सोच एहसास देकर जाती है।

सुबह को अंदाजों कि कोशिश सहारा दिलाती है उजालों को आवाजों कि धून इशारा जगाती है जज्बातों को दिशाओं कि पहचान एहसास देकर जाती है।

सुबह को अंदाजों कि उमंग आस दिलाती है नजारों को दास्तानों कि तलाश किनारा जगाती है सपनों को अंदाजों कि राह एहसास देकर जाती है।

सुबह को अंदाजों कि रोशनी खयाल दिलाती है इशारों को अरमानों कि सोच पहचान जगाती है कदमों को आवाजों कि धून एहसास देकर जाती है।

सुबह को अंदाजों कि आवाज जज्बात दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना जगाती है किनारों को खयालों कि सरगम एहसास देकर जाती है।

सुबह को अंदाजों कि तलाश रोशनी दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात उमंग जगाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग एहसास देकर जाती है।

सुबह को अंदाजों कि राह बदलाव दिलाती है किनारों को आशाओं कि परख पहचान जगाती है रोशनी को लहरों कि पुकार एहसास देकर जाती।

 

कविता. ५१५४. इरादों को आशाओं की।

                            इरादों को आशाओं की। इरादों को आशाओं की मुस्कान कोशिश दिलाती है खयालों को अंदाजों की आस किनारा देकर जाती है जज्बा...