Monday 6 June 2022

कविता. ४४६४. कदमों को अरमानों कि।

                             कदमों को अरमानों कि।

कदमों को अरमानों कि धाराएं लहर देकर चलती है किनारों को आशाओं कि मुस्कान रोशनी दिलाती है तरानों को अंदाजों कि मुस्कान सहारा देती है।

कदमों को अरमानों कि तलाश लम्हा देकर चलती है जज्बातों को राहों कि सोच इरादा दिलाती है सपनों को आशाओं कि पुकार सहारा देती है।

कदमों को अरमानों कि सोच इरादा देकर चलती है बदलावों को इशारों कि सुबह कोशिश दिलाती है उजालों को अल्फाजों कि आस सहारा देती है।

कदमों को अरमानों कि समझ किनारा देकर चलती है नजारों को एहसासों कि कहानी सौगात दिलाती है दास्तानों को राहों कि सोच सहारा देती है।

कदमों को अरमानों कि उमंग सपना देकर चलती है रोशनी को अंदाजों कि परख पहचान दिलाती है दिशाओं को उजालों कि सौगात सहारा देती है।

कदमों को अरमानों कि सुबह खयाल देकर चलती है तरानों को उम्मीदों कि सौगात आस दिलाती है नजारों को एहसासों कि समझ सहारा देती है।

कदमों को अरमानों कि रोशनी बदलाव देकर चलती है राहों को कोशिश कि परख पहचान दिलाती है अंदाजों को इरादों कि आवाज सहारा देती है।

कदमों को अरमानों कि उम्मीद आवाज देकर चलती है आशाओं को अदाओं कि समझ परख दिलाती है अदाओं को खयालों कि राह सहारा देती है।

कदमों को अरमानों कि राह कोशिश देकर चलती है जज्बातों को दिशाओं कि समझ लहर दिलाती है नजारों को आशाओं कि पहचान सहारा देती है।

कदमों को अरमानों कि सौगात आस देकर चलती है तरानों को उम्मीदों कि पुकार अल्फाज दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग सहारा देती है।

 

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