Friday 24 June 2022

कविता. ४४८२ एहसास कोई हर।

                                    एहसास कोई हर।

एहसास कोई हर सुबह संग आशाओं कि पहचान सुनाता है कदमों को दास्तानों कि राह अरमान दिलाती है लम्हों को किनारों कि पुकार अल्फाज सुनाती है।

एहसास कोई हर सौगात संग अंदाजों कि राह सुनाता है किनारों को खयालों कि उम्मीद आवाज दिलाती है सपनों को तरानों कि परख अल्फाज सुनाती है।

एहसास कोई हर लहर संग आवाजों कि धून सुनाता है नजारों को अदाओं कि समझ सरगम दिलाती है कोशिश को उम्मीदों कि आस अल्फाज सुनाती है।

एहसास कोई हर कोशिश संग दिशाओं कि उमंग सुनाता है जज्बातों को दिशाओं कि सोच इरादा दिलाती है उजालों को कदमों कि आहट अल्फाज सुनाती है।

एहसास कोई हर मुस्कान संग दास्तानों कि सौगात सुनाता है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अंदाज दिलाती है नजारों को अदाओं कि सोच अल्फाज सुनाती है।

एहसास कोई हर खयाल संग अरमानों कि तलाश सुनाता है उम्मीदों को आवाजों कि धून मुस्कान दिलाती है इशारों को अरमानों कि धाराएं अल्फाज सुनाती है।

एहसास कोई हर सोच संग नजारों कि पहचान सुनाता है लहरों को अफसानों कि सरगम कोशिश दिलाती है अंदाजों को इरादों कि तलाश अल्फाज सुनाता है।

एहसास कोई हर पुकार संग अदाओं कि कोशिश सुनाता है सपनों को दिशाओं कि उमंग सहारा दिलाती है लहरों को बदलावों कि उम्मीद अल्फाज सुनाता है।

एहसास कोई हर पहचान संग तरानों कि राह सुनाता है कदमों को दास्तानों कि सुबह खयाल दिलाती है किनारों को अंदाजों कि मुस्कान अल्फाज सुनाता है।

एहसास कोई हर रोशनी संग आवाजों कि धून सुनाता है दिशाओं को उजालों कि परख पहचान दिलाती है नजारों को राहों कि सौगात अल्फाज सुनाता है।

 

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