Wednesday, 22 June 2022

कविता. ४४८०. आशाओं कि कोई सरगम।

                                  आशाओं कि कोई सरगम।

आशाओं कि कोई सरगम सुबह नयी दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना सुनाती है मुस्कान को नयीसी कोशिश हर पल देकर जाती है।

आशाओं कि कोई सरगम सौगात नयी दिलाती है दास्तानों को किनारों कि सोच इरादा सुनाती है नजारे को नयीसी सौगात हर लहर देकर जाती है।

आशाओं कि कोई सरगम उमंग नयी दिलाती है बदलावों को इशारों कि सौगात आस सुनाती है जज्बात को नयीसी पुकार देकर जाती है।

आशाओं कि कोई सरगम उम्मीद नयी दिलाती है तरानों को अंदाजों कि राह पहचान सुनाती है उजाले को नयीसी पहचान देकर जाती है।

आशाओं कि कोई सरगम तलाश नयी दिलाती है अदाओं को लम्हों कि समझ सपना सुनाती है बदलावों को नयीसी सौगात देकर जाती है।

आशाओं कि कोई सरगम कहानी नयी दिलाती है किनारों को अंदाजों कि राह नजारा सुनाती है तरानों को नयीसी अहमियत देकर जाती है।

आशाओं कि कोई सरगम अदा नयी दिलाती है लहरों को अफसानों कि सोच इरादा सुनाती है राहों को नयीसी रोशनी देकर जाती है।

आशाओं कि कोई सरगम आवाज नयी दिलाती है आवाजों को लम्हों कि कोशिश पुकार सुनाती है नजारों को नयीसी खयाल देकर जाती है।

आशाओं कि कोई सरगम कोशिश नयी दिलाती है अरमानों को कदमों कि आहट बदलाव सुनाती है इशारों को नयीसी पहचान देकर जाती है।

आशाओं कि कोई सरगम समझ नयी दिलाती है अंदाजों को इरादों कि मुस्कान परख सुनाती है खयालों को नयीसी कोशिश देकर जाती है।

 

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कविता. ५४७२. ज्ञएहसास की कोई।

                           एहसास की कोई। एहसास की कोई पुकार तलाश दिलाती है कदमों को जज्बातों की आहट उजाला देकर जाती है अरमानों की आस सुनाती ...