Saturday, 25 June 2022

कविता. ४४८३. उम्मीदों को आवाजों कि धून।

                           उम्मीदों को आवाजों कि धून।

उम्मीदों को आवाजों कि धून मुस्कान दिलाती है कदमों कि आहट अक्सर अदाओं को लम्हों कि रोशनी देकर जाती है उमंग को किनारों कि सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून एहसास दिलाती है दिशाओं कि सौगात अक्सर उजालों को अल्फाजों कि सोच देकर जाती है नजारों को जज्बातों कि सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून अरमान दिलाती है लहरों कि पुकार अक्सर इशारों को अंदाजों कि मुस्कान देकर जाती है राहों को एहसासों कि सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून कोशिश दिलाती है तरानों कि परख अक्सर खयालों को तरानों कि समझ देकर जाती है दास्तानों को बदलावों कि सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून आस दिलाती है किनारों कि सोच अक्सर बदलावों को इशारों कि कोशिश देकर जाती है आशाओं को अदाओं कि सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून सोच दिलाती है सपनों कि परख अक्सर इरादों को कदमों कि सरगम देकर जाती है अफसानों को अंदाजों कि सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून सहारा दिलाती है आशाओं कि सरगम अक्सर लम्हों कि कहानी देकर जाती है खयालों को तरानों कि सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून बदलाव दिलाती है कदमों कि आहट अक्सर अंदाजों कि लहर देकर जाती है किनारों को आवाजों कि सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून इशारा दिलाती है लहरों कि पुकार अक्सर अफसानों कि सरगम देकर जाती है जज्बातों को दिशाओं कि सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून पहचान दिलाती है अदाओं कि समझ अक्सर इशारों कि तलाश देकर जाती है कदमों को खयालों कि सुबह दिलाती है।

 

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